नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) द्वारा किए गए ऑल इंडिया सर्वेक्षण के मुताबिक, देश में पिछले एक साल में कम से कम 46 प्रतिशत ग्रामीण और 53 प्रतिशत शहरी लोगों ने बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष चिकित्सा पद्धति का उपयोग किया है. सर्वे में पता चला कि लगभग 95 प्रतिशत ग्रामीण और 96 प्रतिशत शहरी लोगों को आयुष के बारे में जानकारी है लगभग 85 प्रतिशत ग्रामीण और 86 प्रतिशत शहरी परिवारों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधों, घरेलू उपचार या लोक चिकित्सा के बारे में जानता है.
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सर्वे में 1,81,298 परिवारों को शामिल किया गया, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 1,04,195 और शहरी क्षेत्रों में 77,103 परिवार शामिल हैं. ग्रामीण भारत में 15 साल या उससे ज्यादा उम्र के लगभग 95 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं आयुष के बारे में जागरूक हैं, जबकि शहरी भारत में यह लगभग 96 प्रतिशत है. सर्वे का मकसद पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के बारे में लोगों की जागरूकता के साथ-साथ बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष के उपयोग, घरेलू उपचार, औषधीय पौधों और लोक चिकित्सा के बारे में परिवारों की जागरूकता के बारे में जानकारी एकत्र करना था.
सामने आए सर्वे के निष्कर्षों से पता चला कि ग्रामीण भारत में लगभग 79 प्रतिशत और शहरी भारत में लगभग 80 प्रतिशत घरों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधों और घरेलू दवाओं को लेकर जागरूक है. वहीं ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में लगभग 24 प्रतिशत घरों में कम से कम एक सदस्य लोक चिकित्सा या स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा के बारे में जागरूक है. आयुष का मतलब आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी से है, जो चिकित्सा की छह भारतीय प्रणालियां हैं.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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