Bache ke Bolne Ki Dawa : हर माता-पिता के लिए वह पल सबसे खास होता है जब उनका बच्चा पहली बार कुछ बोलता है. लेकिन अगर आपका बच्चा ढाई साल का हो चुका है और वह अब भी खामोश रहता है या सिर्फ इशारों में बात करता है, तो मन में घबराहट होना स्वाभाविक है. आप अक्सर सोचते होंगे कि क्या मेरा बच्चा पीछे रह गया है? क्या उसे कोई शारीरिक समस्या है? या फिर क्या कोई ऐसी दवा आती है जिससे बच्चा बोलने लगे? आज इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से बात करेंगे कि ढाई साल के बच्चे के न बोलने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और आप घर पर उसकी मदद कैसे कर सकते हैं.
- हर बच्चे के बढ़ने की गति अलग होती है.
- ढाई साल की उम्र तक बच्चे को छोटे-छोटे वाक्य बोलने चाहिए और उसे करीब 200 से 500 शब्दों की पहचान होनी चाहिए.
- बातचीत के अभाव में बच्चे का दिमाग शब्दों को बोलना नहीं सीख पाता.
- क्या कोई ऐसी दवा है, जिसे देने से मेरा बच्चा बोलने लगे?
बच्चे बोलना कब शुरू करते हैं? | Bacche Bolna Kab Shuru Karte Hain?
हर माता पिता को इस बात की जल्दी होती है कि उनका बच्चा उन्हें पुकारे. वे रोज अपने बच्चे से खूब बातें करते हैं और इस इंतजार में रहते हैं कि उनका बच्चा जल्दी बोलना शुरू करें. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर बच्चा अपने माइल स्टोन को अपने हिसाब से तय करता है. कोई पहले चलता है तो कोई पहले बोलता है. बच्चे आमतौर पर 6 महीने से 12 महीने के बीच बोलना शुरू करते हैं.
- 6 महीने: बच्चे बड़बड़ाना शुरू करते हैं और अलग अलग साउंड बनाते हैं.
- 9 महीने: बच्चे कुछ शब्दों का मतलब समझने लगते हैं और खुद भी शब्दों का इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं.
- 12 महीने: बच्चे आमतौर पर एक या दो शब्दों का इस्तेमाल करके संवाद करना शुरू करते हैं.
हर बच्चा अलग होता है, और कुछ बच्चे दूसरों की तुलना में अधिक तेजी से विकसित हो सकते हैं.
मेरा 2.5 साल का बच्चा क्यों नहीं बोलता है और मैं क्या करूं?
सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि हर बच्चे के बढ़ने की गति अलग होती है. कुछ बच्चे बहुत जल्दी बोलना शुरू कर देते हैं और कुछ थोड़ा समय लेते हैं. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, ढाई साल की उम्र तक बच्चे को छोटे-छोटे वाक्य बोलने चाहिए और उसे करीब 200 से 500 शब्दों की पहचान होनी चाहिए. अगर आपका बच्चा ऐसा नहीं कर पा रहा है, तो इसे स्पीच डिले (बोलने में देरी) कहा जाता है.
इसके कई कारण हो सकते हैं. सबसे मुख्य कारण जो आजकल देखा जा रहा है, वह है बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम. जब बच्चा घंटों मोबाइल या टीवी देखता है, तो वह केवल जानकारी लेता है, उसे वापस जवाब देने की जरूरत नहीं पड़ती. इसे वन-वे कम्युनिकेशन कहते हैं. बातचीत के अभाव में बच्चे का दिमाग शब्दों को बोलना नहीं सीख पाता. इसलिए अगर आपका बच्चा मोबाइल में डूबा रहता है, तो यह उसके न बोलने का एक बड़ा कारण हो सकता है.

दूसरा कारण है शारीरिक समस्या
कभी-कभी बच्चे के कान में कोई दिक्कत होती है जिसकी वजह से उसे शब्द साफ सुनाई नहीं देते. जब बच्चा सुनेगा ही नहीं, तो वह बोलेगा कैसे? इसके अलावा टंग-टाई (जीभ का नीचे से जुड़ा होना) की वजह से भी बच्चों को कुछ शब्द बोलने में परेशानी होती है. कुछ मामलों में यह विकास से जुड़ी अन्य समस्याओं का संकेत भी हो सकता है, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है.
क्या बच्चे के बोलने की कोई दवा होती है?
अक्सर परेशान माता-पिता का सवाल होता है कि क्या कोई ऐसी दवा है, जिसे देने से मेरा बच्चा बोलने लगे? इसका साफ जवाब है कि बोलने के लिए दुनिया में कोई दवा या टॉनिक नहीं बना है. बोलना एक कौशल (skill) है जिसे बच्चा अभ्यास से सीखता है. कई बार डॉक्टर कुछ विटामिन या सप्लीमेंट्स देते हैं ताकि बच्चे का मानसिक विकास बेहतर हो, लेकिन वे दवाएं सीधे तौर पर बोलना नहीं सिखातीं. इसलिए ऐसी किसी भी भ्रामक दवा के पीछे न भागें जो रातों-रात बच्चे को बोलना सिखाने का दावा करती हो.
माता-पिता आप क्या कर सकते हैं?
- सबसे पहले अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. जब आप घर के काम करें, तो बच्चे से बातें करते रहें. जैसे कि, देखो मम्मी खाना बना रही है, या यह लाल रंग की गेंद है. भले ही बच्चा जवाब न दे, लेकिन उसके दिमाग में शब्द जमा हो रहे होते हैं. उसे कहानियां सुनाएं और रंग-बिरंगी किताबों के चित्र दिखाकर उनके नाम पूछें.
- एक और जरूरी कदम है बच्चे के इशारों को तुरंत पूरा न करना. अक्सर जब बच्चा पानी की तरफ इशारा करता है, तो हम उसे तुरंत पानी दे देते हैं. इसकी जगह, आप उससे पूछें कि आपको क्या चाहिए? उसे पानी बोलने के लिए प्रेरित करें. जब वह थोड़ा भी बोलने की कोशिश करे, तो उसकी बहुत तारीफ करें और उसे गले लगाएं. इससे बच्चे का उत्साह बढ़ता है.
- बच्चे का स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल और टीवी पूरी तरह बंद कर दें. उसकी जगह उसे पार्क ले जाएं जहां वह अपनी उम्र के दूसरे बच्चों को खेलते और बोलते हुए देख सके. बच्चों के बीच रहने से उनमें बोलने की इच्छा जागती है. सामाजिक मेलजोल स्पीच डिले को दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका है.
- धैर्य रखें और बच्चे पर चिल्लाएं नहीं. उसे बोलने के लिए मजबूर करने के बजाय प्यार से प्रोत्साहित करें. आपका समय और सही मार्गदर्शन ही उसे बोलने में मदद करेगा. याद रखें, हर बच्चा अपने समय पर खिलता है, बस उसे आपके साथ की जरूरत है.
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर इन घरेलू उपायों के बावजूद आपको कुछ महीनों में सुधार नहीं दिखता, तो आपको किसी अच्छे पीडियाट्रिशियन (बच्चों के डॉक्टर) या स्पीच थेरेपिस्ट से मिलना चाहिए. स्पीच थेरेपी में डॉक्टर कुछ खास तकनीकों और खेलों के जरिए बच्चे के बोलने के रास्ते खोलते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है और यह बच्चे के भविष्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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