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माइग्रेन वाले लोगों के लिए डॉक्टर ने बताया सही इलाज, जानें कैसे करें पहचान, ट्रिगर फैक्टर और लक्षण

डॉक्टर ने यह भी बताया कि अगर लाइफस्टाइल में सुधार नहीं किया गया, तो माइग्रेन के अटैक बढ़ सकते हैं. इसलिए, अच्छी लाइफस्टाइल और स्ट्रेस मैनेजमेंट जरूरी है, ताकि हम माइग्रेन को प्रभावी ढंग से कंट्रोल कर सकें.

माइग्रेन वाले लोगों के लिए डॉक्टर ने बताया सही इलाज, जानें कैसे करें पहचान, ट्रिगर फैक्टर और लक्षण
Medicine For Migraine Pain: माइग्रेन के ट्रिगर फैक्टर में शोर, तनाव या लगातार ध्वनि का संपर्क शामिल हो सकता है.

माइग्रेन एक बेहद पीड़ादायक सिरदर्द है. तनाव, हार्मोनल बदलाव, अनियमित नींद माइग्रेन का कारण हो सकते हैं. सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर बिभु आनंद ने इसके कारण, उपचार और बचाव को लेकर हमसे बात की. डॉक्टर बिभु आनंद बताते हैं कि माइग्रेन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो आमतौर पर यंग वूमन में ज्यादा देखी जाती है. इस दौरान सिर के एक हिस्से में दर्द ज्यादा होता है, जैसे कि टेम्पोरल या फ्रंटल साइड.

माइग्रेन के ट्रिगर फैक्टर (Migraine Trigger Factors)

माइग्रेन के ट्रिगर फैक्टर में शोर, अचानक तनाव या लगातार ध्वनि का संपर्क शामिल हो सकता है, जिससे मरीज को तेज सिरदर्द का सामना करना पड़ता है. हालात ऐसे होते हैं कि मरीज को संभालना तक मुश्किल हो जाता है. तो फिर कंट्रोल कैसे करें?

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डॉक्टर की सलाह...

डॉक्टर आनंद कहते हैं, हम मरीजों को सलाह देते हैं कि ज्यादा तनाव न लें, वर्क लाइफ बैलेंस बनाए रखें और अच्छी डाइट लें. उन्होंने बताया कि कभी-कभी लोग ज्यादा कार्यभार के कारण ठीक से खाना-पीना छोड़ देते हैं या जरूरी नींद पूरी नहीं कर पाते हैं, जो माइग्रेन अटैक की आशंका बढ़ जाती है. इसके शुरुआती लक्षणों की बात करें तो मरीज आंखों के पीछे या सिर के एक हिस्से में दर्द की शिकायत करते हैं. ऐसे में अगर शुरुआती लक्षण दिखें तो क्या करें?

माइग्रेन की पहचान कैसे करें? (How To Identify Migraine)

डॉक्टर बिभु आनंद बताते हैं कि माइग्रेन की पहचान के लिए सबसे पहले आंखों की जांच करनी होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य कारण नहीं है. इसके बाद इलेक्ट्रोलाइट संतुलन की जांच की जाती है. अगर सभी टेस्ट सामान्य होते हैं, तो यह माना जाता है कि मरीज को माइग्रेन का अटैक हुआ है.

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माइग्रेन का इलाज (Migraine Treatment)

माइग्रेन के उपचार में दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल में सुधार भी बहुत जरूरी है. डॉक्टर बिभु आनंद ने बताया कि माइग्रेन से राहत पाने के लिए 'नेप्रोक्सन' टेबलेट दी जा सकती है और डोमपेरिडोन के कंबिनेशन की एक अन्य टैबलेट 'नैक्सडोम' भी उपयोगी होती है, लेकिन हां, अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसका उपयोग करें. इसके अलावा पर्याप्त नींद लेना और नियमित व्यायाम करना भी जरूरी है.

डॉक्टर ने क्या कहा?...

डॉक्टर ने यह भी बताया कि अगर लाइफस्टाइल में सुधार नहीं किया गया, तो माइग्रेन के अटैक बढ़ सकते हैं. इसलिए, अच्छी लाइफस्टाइल और स्ट्रेस मैनेजमेंट जरूरी है, ताकि हम माइग्रेन को प्रभावी ढंग से कंट्रोल कर सकें. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से और स्क्रीन टाइम बढ़ाने से भी सिरदर्द की समस्या पैदा हो सकती है. जब हम किसी काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो ब्रेन के अंदर सीएसएफ (सिरब्रोस्पाइनल लिक्विड) का मार्ग प्रभावित होता है, जिससे सिरदर्द की संभावना बढ़ जाती है. अगर हम लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहते हैं, जैसे सुबह 8-9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक और केवल आधे घंटे या एक घंटे का ब्रेक लेते हैं, तो सीएसएफ का फ्लो सही ढंग से नहीं हो पाता.

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दीमक की तरह है तनाव:

उन्होंने कहा कि जैसे मोबाइल फोन ज्यादा उपयोग से हैंग हो जाता है, उसी तरह अगर हम अपने शरीर का ज्यादा उपयोग करेंगे, तो इससे माइग्रेन जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. तनाव भी एक दीमक की तरह होता है, जो हमारे शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है, जिससे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, माइग्रेन और टेंशन टाइप सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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