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सब ठीक है, बस बाप-बेटे की नहीं बनती! अक्षय कुमार ने गिनाई पिता की खूबियां, पिता-पुत्र का रिश्ता बेहतर करने वाले टिप्स

Father-Son Relationship: पिता और पुत्र के बीच अगर विचारों का मतभेद है, तो यह सामान्य है. पिता अपने अनुभव के अनुसार बेटे को सलाह देते हैं वहीं बेटा समय के साथ सोच रखता है. ऐसे में दो जनरेशन के बची सोच का फर्क होना आम बात है. इसे दिल पर न लें एक दूसरे का सम्मान कम न होने दें. 

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सब ठीक है, बस बाप-बेटे की नहीं बनती! अक्षय कुमार ने गिनाई पिता की खूबियां, पिता-पुत्र का रिश्ता बेहतर करने वाले टिप्स
Strengthening Father-Son Bonds: पिता-पुत्र के बीच के विवाद कैसे सुधारें.

Strengthening Father-Son Bonds: हाल ही में बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि कैसे उनके पिता ने उनके जीवन को दिशा दी. कैसे नए रास्ते तलाशने और जीवन में सफलता पाने से पहले के भटकाव में उनके पिता उनके साथ थे. भले ही बैंकॉक जाने के लिए पैसे देना हो या दूसरे कई मुद्दों पर सलाह. अक्षय कुमार कई बार अपने पिता (Akshay Kumar Father) के फैसलों और सपोर्ट की बात करते नजर आते हैं.

अक्सर देखा गया है कि अक्षय कुमार अपने पिता की आदतों को कॉपी करने की बात बताते हैं. वे अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी अक्सर अपने पिता का जिक्र करते हैं. 

ऐसी बातें सुनकर अगर आप भी यह सोचते हैं कि काश मेरे भी बेटे के साथ मधुर रिश्ते होते या आप ये मिस करते हैं कि आपके पिता के साथ आपके मदभेद ज्यादा हैं, तो चलिए इस लेख में समझते हैं कि पिता पुत्र के रिश्ते को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है. 

भारतीय समाज में जितना खुलकर मां लाड़-प्यार लुटाती है उतना पिता नहीं कर पाते. पता नहीं क्यों पापा अपना प्यार और अपनी केयर गुस्से, डांट और चुप रहकर ही शो करते हैं. एक और चीज जो देखी गई वो ये कि पिता बेटी के पर तो प्यार लुटाते हैं, लेकिन बेटे पर वह अक्सर सख्ती भरा रुख ही अपनाते हैं. पापा और बेटे के बीच ऐसी ही कुछ वजहों से दूरियों बढ़ जाती हैं. कई बार तो नौबत अनबन तक पहुंच जाती है. लेकिन वक्त बदल रहा है और अब पिता पुत्र का रिश्ता भी बदल रहा है. ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं कि आपका आपके बेटे के साथ दोस्ताना रिश्ता हो, तो यहां हैं कुछ टिप्स. 

पिता-पुत्र के बीच के विवाद कैसे सुधारें | Strengthening Father-Son Bonds

मदभेद होना सामान्य 

पिता और पुत्र के बीच अगर विचारों का मतभेद है, तो यह सामान्य है. पिता अपने अनुभव के अनुसार बेटे को सलाह देते हैं वहीं बेटा समय के साथ सोच रखता है. ऐसे में दो जनरेशन के बची सोच का फर्क होना आम बात है. इसे दिल पर न लें एक दूसरे का सम्मान कम न होने दें. 

पिता की उम्मीदें 

कई बार यह देखने को मिलता है कि पिता अपनी उम्मीदों का बोझ बेटों के कंधों पर लाद देते हैं. हमेशा जरूरी नहीं कि बेटा उनकी उम्मीदों पर खरा उतरे. ऐसे में पिता को भी यह समझने की जरूरत है कि बेटे के भी अपने सपने हैं और उसकी भी जीवन को लेकर अपनी योजनाएं होती हैं. दोनों को एक दूसरे को समझते हुए एक निर्णय पर आना चाहिए. 

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How to Strengthen a Father Son Relationship: एक बेहतर समझ की जो आप दोनों को मिलकर बनानी होगी. 

अड़ें नहीं, समझने की कोशिश करें

अगर आपकी भी अपने पिता से बातचीत ठीक नहीं, मनमुटाव रहता है, तो यह समझने की कोशिश करें कि वे आपका बुरा नहीं चाहते. वहीं पिता को यह समझना चाहिए कि बेटा अभी जीवन के अनुभव ले रहा है. वे उसे इतनी छूट दें कि वह गिरे और उठ कर फिर आगे चल सके. इसके लिए जरूरत है एक बेहतर समझ की जो आप दोनों को मिलकर बनानी होगी. कभी पिता को बेटे की सुननी होगी, तो कभी बेटे को पिता की. तो अपनी अपनी बात पर अड़ने की बताए एक दूसरे को समझने की कोशिश करें.

वजह तलाशें 

अगर कई कोशिशों के बाद भी बात नहीं बन रही है, तो वजह को तलाशें. जानने की कोशिश करें कि आप दोनों के बीच अनबन की वजह क्या है. एक बार मनमुटाव का कारण पता चल जाएगा तो उसे हल करना आसान हो सकता है. 

अनदेखा करना भी जरूरी है

हो सकता है कि कुछ बातें ऐसी हों जिन पर आप दोनों लाख कोशिशों के बाद भी एकमत न हो पाएं. ऐसे में उन बातों को इग्नोर करना सीखें. हम सभी के लिए स्पेस जरूरी है. चाहे वह कोई भी रिश्ता हो. इसलिए उन बातों को इग्नोर करना सीखें, जिन पर विवाद बढ़ सकता है.

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यह जानना जरूरी है कि पिता को पुत्र के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? 

फिजकल टच देते रहें 

अरे भई, आप मानें या न मानें लेकिन फिजिकल टच आपके रिश्तों को बेहतर बनाता है. पिता और पुत्र के बीच यही एक चीज सबसे ज्यादा मिसिंग होती है. पिता और पुत्र दोनों को ही चरण स्पर्श से आगे बढ़ने की जरूरत है. एक दूसरे को गले लगाएं. झिझक होती है तो साइड हग करें. आप शुरुआत तो करें देखें चीजें कैसे बदलती हैं. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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