विज्ञापन

महाराष्ट्र में दुर्लभ बीमारी गुलेन-बैरे सिंड्रोम से पहली संदिग्ध मौत, क्या है ये खतरनाक बीमारी? जानिए लक्षण, कारण और इलाज

Guillain-Barre Syndrome Death: पुणे के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट का इस दुर्लभ बीमारी से निधन हो गया. वह डीएसके विश्वा इलाके में रहते थे. यह व्यक्ति कुछ दिनों से दस्त से परेशान थे और निजी दौरे पर सोलापुर जिले के अपने गांव गए थे.

महाराष्ट्र में दुर्लभ बीमारी गुलेन-बैरे सिंड्रोम से पहली संदिग्ध मौत, क्या है ये खतरनाक बीमारी? जानिए लक्षण, कारण और इलाज
Guillain-Barre Syndrome: यह व्यक्ति कुछ दिनों से दस्त से परेशान थे.

Guillain-Barre Syndrome: महाराष्ट्र के पुणे में गुलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी से पहली संदिग्ध मौत की खबर आई है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गुलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से जुड़ी पहली संदिग्ध मौत सोलापुर से रिपोर्ट हुई है. आधिकारिक प्रेस नोट जारी कर विभाग ने इसकी जानकारी दी है, जिसके मुताबिक प्रदेश में जीबीएस के 101 बीमारों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं हैं. 19 बच्चे हैं, जिनकी उम्र 9 साल से कम है. 50 से लेकर 83 साल की उम्र के 23 मरीज हैं.16 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. विभाग के अनुसार 81 मरीज पुणे नगर निगम से, 14 पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम से और 6 अन्य जिलों के हैं. वहीं सोलापुर जिले से एक संदिग्ध की मौत की भी सूचना है.

क्या है संदिग्ध मौत का मामला?

मिली जानकारी के अनुसार, व्यक्ति कुछ दिनों से दस्त से परेशान था और निजी दौरे पर सोलापुर जिले के अपने गांव गए था. कमजोरी महसूस होने पर उन्हें सोलापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने जीबीएस का पता लगाया. उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें आईसीयू में रखा गया. हालांकि, उनकी स्थिति स्थिर होने पर उन्हें शनिवार को आईसीयू से बाहर लाया गया. लेकिन, उसी दिन सांस लेने में तकलीफ के चलते उनकी मौत हो गई. उनके रिश्तेदारों ने इस बात की जानकारी दी.

क्या है गुलेन-बैरे सिंड्रोम? | What Is Guillain-Barre Syndrome

जीबीएस एक दुर्लभ नर्व्स डिजीज है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है. इसके कारण अचानक सुन्नपन और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. इससे लकवा या कभी-कभी मौत भी हो सकती है.

पुणे में 73 मामले, 14 वेंटिलेटर पर

पुणे में जीबीएस के 73 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 14 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. शनिवार को 9 संदिग्ध मरीज पाए गए. पुणे नगर निगम ने इस बीमारी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं.

यह भी पढ़ें: रात को सोने से पहले ये काम करने से बढ़ जाता है बीमारियों का रिस्क, कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलती?

गुलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण | Guillain-Barre Syndrome Symptoms

पुणे नगर निगम अलर्ट मोड पर है और स्थिति से निपटने के लिए कई उपाय अपनाए हैं. पुणे सिविक बॉडी सोर्स के अनुसार, जीबीएस के लक्षणों में दस्त, पेट दर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल हैं.

गुलेन-बैरे सिंड्रोम के कारण | Causes of Guillain-Barre Syndrome 

सूत्रों ने कहा, “जीबीएस संक्रमण दूषित पानी या भोजन के सेवन से हो सकता है. संक्रमण से दस्त और पेट दर्द हो सकता है. कुछ व्यक्तियों में इम्यून सिस्टम नर्व्स को निशाना बनाती है, जिससे 1 से 3 हफ्ते के भीतर जीबीएस के बारे में पता चल जाता है. इसके अलावा, डेंगू, चिकनगुनिया वायरस या अन्य बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण इम्यून सिस्टम नर्व्स पर हमला करती है.

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से उबला हुआ पानी पीने और खुले में या बासी खाना खाने से बचने की सलाह दी है. अगर हाथ-पैरों की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी महसूस हो तो तुरंत परिवार के डॉक्टर से सलाह लें या नजदीकी सरकारी अस्पताल जाएं.

यह भी पढ़ें: चेहरे से डेड स्किन हटाने के लिए नारियल तेल में क्या मिलाकर लगाएं? जानिए ग्लोइंग स्किन का गजब नुस्खा

गुलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज | Guillain-Barre Syndrome Treatment

राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि हालांकि जीबीएस का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इसके लक्षण आमतौर पर सांस या पाचन तंत्र के संक्रमण के बाद दिखाई देने लगते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण, हालिया टीकाकरण, सर्जरी और न्यूरोपैथी इस सिंड्रोम को ट्रिगर कर सकते हैं. उन्होंने लोगों से घबराने की अपील नहीं की और कहा कि हालांकि जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी है लेकिन इसका इलाज संभव है.

इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे में एक टीम भेजी है जहां हाल ही में जीबीएस के प्रकोप से शहर के सिंहगढ़ क्षेत्र में 73 लोग प्रभावित हुए हैं.

इसके अलावा, लोक स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने कहा कि पुणे में जीबीएस के मरीजों की संख्या बढ़ी है. यह देखा गया है कि पानी से संक्रमण होता है. स्वास्थ्य विभाग ने उचित उपाय करने का आदेश दिया है. वर्तमान में, इस बीमारी को राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना 'महात्मा फुले जन आरोग्य योजना' में शामिल किया गया है. पहले, इस योजना के तहत निजी अस्पतालों को 80,000 रुपये दिए जाते थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 1.6 लाख रुपये कर दिया गया है.

अस्पतालों में जीबीएस के इलाज की पूरी तैयारी

स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि अगर अस्पताल इस बीमारी के इलाज के लिए अनावश्यक बिल वसूल कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि यह देखा गया है कि जब इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है तो जीबीएस होता है. आबिटकर ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अस्पतालों में जीबीएस का इलाज पूरी तरह से मुफ्त होगा. अस्पताल इसके लिए मरीजों से अतिरिक्त पैसा नहीं वसूल सकेंगे, इसलिए मरीजों पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा. पुणे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल में जीबीएस रोगियों का मुफ्त इलाज किया जाएगा.

Watch Video: डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में होते हैं ये बड़े बदलाव

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com