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International Women's Day 2025 : क्यों जरूरी है महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना

Women Mental Health : महिलाओं के मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, ताकि वे मेंटली हेल्दी और बैलेंस्ड लाइफ जी सकें. यह सोसायटी की जिम्मेदारी है कि महिलाओं को उनके मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का समाधान और इलाज सही तरीके से कराए.

International Women's Day 2025 : क्यों जरूरी है महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना
इस तरह से महिलाएं रखें अपना ख्याल.

Women Mental Health : हमारी सोसाइटी में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम रही है, लेकिन बावजूद इसके उनकी मेंटल हेल्थ को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है. हालांकि मेंटल हेल्थ किसी भी व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा है, महिलाओं के मेंटल हेल्थ में कुछ स्पेसिफिक डिफ्रेंस पाया जाता है, जिन्हें समझना और ध्यान में रखना बहुत जरूरी है. महिलाओं के मेंटल हेल्थ को लेकर किए गए रिसर्च से यह साफ होता है कि उनके जीवन के अलग-अलग आस्पेक्ट्स, जैसे कि फिजिकल चैंजेस, सोशल प्रेशर और सांस्कृतिक मान्यताएं, मेंटल डिस्ऑर्डर के डेवलपमेंट में खास भूमिका निभाती हैं. इन कारणों से महिलाओं के मेंटल हेल्थ पर विशेष ध्यान देना जरूरी है, ताकि वे अपने जीवन में मेंटल पीस और बैलेंस फील कर सकें.

महिलाओं की मेंटल हेल्थ (Mental Health Of Women)

जेंडर और मेंटल हेल्थ- डिफरेंस और इफेक्ट

ह्यूमन ब्रेन का डेवलपमेंट जेंडर के अनुसार अलग होता है और यह भिन्नता महिलाओं में मेंटल हेल्थ समस्याओं के डेवलपमेंट में एक खास भूमिका निभाती है. रिसर्च से यह सामने आया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से जूझती हैं, जैसे कि डिप्रेशन, स्ट्रेस, ईटिंग डिसऑर्डर और PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर). इन समस्याओं का कारण सिर्फ बायोलॉजिकल डिफरेंस नहीं बल्कि सोशल, फाइनेंशियल और कल्चरल इफैक्ट्स भी हैं. महिलाओं के जीवन में ऐसे एक्सपीरिएंस होते हैं जो उन्हें मेंटल डिस्ऑर्डर की ओर ले जाते हैं और इसलिए इस क्षेत्र में ज्यादा ध्यान और समझ की जरूरत है.

मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर में जेंडर का इफेक्ट

1. डिप्रेशन : डिप्रेशन एक नॉर्मल मेंटल हेल्थ डिस्ऑर्डर है, लेकिन रिसर्च से यह पता चला है कि महिलाओं में डिप्रेशन का खतरा पुरुषों की तुलना में दोगुना होता है. इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि हार्मोनल चेंजेस और सोशल प्रेशर. महिलाओं के जीवन में एक या ज्यादा ऐसे एक्सपीरिएंस होते हैं, जो डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं, जैसे कि परिवार और करियर का बैलेंस, या सोसायटी की तरफ से बनाया गया इंडायरेक्ट प्रेशर. महिलाओं में डिप्रेशन का असर फिजिकली और मेंटली ज्यादा सीरियस होता है और यह डिसेबिलिटी का कारण बन सकता है.

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2. एंजायटी : एंजायटी भी एक आम मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है और महिलाओं में यह पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा पाई जाती है. इसका कारण यह हो सकता है कि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पुरुषों की तुलना में कम होता है और यह हार्मोन स्ट्रेस और डिप्रेशन को नियंत्रित करने में मदद करता है. महिलाओं में स्ट्रेस और एंजाइटी के कारण उनके फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर गंभीर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, महिलाओं में मेंटल हेल्थ के लिए मदद लेने की आदत ज्यादा होती है, जिससे हाई डायग्नोसिस रेट देखा जाता है.

