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मेंटल डिसऑर्डर ऑटिज्म को भी रोका जा सकता है, चूहों पर की गई स्टडी से हुआ खुलासा

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है जो ब्रेन के कार्य करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है जिससे भाषा, सोशल कम्युनिकेशन, अति सक्रियता और लगातार मूवमेंट जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं.

मेंटल डिसऑर्डर ऑटिज्म को भी रोका जा सकता है, चूहों पर की गई स्टडी से हुआ खुलासा
ऑटिज्म में ब्रेन के कार्य करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है.

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीन की पहचान की है जिसमें ऑटिज्म को रोकने की क्षमता है. ऑटिज्म एक न्यूरो डेवलपमेंटल विकार है जो इस चीज को प्रभावित करता है कि लोग दूसरों के साथ कैसे बातचीत करते हैं, संवाद करते हैं, सीखते हैं और व्यवहार करते हैं. 70 से ज्यादा जीनों को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से जोड़ा गया है. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है जो ब्रेन के कार्य करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है जिससे भाषा, सोशल कम्युनिकेशन, अति सक्रियता और लगातार मूवमेंट जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं.

वैज्ञानिक इन संबंधों को विस्तृत स्तर पर समझने के लिए काम कर रहे हैं और नया एस्ट्रोटैक्टिन 2 (एएसटीएन2) जीन संभवत, ऑटिज्म के उपचार का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

रॉकफेलर यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क में डेवलपमेंटल न्यूरोबायोलॉजी की प्रयोगशाला की टीम ने पाया कि एएसटीएन2 प्रोटीन सेरिबैलम में तंत्रिका सर्किट को रिस्ट्रिक्ट करता है, जिससे न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति वाले बच्चे प्रभावित होते हैं.

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चूहों पर किए गए शोध में क्या मिला?

हाल ही में, उसी प्रयोगशाला ने पाया गया कि चूहों में एएसटीएन2 जीन को पूरी तरह से नष्ट करने से ऑटिज्म जैसे लक्ष्ण सामने आए हैं, जिन चूहों में एएसटीएन2 की कमी थी, उनमें बोलने और समाजीकरण में कमी देखी गई, साथ ही सक्रियता और दोहराव वाले व्यवहार में वृद्धि हुई, जो एएसडी वाले व्यक्तियों में देखे गए लक्षणों को दर्शाता है.

विश्वविद्यालय की माइकलिना हेंजल ने कहा, "एएसडी वाले लोगों में इन लक्षणों में समानताएं होती हैं." अध्ययन में इन चूहों के सेरिबैलम में संरचनात्मक और शारीरिक परिवर्तनों का भी पता चला है.

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यह शोध पिछले शोध पर बेस्ड है, जिसमें 2010 में पता चला था कि एएसटीएन2 प्रोटीन सेरेब्रल डेवलेपमेंट के दौरान न्यूरॉन माइग्रेशन को गाइड करते हैं. वर्तमान अध्ययन ने एएसटीएन2 की पूर्ण अनुपस्थिति के प्रभाव का पता लगाया, जिसमें पाया गया कि चूहों में ब्रेन में बदलाव दिखे. ये व्यवहारिक अंतर सेरिबैलम में सूक्ष्म बदलावों के साथ थे. ये परिवर्तन संभवत, सेरिबैलम और अन्य ब्रेन एरिया के बीच संचार को बदल देते हैं. भविष्य में इस तरह कि रिसर्च इंसानों पर की जाएगी. एक्सपर्ट्स का कहना है, "हम एएसटीएन2 की भूमिका को लेकर बहुत उत्साहित हैं, लेकिन अभी और भी बहुत कुछ तलाशना बाकी है."

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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