
Study on Smell Loss and Early Death: हमारी नाक सिर्फ सूंघने का काम नहीं करती, यह हमारी सेहत का एक गुप्त संकेतक भी हो सकती है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्टडी की है जिसने सबको चौंका दिया. इस स्टडी के अनुसार, अगर आपकी गंध पहचानने की क्षमता कमजोर हो रही है, तो यह आपके शरीर में किसी गंभीर बीमारी या उम्र से जुड़ी कमजोरी का संकेत हो सकता है. यहां तक कि यह मृत्यु दर से भी जुड़ा हो सकता है.
यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन विज्ञान कहता है कि हमारी नाक सिर्फ फूलों की खुशबू या खाने की महक पहचानने के लिए नहीं बनी है. यह हमारे शरीर की अंदरूनी स्थिति को भी दर्शाती है. आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से और समझते हैं कि कैसे गंध की क्षमता हमारी लाइफ स्पैन से जुड़ी हो सकती है.
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क्या कहती है स्टडी?
हाल ही में एक स्टडी JAMA Otolaryngology में प्रकाशित हुई है, जो बताती है कि गंध पहचानने की क्षमता में कमी और मृत्यु दर के बीच गहरा संबंध है. इस स्टडी में 3,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 57 से 85 साल के बीच थी. इन लोगों को 5 सामान्य गंधों, गुलाब, पुदीना, चमड़ा, संतरा और मछली की पहचान करने के लिए टेस्ट दिया गया.
5 साल बाद जब इन प्रतिभागियों की सेहत का विश्लेषण किया गया, तो पाया गया कि जिन लोगों ने गंध पहचानने में पूरी तरह असफलता दिखाई थी, उनमें से 39 प्रतिशत की मृत्यु हो चुकी थी. वहीं जिनकी गंध पहचानने की क्षमता थोड़ी कमजोर थी, उनमें मृत्यु दर 19 प्रतिशत रही.
गंध और दिमाग का संबंध (Connection Between Smell And Brain)
गंध पहचानने की प्रक्रिया सीधे हमारे दिमाग से जुड़ी होती है. जब यह क्षमता कमजोर होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि दिमाग में न्यूरोलॉजिकल बदलाव हो रहे हैं, जैसे अल्ज़ाइमर या पार्किंसन जैसी बीमारियों की शुरुआत. इसके अलावा, गंध की कमी से भूख कम लगती है, जिससे कुपोषण, कमजोरी और शरीर की इम्यूनिटी घट सकती है.
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किन कारणों से गंध पहचानने की क्षमता घटती है?- (What Causes Loss of Smell?)
- उम्र बढ़ने के साथ नाक की सेंसिटिविटी कम होती है.
- न्यूरोलॉजिकल बीमारियां जैसे डिमेंशिया, अल्जाइमर.
- लंबे समय तक धूम्रपान या प्रदूषण के संपर्क में रहना.
- सिर पर चोट या संक्रमण.
- कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट
क्या करें?
- अगर आपको लगता है कि आप रोजमर्रा की गंधों को पहचान नहीं पा रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लें.
- हेल्दी डाइट लें जिसमें विटामिन B12, जिंक और ओमेगा-3 शामिल हो.
- दिमाग को एक्टिव रखने के लिए पजल्स, योग और ध्यान करें.
- धूम्रपान और बहुत ज्यादा शराब से बचें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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