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This Article is From Apr 02, 2024

बच्चे में है कॉन्फिडेंस की कमी तो अपनाएं ये टिप्स, आसमान छूएगा बच्चे का आत्मविश्वास, गर्व महसूस करेंगे आप, बस न करें ये 4 काम

Parenting Tips: कई बार पेरेंट की कुछ आदतें बच्चों के मन पर ऐसा असर डालती हैं कि बच्चे दुखी और परेशान रहने लगते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा झेंपू और डरपोक नहीं बल्कि कॉन्फिडेंस और निडर बने तो सबसे पहले अपनी कुछ आदतों पर ध्यान दें.

बच्चे में है कॉन्फिडेंस की कमी तो अपनाएं ये टिप्स, आसमान छूएगा बच्चे का आत्मविश्वास, गर्व महसूस करेंगे आप, बस न करें ये 4 काम
बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पेरेंट्स दें इन बातों का ध्यान.

How to Build Confidence in Kids: पेरेंट चाहते हैं कि बच्चे में आत्मविश्वास (child confidence) और आत्मसम्मान के गुण विकसित हों. हालांकि कई बार उनकी खुद की कुछ आदतें बच्चों के मन पर ऐसा असर डालती हैं कि बच्चे दुखी और परेशान रहने लगते हैं. बच्चों के सही विकास में पेरेंटिंग (Parenting) का बहुत महत्व होता है. ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा झेंपू और डरपोक नहीं बल्कि कॉन्फिडेंट और निडर बने तो सबसे पहले अपनी कुछ आदतों पर ध्यान दें. आइए जानते हैं  कि पेरेंट की कौन सी आदतें बच्चों पर डालती है खराब असर और माता पिता को किन आदतों को दूर कर लेना (Parents should avoid these habits) चाहिए.

बच्चों में आत्मविश्वास के लिए माता पिता को इन आदतों को दूर कर लेना चाहिए  (Parents should avoid these habits)

लोगों के सामने बच्चे को शर्मिंदा करना

माता पिता को भूलकर भी लोगों के सामने बच्चे की गलतियां निकालकर उसे शर्मिंदा नहीं करना चाहिए. पेरेंट की इस आदत का बच्चों पर गहरा असर पड़ता है. इससे उनमें कॉन्फिडेंस कम होने लगता है. अगर आपको बच्चे के किसी बात से नाराजगी है तो उनसे अकेले में बात करें और उन्हें प्यार से समझाएं.

तुलना करने की आदत

अधिकतर माता पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से करते हैं और बच्चे को उनके जैसा बनने की चाहत रखते हैं. कभी कभी यह तुलना घर के दो बच्चों के बीच भी होने लगती है. इससे बच्चे के मन में असुरक्षा और हीन भावना आने लगती है जिनका उनके पर्सनालिटी पर गहरा असर होता है.

बच्चे के मन को समझना

बच्चों के मन में हजार तरह की बातें आती हैं. उनसे बड़ों के जैसी गंभीरता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. आज अगर उन्हें तैराकी करने का मन है तो कल वे फुटबॉल खेलने की इच्छा रख सकते हैं. इन बातों पर खींझने की जगह उनसे बात करें कि किसी भी हॉबी को थोड़ा वक्त देना जरूरी है.

उनकी बातें सुने

बच्चे की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. वे जब  भी अपने मन की बातें आपसे शेयर करें तो पूरे ध्यान से उनकी बातें सुने और उस पर प्रतिक्रिया दें. उनसे बातें करते समय मोबाइल या किचन के कामों में व्यस्त रहना ठीक नहीं है. उनकी बातों को सुनने और वैल्यू देने से उनमें आत्मविश्वास की भावना जागने लगेगी.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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