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हार्ट अटैक सिर्फ हाई कोलेस्ट्रॉल नहीं इस वजह से भी आता है, आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताई असल वजह और बचाव के तरीके

Heart Attack: अगर आपको भी लगता है कि आप अपने कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रख कर हार्ट अटैक के रिस्क को कम कर रहे हैं तो ये बहुत बड़ी गलती है. चलिए आपको बताते हैं हार्ट अटैक की वजह और इससे कैसे करें बचाव.

हार्ट अटैक सिर्फ हाई कोलेस्ट्रॉल नहीं इस वजह से भी आता है, आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताई असल वजह और बचाव के तरीके
Heart Attack: इन वजहों से आता है हार्ट अटैक, जान लीजिए वजह.

Heart Attack: क्या आपको पता है कि हर 34 सेकंड में दुनिया का एक इंसान हार्ट अटैक से मर जाता है. और हम सबको लगता है कि इसका रीजन है हाई कोलेस्ट्रॉल. जी हां, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना आपके हार्ट के लिए बुरा है. लेकिन सच यह है कि कोलेस्ट्रॉल अकेला इतना ज्यादा डेंजरस नहीं है जितना कि हम सोचते हैं. सिर्फ कोलेस्ट्रॉल कभी भी हार्ट अटैक नहीं लाता जब तक इसके साथ एक और हिडन फैक्टर ना जुड़ जाए. और यह वही बात है जो 90% लोग और कभी-कभी डॉक्टर्स भी इग्नोर कर देते हैं. बता दें कि आयुर्वेदिक डॉक्टर सलीम जैदी ने अपने यूट्यूब वीडियो में बताया कि आप अपने हार्ट को हेल्दी रखने के लिए क्या करें और हार्ट अटैक आने की वजहें क्या-क्या हैं?

उन्होंने बताया कि हजारों लोग इस बात से कंफ्यूज रहते हैं और पूछते हैं कि डॉक्टर साहब कोलेस्ट्रॉल तो कम हो गया है लेकिन फिर भी मेरी ब्लॉकेज क्यों बढ़ती जा रही है? अगर आपके मन में भी ये सवाल आ रहा है तो चलिए जानते हैं इस सवाल का जवाब.

सिंपल भाषा में समझें तो हमारी आर्टरीज एक पाइप की तरह होती हैं. जिनमें से ब्लड स्मूथली फ्लो करता रहता है. अब अगर आपकी आर्टरीज हेल्दी हैं तो एलडीएल बढ़ने के बावजूद यह नसों की वाल्व पे आसानी से चिपकता नहीं है. और अगर चिपक भी जाता है तो हमारी आर्टरीज इतनी ज्यादा लचीली बनाई है नेचर ने कि खून के प्रेशर से यह आसानी से फैल जाती हैं और ब्लड रुकता नहीं है बल्कि स्मूथली फ्लो करता रहता है. असली प्रॉब्लम शुरू होती है जब नसों की दीवार में छोटी-छोटी इंजरीज होने लगती हैं और बॉडी तुरंत हीलिंग मोड में आ जाती है और वहां पर इन इंजरीज को हील करने के लिए वाइट ब्लड सेल्स, प्रोटीन और कोलेस्ट्रॉल ये सब चीजें मिलकर एक पैच बना लेते हैं. और धीरे-धीरे यही मैला यानी यही गंदगी वहां पर जमा हो जाती है और एक प्लैक की शक्ल ले लेती है. एक सॉलिड प्लैक वहां पर बन जाता है और यही प्लैक एक्चुअली में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर होता है. क्योंकि जब यह रप्चर करता है तो वहां क्लॉट बनता है जिससे कि दिल की नसें ब्लॉक हो जाती हैं और अचानक से हार्ट अटैक हो जाता है.

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अब सवाल ये आता है कि आर्टरीज की वॉल्स में आखिर ये इंजरीज होती क्यों हैं? तो इसके पीछे एक छुपा हुआ फैक्टर होता है जो है क्रॉनिक इनफ्लेमेशन. अब ये क्रॉनिक इनफ्लेमेशन क्यों होता है? इसके पीछे एक बहुत लंबी चौड़ी साइंस है जो कि पूरी डिटेल में समझने की आपको जरूरत नहीं है. बस आप शॉर्ट में समझ लीजिए कि जब आपकी बॉडी के अंदर इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा होता है तो उससे हमारी बॉडी में अंदरूनी तौर पर क्रॉनिक इनफ्लेमेशन शुरू हो जाता है और यह इंसुलिन रेजिस्टेंस जो है यह ज्यादा शुगर लेने की वजह से होता है. तो आप कह सकते हैं कि क्रॉनिक इनफ्लेमेशन का एक बहुत बड़ा रीजन जो है वो ज्यादा शुगर का इस्तेमाल करना होता है.

तो दो चीजें जो आपके हार्ट के लिए सबसे बड़ी नुकसानदेह है और आपके अंदर हार्ट अटैक पैदा करने का एक बहुत बड़ा रिस्क फैक्टर हो सकती हैं और वो है बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल और दूसरा है क्रॉनिक इनफ्लेमेशन. जब ये दोनों चीजें आपस में मिलेंगी तभी सही मायनों में आपकी बॉडी को आपके हार्ट को सबसे ज्यादा खतरा होगा. तो अब आप समझ गए होंगे कि हार्ट अटैक की कहानी सिर्फ कोलेस्ट्रॉल की ही नहीं है. असली रिस्क तब बनता है जब कोलेस्ट्रॉल और इनफ्लेमेशन एक साथ मिलकर आपकी आर्टरीज को ब्लॉक करने लगते हैं.

