Lohri, Makar Sankranti and Pongal 2020: नया साल अपने साथ लाता है त्योहारों का एक सिलसिला भी. भारतीय लोग हर चीज का स्वागत तहे दिल से धूमधाम के साथ करते हैं. ठीक इसी तर्ज पर नए साल के पहले ही महीने को मनाया जाता है त्योहारों के साथ. हर साल की तरहस 2020 में भी 13, 14 और 15 जनवरी को लोहड़ी (Lohri), मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2020) और पोंगल (Pongal) मनाए जा रहे हैं. इन त्योहारों से ठीक पहले 10 जनवरी को साल का पहला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) भी लगा. इससे पहले खबरें थीं कि साल 2020 में लोहड़ी 13 जनवरी (January 13, 2020) को नहीं 14 जनवरी को मनाई जाएगी. लेकिन कई जगह लोग लोहड़ी 13 को ही मना रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कब है लोहड़ी और मकर संक्रांति 2020 और पोंगेल 2020 (When is Pongal 2020) की तारीख, समय और शुभ मुहूर्त. लेकिन क्योंकि बात लोहड़ी की हो रही है, तो इस मौके पर पहले जान लेते हैं इस मौके पर बनने वाले प्रसाद की खूबियों के बारे में.
सर्दियों में गुड़वाली गजक, तिल वाली रेवड़ी हम खूब खाते हैं और जनवरी के महीने में जब नए साल के त्योहारों का सुरूर होता है, तो इनके स्वाद का क्या कहना. लोहड़ी के त्योहार में तो प्रसाद के तौर पर गुड़ वाली गजक, रेवड़ी और फुल्ले खूब बांटे जाते हैं. पर हमारे त्योहारों का हमेशा से ही कोई न कोई औचित्य रहा है और अक्सर हम ऐसी खबरें सुनते और पढ़ते हैं कि किसी त्योहार का हमारी सेहत और जीवनशैली पर किसी तरह का प्रभाव पड़ता है. त्योहारों के दौरान बनने वाले प्रसाद भी अपने आप में कई कहानियां समेटे होते हैं. तो चलिए जानते हैं लोहड़ी के मौके पर बांटे जाने वाले गुड़वाली गजक और तिल वाली रेवड़ी के आपकी सेहत के लिए होते हैं क्या फायदे-
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लोहड़ी 2020 का प्रसाद : रेवड़ी और गुड़ वाली गजक के फायदे (Lohri 2020: Gajak and Rewri Benefits: Reasons To Eat These Healthy Winter Sweet)
1. सर्दी-जुकाम के लिए घरेलू उपाय: गुड़ से बनी रेवड़ी आपको ठंड के मौसम में आपको कई तरह के संक्रमण से बचा सकती है. क्योंकि इसमें गुड़ और तिल होते हैं तो यह सर्दी-जुकाम की समस्या के खतरे को कम करती है और अगर आपको सर्दी-जुकाम की समस्या हो गई है तो राहत भी दिलाने में मददगार होती है.
2. ब्लड सर्कुलेशन सुधरेगी रेवड़ी: सर्दियों के मौसम में ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो सकता है, ऐसे में गर्म तासीर की चीजें खाने की सलाह इसलिए ही दी जाती है ताकि खून अच्छी तरह संचार कर सके. जी हां, गुड़ और तिल से बनी रेवड़ी ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मददगार है.
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3. एसिडिटी या पेट की गैस से दिलाए राहत: जी हां, गुड़ और तिल से बनी रेवड़ी आपके पाचन को बेहतर करने में मददगार होती है. इसके साथ ही साथ यह एसिड यानी पेट की गैस से भी राहत दिलाती है. अगर आप ठंड के मौसम में खाने के बाद रोज गुड़ और तिल की रेवड़ी खाते हैं तो यह पेट की गैस की समस्या को काफी हद तक कम कर सकता है.
4. कब्ज से तुरंत राहत दिलाए: कब्ज से तुरंत राहत पाने के लिए लोग जाने क्या-क्या नुस्खे नहीं अपनाते. लेकिन अगर आप कब्ज की समस्या को जड़ से खत्म करना चाहते हैं तो गुड़ चने, गुड़ तिल की रेवड़ी या गजक के आहार में शामिल करें. यह कब्ज की समस्या से निजात दिलाने में मदद कर सकता है.
5. खून की कमी या एनीमिया को दूर करेगा: गुड़ में न्यूट्रिएंट्स होते हैं और तिल में भी भरपूर पोषक तत्व होते हैं. इसके अलावा मूंगफली भी पोषक तत्वों से भरी होती है. तो इस लोहड़ी पर आप घर में ये सब लाए हैं तो इस आदत को बरकरार रखें, क्योंकि यह चीजें खून की कमी की समस्या को दूर करने में मददगार हैं.
जनवरी 2020 में पड़ने वाले त्योहारों की सूची (January 2020 Festival List)
2020 Festival List: जनवरी में लोहड़ी (Lohri),मकर संक्रांति (Makar Sankranti) और पोंगल (Pongal) पड़ते हैं.
Lojari 2020: लोहड़ी कब है : 14 जनवरी 2020
Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति कब है : 15 जनवरी 2020
मकर संक्रांति : सुबह 7:15 से शाम 5: 46 तक
मकर संक्रांति में महापुण्य काल का समय : सुबह 7:15 से 9:00 तक
मकर संक्रांति का महत्व: फसलों का त्यौहार मकर संक्रांति सूर्य देव की पूजा-उपासना का भी त्योहार है. माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगीरथ के आग्रह पर गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होकर समुद्र में जा मिली थीं. यही वजह है कि इस गंगा स्नान का महत्व है.
Pongal 2020: पोंगल कब है: 15 जनवरी 2020
पोंगल का महत्व : जनवरी महीने में पड़ने वाला पोंगल दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर मनाया जाने वाला त्योहार है. पोंगल चार दिनों तक चलने वाला पर्व है. हर दिन के पोंगल का अलग-अलग नाम होता है. पहले दिन को भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल और अंतिम और चौथे दिन को कन्या पोंगल के नाम से जाना जाता है.
Magh Bihu 2020: माघ बिहू कब है : 16 जनवरी 2020
माघ बिहु का महत्व: 'माघ बिहु' (Magh Bihu) भी जनवरी में ही मनाया जाता है. इस दिन लोग पशुओं, खेतों और धरती की पूजा करते हैं. यह असम का अहम त्योहार है. देखा जाए तो जनवरी महीने में पड़ने वाले सभी त्योहार प्रकृति को इंसानों की तरफ से धन्यवाद देने का ही एक तरीका है.
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