अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का नियमित सेवन और खराब लाइफस्टाइल के कारण भारत में 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. डॉक्टरों ने बताया है कि भारत के युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स, तंबाकू और शराब का बढ़ता सेवन, खराब लाइफस्टाइल, मोटापा और तनाव शामिल हैं. इसके पीछे पर्यावरण प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण कारण है. भारत के कई शहरों में हाइ लेवल का प्रदूषण है, जो कई प्रकार के कैंसर को जन्म देता है.
वायु और जल प्रदूषण व्यक्तियों को कार्सिनोजेनिक पदार्थों के संपर्क में लाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. ज्यादातर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करने और खराब लाइफस्टाइल से भारतीय युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामले देखे जा सकते हैं.
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फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के हेमेटोलॉजी और बीएमटी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. राहुल भार्गव ने आईएएनएस को बताया, ''अनहेल्दी तत्वों से भरपूर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का अधिक सेवन, फिजिकल एक्टिविटी का कम होना स्वास्थ्य संकट पैदा कर रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ''इस खतरनाक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए हेल्दी डाइट रिलेटेड हैविट और एक बेहतर लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है.''
दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी संस्था कैंसर फ्री भारत फाउंडेशन के एक हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में कैंसर के 20 प्रतिशत मामले अब 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में पाए जा रहे हैं. अध्ययन से पता चलता है कि इन युवा कैंसर रोगियों में 60 प्रतिशत पुरुष हैं, जबकि बाकि 40 प्रतिशत महिलाएं हैं. इसमें पुरुष ज्यादा प्रभावित हैं, इसके पीछे तंबाकू के उपयोग और बेकार लाइफस्टाइल कारण हो सकते हैं.
यूनिक हॉस्पिटल कैंसर सेंटर दिल्ली के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर और सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. आशीष गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, ''हमारे देश में मोटापे की बढ़ते मामले, डाइट रिलेटेड हैविट, खासतौर पर प्रोसेस्ड फूड्स की खपत में वृद्धि और खराब लाइफस्टाइल कैंसर के माले से जुड़ी हैं.'' डॉक्टरों ने युवाओं में बढ़ते कैंसर मामले से निपटने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया.
'कैंसर फ्री भारत कैंपेन' का नेतृत्व कर रहे डॉ. आशीष ने वयस्कों में कैंसर की बढ़ती दर से निपटने के लिए सरकार, हेल्थ वर्कर और कम्यूनिटी के संयुक्त प्रयासों पर महत्व दिया. उन्होंने कहा, ''हेल्दी हवा और पानी, रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी और होल्दी फूड तक पहुंच को बढ़ावा देने वाली नीतियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके अलावा हमें समय से इसकी पहचान और उपचार सुनिश्चित करने के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए.''
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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