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This Article is From Apr 22, 2024

"बंदर या चूहा नहीं, शेर बनो", आईआईटी प्रोफेशनल्स को आचार्य प्रशांत ने क्यों दी ऐसी सीख?

Competition and stress in student life || Acharya Prashant: लेखक, विचारक और इंफ्लूएंसर आचार्य प्रशांत (Acharya prashant) की सलाह है कि आईआईटी प्रोफेशनल्स खुद को भेड़ समझना बंद करें.  वो शेर हैं तो शेर की तरह सोच रखें.

"बंदर या चूहा नहीं, शेर बनो", आईआईटी प्रोफेशनल्स को आचार्य प्रशांत ने क्यों दी ऐसी सीख?
Competition and stress in student life || Acharya Prashant: शेर बनें और बड़ी सोच रखें.. जानिए छात्रों के लिए आचार्य प्रशांत के सुझाव

Competition and stress in student life || Acharya Prashant: आईआईटी में सिलेक्शन और पूरा कोर्स करने के बावजूद क्या आपको खुद पर भरोसा नहीं है. क्या आपको लगता है कि आपका लक्ष्य सिर्फ एक अच्छी नौकरी, एक अच्छी लड़की और विदेशी विजा हासिल करना है? अगर इस सवालों का जवाब आप हां में दे रहे हैं, तो शायद आप भी उस भेड़चाल का हिस्सा बन चुके हैं. जिसमें तकरीबन हर प्रोफेशनल विद्यार्थी हिस्सा बन रहा है.

लेखक, विचारक और इंफ्लूएंसर आचार्य प्रशांत (Acharya prashant) की सलाह है कि आईआईटी प्रोफेशनल्स खुद को भेड़ समझना बंद करें.  वो शेर हैं तो शेर की तरह सोच रखें. एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने आईआईटी स्टूडेंट को कुछ खास टिप्स दिए.

मन से गुलाम मत बनो

आचार्य प्रशांत ने कहा कि जिस के पास दुनिया का ज्ञान नहीं है, उसे मन दबाकर जीना पड़ता है. गुलामी करनी पड़ती है कभी बॉस की तो कभी सीनियर की. एक आम डिग्री रखने वाले और आईआईटी करने वाले में क्या अंतर रह जाएगा फिर.

किसी छोटी कंपनी के बॉस से ऑर्डर लो और उसके लिए मुनाफा लाओ या किसी बड़ी कंपनी के बॉस से ऑर्डर लो और उसके आदेश मानो. इसमें अंतर क्या है. दोनों ही एक किस्म की गुलामी ही तो है. आईआईटी प्रोफेशनल्स को इससे ऊपर उठना चाहिए. आप बड़े युद्ध के लिए तैयार हुए हैं. आपके पास बड़ा रिसोर्स है. आपको जान लड़ाना सीखना चाहिए. दूसरों से ज्यादा कॉम्पिटेटिव होना चाहिए.

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बंदर या चूहा नहीं शेर बनो

आचार्य प्रशांत ने सलाह दी कि आईआईटी प्रोफेशनल्स को बंदर या चूहे के जैसी सोच नहीं रखनी चाहिए. बंदर या चूहा भी रोज उठते हैं. खाने पीने और सोने की फिक्र करते हैं. रोजी रोटी तो ये जानवर भी कमा ही रहे हैं. आप उनसे अलग कैसे हो. आपको अपने मन से बड़ा होना है.

अपने मन की जमीन के आप ही शेर हो. जिन्हें खुद ऐसे रास्ते बनाने हैं जो सिंहासन की तरफ ले जाते हों न कि गुलामी की तरफ. इसलिए खुद को बड़े काम के लिए तैयार रखें. बड़ी सोच रखें और बड़ा ही सोचें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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