3. ईटिंग डिसऑर्डर : ईटिंग डिसऑर्डर महिलाओं में बहुत आम होते हैं. एनोरेक्सिया और बुलिमिया जैसे डिस्ऑर्डर ज्यादातर महिलाओं को इफेक्टिव करते हैं. सोसायटी में परफेक्ट बॉडी इमेज का कॉन्सेप्ट और महिलाओं पर वजन कम करने का दबाव इन डिस्ऑर्डर के प्रमुख कारण हैं. यह डिस्ऑर्डर मेंटल हेल्थ के अन्य डिस्ऑर्डर के साथ भी जुड़ सकते हैं, जैसे डिप्रेशन और स्ट्रेस. महिलाओं में ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज करना कठिन हो सकता है, क्योंकि यह डिस्ऑर्डर सेल्फ रिस्पैक्ट और सोशल प्रेशर से भी जुड़ा हुआ होता है.

4. सदमा और PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder): महिलाओं में PTSD की दर पुरुषों से ज्यादा होती है. सेक्सुअल वायलेंस, डोमेस्टिक वॉयलेंस और दूसरे पेनफुल एक्सपीरिएंस महिलाओं के मेंटल हेल्थ पर गंभीर असर डाल सकते हैं. लगभग 20% महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी सेक्सुअल वॉयलेंस का शिकार होती हैं और इससे PTSD जैसी मेंटल प्रॉब्लम डेवलप हो सकती हैं.

इसके अलावा, नैचुरल डिजास्टर, सिविल वॉर और दूसरे कॉन्फ्लिक्ट्स का सामना करने वाली महिलाओं में PTSD का खतरा ज्यादा होता है. महिलाओं के लिए इस तरह की समस्याओं का इलाज करना चैलेंजिंग हो सकता है, क्योंकि उन्हें अपनी फीलिंग्स और एक्सपीरिएंस को शेयर करने में संकोच हो सकता है.

5. सोसाइट करने के विचार : आत्महत्या का प्रयास करने की पॉसिबिलिटी महिलाओं में ज्यादा होती है, हालांकि आत्महत्या से मरने की पॉसिबिलिटी पुरुषों में ज्यादा होती है. महिलाओं में आत्महत्या के प्रयासों का कारण उनके मेंटली और फिजिकली हेल्थ में होने वाले उतार-चढ़ाव हो सकते हैं. इसके अलावा, डोमेस्टिक वॉयलेंस और सामाजिक असमानताएं भी महिलाओं को आत्महत्या के प्रयासों की ओर धकेल सकती हैं. यह एक सीरिएस मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम है, जिसे रोकने के लिए परिवार और सोसायटी को बेहतर समझ और सपोर्ट देने की जरूरत है.

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मेंटल हेल्थ पर सोशल प्रेशर और कल्चरल इफेक्ट

महिलाओं को मेंटल हेल्थ से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा प्रेशर का सामना करना पड़ता है, जो सोसायटी की अपेक्षाओं और भूमिकाओं से जुड़ा होता है. सोसायटी में महिलाओं से यह उम्मीद की जाती हैं कि वे फिजिकली अट्रैक्टिव, सिम्पेथेटिक और समझदार हों. इन एक्सपैक्टेशन को पूरा करने का प्रेशर महिलाओं में मेंटल डिस्ऑर्डर के डेवलपमेंट का कारण बन सकता है. इसके अलावा, महिलाओं के लिए वर्किंग लाइफ और फैमिली लाइफ का बैलेंस बनाए रखना भी एक बड़ा चैलेंज है, जिससे मेंटल स्ट्रेस उत्पन्न हो सकता है.

स्वास्थ्य देखभाल में भेदभाव

महिलाओं को मेंटल हेल्थ देखभाल में कभी-कभी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. कई देशों में महिलाओं के साथ मेडिकल कम्यूनिकेशन पुरुषों के मुकाबले अलग होता है, जो उनके ट्रीटमेंट में असर डाल सकता है. महिलाओं के मेंटल हेल्थ का सही ढंग से पहचान और इलाज करने के लिए यह जरूरी है कि मेडिकल और सेहत की देखभाल करने वाले महिला पेशेंट की स्पेसिफिक नीड को समझें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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