नासिक महानगरपालिका चुनाव से ठीक पहले नाशिक भाजपा में बड़ी बगावत देखने को मिल रही है. उद्धव गुट के पूर्व महापौर विनायक पांडे, यतीन वाघ और कांग्रेस के शाहू खैरे के पार्टी में प्रवेश ने आंतरिक कलह को सड़क पर ला दिया है. भाजपा विधायक देवयानी फरांदे इस पार्टी प्रवेश से इतनी आहत हुईं कि कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय वे मंच पर ही रो पड़ीं. उन्होंने कहा कि "सामान्य कार्यकर्ताओं की बलि दी जा रही है, जो मुझे कतई पसंद नहीं आया."
जब इन नेताओं का पार्टी प्रवेश चल रहा था, तब देवयानी फरांदे वहां से निकल गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है और दलाल हावी हैं. इन नेताओं के प्रवेश के विरोध में देवयानी फरांदे अपने समर्थकों के साथ भाजपा कार्यालय पहुंचीं. वहां उन्होंने जमकर अपनी नाराजगी जाहिर की और वरिष्ठ नेताओं के सामने अपना पक्ष रखा.
विधायक फरांदे का आरोप है कि पार्टी के लिए 40 साल से खून-पसीना एक करने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर उन लोगों को रेड कारपेट दिया जा रहा है, जिन्होंने हमेशा भाजपा का विरोध किया. उन्होंने कहा कि कुछ 'दलालों' ने अपने स्वार्थ के लिए वरिष्ठ नेताओं को गलत जानकारी दी और यह पार्टी प्रवेश कराया. चेतावनी दी कि अगर पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई तो चुनाव में इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
खास बात ये है की ये पूरा ड्रामा पार्टी के संकटमोचक माने जाने वाले मंत्री गिरीश महाजन की मौजूदगी में हुआ. फरांदे ने कहा कि वे महाजन से नाराज नहीं हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्हें अंधेरे में रखकर यह निर्णय लिया गया, वह गलत है. इस घटना ने नाशिक में भाजपा की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एक ओर पार्टी अन्य दलों के बड़े चेहरों को जोड़कर ताकत बढ़ाना चाहती है, वहीं घर के भीतर की इस चिंगारी ने नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है.
उधर, देवयानी फरांदे के विरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए गिरीश महाजन ने कहा कि "लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी के हित में लिया जाता है."
महाजन ने कहा कि किसी पर कोई अन्याय नहीं होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि पुराने चेहरों का सम्मान बरकरार रहेगा, लेकिन चुनाव जीतने के लिए समीकरणों को बदलना पड़ता है. भाजपा का मानना है कि इन बड़े नामों के आने से नाशिक महानगरपालिका में पार्टी की जीत की राह आसान हो जाएगी, भले ही स्थानीय स्तर पर कुछ समय के लिए असंतोष पैदा हो.
प्रांजल कुलकर्णी की रिपोर्ट
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