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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जन्म से पहले ही लगाएगा बच्चे की सेहत और मेंटल ग्रोथ का सही अनुमान, जानें कैसे

Artificial Intelligence in IVF: आईवीएफ और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से माता-पिता जन्म से पहले ही बच्चे के हेल्थ और मेंटल डेवलपमेंट के रिस्क का इवेल्युवेशन कर सकते हैं. यह प्रोसेस बीमारियों को कम करती है और बच्चे की क्वालिटी ऑफ लाइफ को बढ़ाने में मदद करती है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जन्म से पहले ही लगाएगा बच्चे की सेहत और मेंटल ग्रोथ का सही अनुमान, जानें कैसे
इस प्रोसेस के अंतर्गत माता-पिता को एक डीटेल्ड रिपोर्ट प्राप्त होती है.

Artificial Intelligence in IVF: आज की विज्ञान और टेक्नीक की दुनिया में इंसान जीवन के कई पहलुओं को पहले से कहीं ज्यादा कंट्रोल कर सकता है. जन्म से पहले ही बच्चे के हेल्थ और जीवन के कई पहलुओं को आकार देने की संभावना अब सच बन गई है. आईवीएफ और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस को मिलाकर इस्तेमाल करने से माता-पिता अपने आने वाले बच्चों के लिए बेहतर निर्णय ले सकते हैं. एडवांस्ड टेक्नोलॉजी केवल रोगों की रोकथाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छोटे-छोटे गुणों और मानसिक हेल्थ के रिस्क का भी अनुमान लगाने में सक्षम है. इस प्रोसेस से न केवल माता-पिता को सुरक्षा का भरोसा मिलता है, बल्कि बच्चे के जीवन की क्वालिटी को बढ़ाने में भी मदद मिलती है.

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पहले रेंडमली करते थे चुनाव

आईवीएफ प्रोसेस के माध्यम से अब माता-पिता अपने बच्चे के हेल्थ को जन्म से पहले प्रभावित कर सकते हैं. पहले डॉक्टर प्रयोगशाला में कई भ्रूण तैयार करते थे और ट्रांस्प्लांट के लिए किसी को रेंडमली चुनते थे. लेकिन अब हेरासाइड जैसी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके हर एक भ्रूण की डीप स्टडी करती हैं. इस टेक्नीक के माध्यम से हर एक भ्रूण को एक नंबर दिया जाता है, जो कई बीमारियों जैसे डायबिटीज, कैंसर और मानसिक हेल्थ रिस्क को दर्शाता है.

खतरा 20 से 40% तक कम किया जा सकता है

इस प्रोसेस के अंतर्गत माता-पिता को एक डीटेल्ड रिपोर्ट प्राप्त होती है, जिसमें हर एक भ्रूण के हेल्थ और संभावित रिस्क का विवरण होता है. रिपोर्ट की स्टडी करने के बाद वे यह तय कर सकते हैं कि कौन सा भ्रूण ट्रांसप्लांट के लिए सबसे उपयुक्त है. विशेषज्ञों के अनुसार सही भ्रूण का चयन करने से भविष्य में गंभीर बीमारियों का खतरा 20 से 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.

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लाइफ क्वालिटी को बेहतर बनाना

हालांकि, इस प्रोसेस का उद्देश्य पूरी तरह इंसान का निर्माण नहीं है, बल्कि बच्चे के जीवन की क्वालिटी को बेहतर बनाना है. यह टेक्नीक माता-पिता को जन्म से पहले ही कुछ कंट्रोल का मौका प्रदान करती है, जिससे उनके बच्चे के हेल्दी और बुद्धिमान होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

इसके साथ ही, नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से इस टेक्नीक पर गंभीर चर्चा की जा रही है. कई लोग इसे एक सकारात्मक पहल मानते हैं, जबकि कुछ इसे नैतिक दुविधाओं से जोड़कर देखते हैं. फिर भी विज्ञान और टेक्नीक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में माता-पिता को अपने बच्चों के लिए रिस्पॉंसिबल और जानकारी भरा निर्णय लेने का मौका मिलेगा.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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