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हकलाना और तुतलाना धीरे-धीरे होने लगेगा कम बात करने में नहीं होगी परेशानी...बस रोज करें इस मंत्र का 15 मिनट जाप

हकलाने या तुतलाने की समस्या शर्म की नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि वायु असंतुलित है. सही आहार, योग, मानसिक अभ्यास और आयुर्वेदिक औषधियों के संतुलन से वाणी में सहजता और स्पष्टता आती है. 

हकलाना और तुतलाना धीरे-धीरे होने लगेगा कम बात करने में नहीं होगी परेशानी...बस रोज करें इस मंत्र का 15 मिनट जाप
आयुर्वेद की मानें तो जब वात दोष संतुलित होता है, मानसिक भय शांत होता है और नसें मजबूत होती हैं, तो वाणी स्वतः स्पष्ट हो जाती है.

Haklane aur tutlane ka desi ilaj : हकलाना या तुतलाना वाणी संबंधित एक गंभीर समस्या है, जिसे आयुर्वेद में 'वाक विकार' कहा गया है. यह सिर्फ जीभ की कमजोरी की वजह से नहीं होता, बल्कि इसके पीछे वात दोष का असंतुलन, नसों की कमजोरी और मानसिक डर-तनाव भी जिम्मेदार होते हैं. इसके मूल में अक्सर बचपन में डर या सदमा, अत्यधिक चिंता और अनुवांशिक कारण होते हैं. इसे आयुर्वेद में संतुलित करने के लिए मानसिक स्थिरता, नसों की मजबूती और वायु दोष का नियंत्रण जरूरी माना गया है. इसके लिए कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियां और घरेलू उपाय हैं, जिनके बारे में हम आपको यहां पर बता रहे हैं.

हकलाने और तुतलाने को ठीक करेगा 4 आयुर्वेदिक उपाय

'ब्राह्मी'

ब्राह्मी मस्तिष्क और वाणी की नसों को मजबूत करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है. इसे सुबह-शाम दूध के साथ लिया जा सकता है. वाचा बोलने की स्पष्टता बढ़ाने में मदद करता है, जबकि शंखपुष्पी डर और तनाव कम करती है. 

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'सारस्वतारिष्ट'

सारस्वतारिष्ट मानसिक तनाव और झिझक दूर करता है. अश्वगंधा नसों की कमजोरी और घबराहट को कम करता है. इसके अलावा, तेजपत्ता वात-कफ संतुलन में सहायक है और गले तथा जीभ को शुद्ध करता है. इसे चूर्ण, हल्का काढ़ा या भाप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

गायत्री मंत्र और ऊं जप करें 15 मिनट

वहीं, दिनचर्या और अभ्यास भी महत्वपूर्ण हैं. गायत्री मंत्र और ऊं जप रोज 15 मिनट करना, शंख ध्वनि अभ्यास, तेल का गरारा और कठिन अक्षरों का धीरे-धीरे अभ्यास वाणी को मजबूत बनाता है.

घी या तिल तेल मसाज करें

ठंडी चीजों से बचना और गले पर हल्का घी या तिल तेल मसाज करना भी फायदेमंद है. नींद पूरी लेना, मानसिक थकान कम करना और गर्म दूध, घी, बादाम, मूंग दाल, आंवला जैसी चीजें खाने से वाणी में सहजता आती है.

आयुर्वेद की मानें तो जब वात दोष संतुलित होता है, मानसिक भय शांत होता है और नसें मजबूत होती हैं, तो वाणी स्वतः स्पष्ट हो जाती है.

हकलाने या तुतलाने की समस्या शर्म की नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि वायु असंतुलित है. सही आहार, योग, मानसिक अभ्यास और आयुर्वेदिक औषधियों के संतुलन से वाणी में सहजता और स्पष्टता आती है. हालांकि, कोई भी आयुर्वेदिक औषधि बिना आयुर्वेदाचार्य की सलाह के न लें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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