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Exclusive: कई बार एनेस्थीसिया इंजेक्शन देने पर असर क्यों नहीं होता? जानिए इसके पीछे का कारण और रिस्क

World Anaesthesia Day 2025: कई बार मरीज को एनेस्थीसिया देने के बाद भी वह बेहोश नहीं होता. आखिर ऐसा क्यों होता है? इस सवाल का जवाब देने के लिए एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद के एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. दिवेश अरोड़ा ने विस्तार से जानकारी दी.

Exclusive: कई बार एनेस्थीसिया इंजेक्शन देने पर असर क्यों नहीं होता? जानिए इसके पीछे का कारण और रिस्क
World Anaesthesia Day 2025: कई बार मरीज को एनेस्थीसिया देने के बाद भी वह बेहोश नहीं होता.

World Anaesthesia Day 2025: सर्जरी के दौरान दर्द से राहत देने के लिए एनेस्थीसिया का इस्तेमाल एक आम और जरूरी प्रक्रिया है. चाहे बड़ी सर्जरी हो या छोटी, मरीज को आराम देने और प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए एनेस्थीसिया दिया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कभी-कभी यह प्रक्रिया पूरी तरह काम नहीं करती? ऐसे मामले सामने आए हैं जब मरीज को सर्जरी के दौरान दर्द महसूस हुआ या वह पूरी तरह बेहोश नहीं हो पाया. आखिर ऐसा क्यों होता है? इस सवाल का जवाब देने के लिए एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद के एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ. दिवेश अरोड़ा ने विस्तार से जानकारी दी.

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एनेस्थीसिया के प्रकार और उनकी चुनौतियां

डॉ. अरोड़ा के अनुसार, एनेस्थीसिया को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है: लोकल, रीजनल और जनरल एनेस्थीसिया. हर प्रकार की अपनी विशेषताएं और सीमाएं होती हैं.

लोकल एनेस्थीसिया

यह शरीर के एक छोटे हिस्से को सुन्न करने के लिए दिया जाता है और अक्सर सर्जन खुद इसे देते हैं. लेकिन, कुछ मामलों में यह असर नहीं करता। उदाहरण के लिए, जिन लोगों को कभी बिच्छू ने डंक मारा हो, उनके शरीर में मौजूद विष लोकल एनेस्थीसिया के असर को रोक सकता है. यह जहर उन न्यूरल चैनलों को प्रभावित करता है जिन पर एनेस्थीसिया काम करता है. इसलिए मरीज की मेडिकल हिस्ट्री जानना बेहद जरूरी है.

रीजनल एनेस्थीसिया

यह शरीर के एक बड़े हिस्से को सुन्न करता है, जैसे स्पाइनल या एपिड्यूरल एनेस्थीसिया. इसमें असर न होने के पीछे कारण हो सकता है, गलत डोज या गलत स्थान पर दवा देना. अगर दवा सही जगह नहीं पहुंचती या मात्रा कम होती है, तो मरीज को दर्द महसूस हो सकता है.

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जनरल एनेस्थीसिया

जनरल एनेस्थीसिया पूरे शरीर को बेहोश करता है और आमतौर पर सबसे प्रभावी माना जाता है. डॉ. अरोड़ा इसे कार की स्टेपनी से तुलना करते हैं, अगर कुछ गड़बड़ हो जाए, तो यह बैकअप की तरह काम करता है. हालांकि, कुछ मामलों में इसका असर देर से होता है, खासकर उन मरीजों में जो एपिलेप्सी की दवाएं ले रहे होते हैं. ये दवाएं लिवर के एंजाइम्स को एक्टिव कर देती हैं, जिससे एनेस्थीसिया जल्दी मेटाबोलाइज हो जाता है और असर कम हो जाता है. ऐसे में डोज बढ़ानी पड़ती है.

एक्सीडेंटल अवेयरनेस

जनरल एनेस्थीसिया की एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जटिलता है Accidental Awareness Under General Anesthesia. इसका मतलब है कि मरीज बेहोश होने के बावजूद सर्जरी के दौरान कुछ बातें सुन या महसूस कर सकता है. यह स्थिति लगभग 1000 में से 1 या 2 मामलों में देखी जाती है.

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इसके पीछे तीन मुख्य कारण हो सकते हैं:

पेशेंट फैक्टर: जैसे ट्रॉमा के मरीज जिनका ब्लड प्रेशर बहुत कम होता है.
सर्जरी फैक्टर: कार्डियक सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रियाएं.
एनेस्थीसिया फैक्टर: उपकरण की गड़बड़ी, जैसे डोज दिख रही हो लेकिन वास्तव में डिलीवर न हो रही हो.

एनेस्थीसिया एक जटिल लेकिन जीवनरक्षक प्रक्रिया है. इसके असरदार होने के लिए सही डोज, सही तकनीक और मरीज की पूरी मेडिकल हिस्ट्री जानना जरूरी है. हालांकि जनरल एनेस्थीसिया आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन इसके कुछ दुर्लभ जोखिम भी हैं जिनसे सतर्क रहना जरूरी है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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