डॉक्टर ने बताया कि आयुर्वेद में हमें कुछ ऐसी बहुत ही बढ़िया रेमेडीज मिलती हैं जो कि एग्जजेक्टली इस रिस्क को कम करने का काम करती हैं. तो चलिए जानते हैं वो तीन सबसे पावरफुल रेमेडीज जो कि ब्लॉकेज का रिस्क कम करती हैं. 

अर्जुन की छाल

अर्जुन की छाल के बारे में जिसे आप अपने दिल का बॉडीगार्ड भी कह सकते हैं. अर्जुन ना सिर्फ आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करता है बल्कि हार्ट की पंपिंग पावर को भी इंप्रूव करता है. यानी आपका हार्ट जो पंप करता है उसकी इफिक को यह बढ़ा देता है. और इसीलिए इसे दिल का सबसे अच्छा सबसे बड़ा डॉक्टर मान जा सकता है. अर्जुन की छाल के अंदर टैनिस और फ्लेबोनाइट्स होते हैं जो कि आर्टरीज के अंदर होने वाले डैमेज को हील करते हैं. हार्ट की मसल्स को स्ट्रांग बनाते हैं. हार्ट की पंपिंग पावर को बढ़ाते हैं और इनफ्लेमेशन को भी शांत करते हैं. सोचिए आपका हार्ट अगर एक पुराना इंजन है तो अर्जुन की छाल उस इंजन के लिए एक प्रीमियम इंजन ऑयल की तरह काम करता है. जिससे इंजन और ज्यादा अच्छे से चल पाता है. 

कैसे करें सेवन 

बस आप रात को डिनर करने के 1 घंटे के बाद एक चम्मच यह पाउडर लीजिए और इसे एक गिलास पानी में बॉईल करके इसको छानकर आप पी लीजिए. 

गुग्गुल

दूसरी रेमेडी है गुग्गुल जिसका नाम शायद आपने कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं की लिस्ट में कम ही सुना होगा. लेकिन अगर आयुर्वेद की बात करें तो यह कोलेस्ट्रॉल और इनफ्लेमेशन को कम करने के लिए वन ऑफ द बेस्ट हर्ब्स मानी जाती है. यह बेसिकली एक रेजिन टाइप का होता है जिसमें गुग्गुलस्ट्रॉन होता है जो कि लिवर के अंदर कोलेस्ट्रॉल मेटाबॉलिज्म को कम करता है. क्लीनिकल स्टडीज कहती हैं कि 12 हफ्तों तक गुग्गुल लेने से एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स 20 से 25% तक कम हो जाते हैं. और साथ ही जैसा मैंने आपको बताया यह इनफ्लेमेशन मार्कर्स को भी कम करता है.

कैसे करें सेवन

आप चाहें तो लंच के बाद एक से दो टेबलेट त्रिफला गुग्गुल की गर्म पानी के साथ कम से कम दो से 3 महीने तक ले सकते हैं. इससे आपको जरूर फायदा होगा. 

लहसुन  

गार्लिक के अंदर एलेसन नाम का एक कंपाउंड होता है जो कि कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीडाइज होने से रोकता है और हमारे ब्लड को नेचुरली थिन बनाता है. यानी खून को पतला करता है, जमने से रोकता है. कुछ मेटा एनालिसिस स्टडीज कहती हैं कि गार्लिक से टोटल कोलेस्ट्रॉल 15 से 20 मिलीग्राम तक कम हो सकता है और ब्लड प्रेशर भी इससे कंट्रोल में रहता है.

कैसे करें सेवन

गार्लिक को यूज़ करना भी बहुत ही ज्यादा सिंपल होता है. बस रोजाना सुबह खाली पेट एक से दो रॉ गार्लिक क्लोव्स आप क्रश करके गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं. और इससे आपको अपने दिल को हेल्दी रखने में काफी ज्यादा हेल्प मिलेगी. लेकिन हां, एक बात हमेशा ध्यान रखिएगा कि शुरू में एक या आधी कली से ही हमेशा स्टार्ट करें क्योंकि कुछ लोगों को क्या होता है इसे लेने से पेट में जलन या फिर उल्टी की शिकायत भी हो सकती है. तो शुरू हमेशा कम क्वांटिटी से करें और अगर सब कुछ ठीक रहता है आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होती है तो धीरे-धीरे आप इसकी क्वांटिटी को बढ़ाकर दो कलियों तक भी लेकर जा सकते हैं. 

दोस्तों, यह रेमेडीज अपना फुल मैजिक तभी दिखाती हैं जब आप उन्हें हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ कंबाइन करते हैं. तो सिर्फ रेमेडीज लेना ही काफी नहीं होता है. इनके साथ आप रोजाना कम से कम 30 मिनट की ब्रिस्क वॉक या फिर हल्का एरोबिक एक्सरसाइज जरूर करें. और अगर पॉसिबल हो और एक्टिव हार्ट इशूज़ आपको ना हो तो आप चाहें तो वेट ट्रेनिंग यानी जिम जाकर हल्के-फुल्के वेट्स वगैरह भी उठा सकते हैं. 

क्या खाएं 

इसके साथ ही आप अपनी डाइट में ओट्स, फ्लैक्स सीड्स, जौ का आटा, ईसब गोल और अखरोट जैसे हाई फाइबर फूड्स को भी आप जरूर जोड़िएगा.

साथ ही इस स्ट्रेस से जितना हो सके उतना बचिए. अपने आप को इससे दूर रखिए और यकीन मानिए अगर आप ऐसा करते हैं तो आप इन रेमेडीज के इफेक्ट को डबल कर सकते हैं. इनका फायदा और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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