ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है. आमतौर पर टीबी की पहचान के लिए लक्षणों और चेस्ट एक्स-रे का सहारा लिया जाता है, लेकिन हाल ही में द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक स्टडी ने इस पारंपरिक पद्धति पर सवाल उठाए हैं. स्टडी के अनुसार, टीबी मरीजों के नजदीकी परिजनों में संक्रमण की पहचान के लिए चेस्ट एक्स-रे पर्याप्त नहीं है, खासकर जब वे बिना लक्षणों वाले (एसिम्प्टोमैटिक) हों.
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क्या कहती है स्टडी?
साउथ अफ्रीका की केप टाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तीन समुदायों में पल्मोनरी टीबी (फेफड़ों का क्षयरोग) से पीड़ित मरीजों के 979 परिजनों पर अध्ययन किया। उन्होंने इन परिजनों की यूनिवर्सल स्प्यूटम माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग (बलगम जांच) और सिस्टमैटिक स्क्रीनिंग की.
शोधकर्ताओं ने दो प्रमुख तरीकों की तुलना की:
- लक्षणों पर आधारित जांच (जैसे खांसी, बुखार, वजन कम होना)
- चेस्ट रेडियोग्राफ (एक्स-रे में टीबी की संभावित असामान्यता)
चौंकाने वाले आंकड़े:
- 5.2% परिजनों में टीबी की पुष्टि हुई.
- इनमें से 82.4% में कोई लक्षण नहीं थे.
- चेस्ट एक्स-रे 40% मामलों में संक्रमण पकड़ नहीं पाया.
यह दर्शाता है कि पारंपरिक स्क्रीनिंग विधियां एसिम्प्टोमैटिक टीबी की पहचान में कमजोर हैं.
एसिम्प्टोमैटिक टीबी: एक छिपा हुआ खतरा
एसिम्प्टोमैटिक टीबी उन लोगों में होता है जिनमें टीबी के सामान्य लक्षण जैसे खांसी, बुखार, रात में पसीना आना या वजन कम होना नहीं दिखते. कई बार लोग इन लक्षणों को पहचान नहीं पाते या रिपोर्ट नहीं करते.
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स्टडी में पाया गया कि:
- इन मरीजों में बैक्टीरियल लोड बहुत कम था.
- सीरम सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर भी सामान्य था.
- ये लोग क्लिनिक में आने वाले सिम्प्टोमैटिक मरीजों से अलग थे.
स्क्रीनिंग की सीमाएं
- एसिम्प्टोमैटिक टीबी के लिए चेस्ट एक्स-रे की सेंसिटिविटी सिर्फ 56.1% थी.
- लक्षण और एक्स-रे दोनों मिलाकर भी सेंसिटिविटी 64.0% ही रही.
इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में संक्रमित लोग पारंपरिक जांच से छूट जाते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार:
- 2023 में अनुमानित 10.8 मिलियन टीबी मरीजों में से.
- लगभग 2.7 मिलियन (25%) का निदान या इलाज नहीं हो पाया.
इन "लापता मरीजों" को ढूंढना और उनका इलाज करना बेहद ज़रूरी है, लेकिन चुनौती यह है कि इनमें से ज्यादातर में कोई लक्षण नहीं होते.
डॉ. साइमन सी. मेंडेलसोहन, जो साउथ अफ्रीकन ट्यूबरकुलोसिस वैक्सीन इनिशिएटिव से जुड़े हैं, कहते हैं: "हमारे नतीजे बताते हैं कि लक्षणों और चेस्ट एक्स-रे पर आधारित स्क्रीनिंग विधियाँ समुदाय में टीबी की पहचान के लिए पर्याप्त नहीं हैं."
स्क्रीनिंग पद्धतियों में बदलाव की जरूरत
यह स्टडी स्पष्ट करती है कि टीबी की पहचान के लिए सिर्फ लक्षणों और एक्स-रे पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है. खासतौर से एसिम्प्टोमैटिक मामलों में माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्टिंग जैसे आधुनिक और सटीक तरीकों की जरूरत है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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