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HIV का इलाज अब हकीकत बनने के करीब? CRISPR-Cas9 जीन एडिटिंग तकनीक बनेगी रोगियों के लिए वरदान, जानिए

HIV cure with CRISPR: इंस्टाग्राम पर @vaibhavsisinty द्वारा शेयर की गई एक वायरल वीडियो में बताया गया है कि एचआईवी का इलाज अब 10 साल बाद नहीं, बल्कि कुछ ही हफ्तों में संभव हो सकता है.

HIV का इलाज अब हकीकत बनने के करीब? CRISPR-Cas9 जीन एडिटिंग तकनीक बनेगी रोगियों के लिए वरदान, जानिए
HIV Cure with CRISPR: जीन एडिटिंग टूल को संक्रमित रोगी की इम्यून सेल्स में डाला जाता है.

HIV cure with CRISPR: क्या एचआईवी जैसी लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी का अब इलाज संभव हो गया है? इंस्टाग्राम पर @vaibhavsisinty द्वारा शेयर की गई एक वायरल वीडियो में बताया गया है कि एचआईवी का इलाज अब 10 साल बाद नहीं, बल्कि कुछ ही हफ्तों में संभव हो सकता है - और वो भी एक गुप्त लेकिन क्रांतिकारी जीन एडिटिंग तकनीक से, जिसे CRISPR-Cas9 कहा जाता है. वीडियो में बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने अब तक की सबसे प्रभावशाली बायोटेक खोजों में से एक को अंजाम दिया है, जो एचआईवी वायरस को इंसानी शरीर से स्थायी रूप से हटाने की क्षमता रखती है.

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क्या है CRISPR-Cas9 तकनीक?

CRISPR-Cas9 को "जेनेटिक सीजर" यानी "आनुवंशिक कैंची" भी कहा जाता है. ये एक अत्याधुनिक जीन एडिटिंग टूल है, जिसकी मदद से डीएनए के विशेष हिस्सों को काटकर, हटाकर या बदलकर बीमारियों की जड़ को खत्म किया जा सकता है. यही तकनीक अब एचआईवी जैसे वायरस को शरीर से स्थायी रूप से हटाने में कारगर साबित हो रही है.

EBT-101: एक नई उम्मीद

CRISPR तकनीक पर आधारित एक विशेष जीन थेरेपी जिसका नाम EBT-101 है, को अमेरिका की Excision BioTherapeutics कंपनी द्वारा विकसित किया गया है. यह थेरेपी शरीर में छिपे एचआईवी वायरस को जीन स्तर पर पहचान कर उसे स्थायी रूप से हटा सकती है.

हॉस्पिटल ट्रायल और शोध केंद्र:

इस उपचार का मानव परीक्षण Amsterdam University Medical Center में किया गया है.

जानवरों पर किए गए शुरुआती परीक्षणों में यह तकनीक मस्तिष्क और लिम्फ नोड्स जैसे क्षेत्रों से भी वायरस को हटाने में सफल रही है - जो अब तक असंभव माना जाता था.

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कैसे काम करता है यह इलाज?

  • जीन एडिटिंग टूल को संक्रमित रोगी की इम्यून सेल्स में डाला जाता है.
  • यह टूल एचआईवी वायरस के जेनेटिक मटेरियल को पहचान कर उसे काट देता है.
  • इससे वायरस की दोबारा सक्रिय होने की संभावना बेहद कम हो जाती है.

फायदे:

  • यह इलाज एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) की तरह रोजाना नहीं लेना होता.
  • यह संभवत: स्थायी इलाज प्रदान कर सकता है.
  • शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है.

क्या यह इलाज अब उपलब्ध है?

फिलहाल, यह तकनीक क्लीनिकल ट्रायल स्टेज में है, लेकिन शुरुआती परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं. अगर सब कुछ सही रहा, तो आने वाले कुछ वर्षों में यह तकनीक एचआईवी मरीजों के लिए एक क्रांतिकारी समाधान बन सकती है.

CRISPR-Cas9 तकनीक ने मेडिकल साइंस में एक नई क्रांति की शुरुआत कर दी है. कहा जा सकता है कि एचआईवी जैसी बीमारी, जो दशकों से मानवता के लिए चुनौती रही है, अब अपने अंत के करीब है. अगर सब कुछ सफल रहा, तो आने वाले समय में एचआईवी का नाम इतिहास की किताबों तक सीमित रह जाएगा.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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