आम जनता हार्ट अटैक को मध्यम आयु और वृद्ध पुरुषों के लिए सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा मानती है. परंतु क्या महिलाएं वास्तव में सुरक्षित हैं, क्या उनके हार्ट अटैक के लक्षण अलग होते हैं और क्या हार्ट अटैक के बाद उनके परिणाम महिलाओं में पुरुषों से अलग हैं? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए हमने बात कि (डॉ. राजीव अग्रवाल, से जो साकेत मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के प्रिंसिपल और डायरेक्टर यूनिट हैड है.) तो चलिए जानते हैं क्या है डॉक्टर के जवाब.
1. क्या महिलाओं को पुरुषों की तुलना में हार्ट अटैक होने का खतरा कम होता है?
महिलाओं को हार्ट अटैक आने की औसत आयु पुरुषों की तुलना में 10 वर्ष बाद होती है, फिर भी उनकी मृत्यु दर पुरुषों से कम नहीं होती है. WHO 2010 के अनुसार महिलाओं में मृत्यु का सबसे आम कारण कोरोनरी हार्ट डिजीज (CHD) है. 65 वर्ष की आयु के बाद, महिलाओं को हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोग होने का जोखिम पुरुषों के समान ही होता है. महिलाओं में हार्ट अटैक पुरुषों की तुलना लगभग दुगुना अधिक जानलेवा होता है. आजकल युवतियों में भी ज्यादा हार्ट अटैक हो रहे हैं. उनमें अक्सर असामान्य लक्षण होते हैं जिससे डायग्नोसिस में देर हो सकती है.
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2. महिलाओं में मेनोपॉज से पहले और बाद में हृदय स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? हृदय के लिए हार्मोन थेरेपी के क्या खतरे हैं?
मेनोपॉज के कारण वजन बढ़ता है, पेट में चर्बी जमा होती है, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल होता है. इन सब से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. समय से पहले मेनोपॉज (40 की उम्र से पहले) से दिल का दौरा और हार्ट फेल्यर का खतरा भी बढ़ जाता है. पॉलीसिस्टिक अंडाशय रोग (PCOD) और हार्मोन थेरेपी भी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है. गर्भनिरोधक गोलियां blood clot, high blood pressure, दिल का दौरा और यहां तक कि स्ट्रोक को भी बढ़ा सकती हैं. यह मुख्य रूप से वृद्ध महिलाओं, धूम्रपान करने वालों और उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसे अन्य जोखिम वाली महिलाओं पर ही लागू होता है. इसलिए ये गोलियां आमतौर पर स्वस्थ महिलाओं के लिए उपयुक्त हैं. सावधानी बरतना और रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना ही उचित होगा.
3. युवतियों में हृदय रोग के लिए क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए?
पुरुषों और महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम कारक समान हैं, लेकिन महिलाओं पर धूम्रपान, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का पुरुषों की तुलना में अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. Early मेनोपॉज, पीसीओडी, कम वजन वाले बच्चे का जन्म होना, बाद के जीवन में हृदय रोग का खतरा बढ़ा देता है. इसी तरह गर्भावस्था में मधुमेह या उच्च रक्तचाप होने से बाद के जीवन में हृदय रोग का खतरा 2-3 गुना बढ़ जाता है. ऐसी महिलाओं को हृदय जोखिम के लिए नियमित निगरानी और उपचार करवाना चाहिए.
4. महिलाओं को कितने समय में हेल्थ चेक परीक्षण करवाना चाहिए?
जो महिलाएं पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उन्हें हर 2-3 साल में एक बार परीक्षण करवाना चाहिए. कम उम्र की युवतियों को 5 साल में एक बार परीक्षण करवाना चाहिए.
5. दिल के दौरे के कुछ कम ज्ञात लक्षण क्या हैं?
महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण अक्सर असामान्य होते हैं. सीने में तेज दर्द के बजाय, उन्हें सांस लेने में तकलीफ, जबड़े और कंधे में दर्द, मतली, उल्टी, बेहोशी, चक्कर आना, सुस्ती आदि हो सकते हैं. इसलिए किसी भी असामान्य लक्षण के लिए जांच अवश्य करवाएं.
6. भविष्य में दिल की सेहत के लिए महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए खास तौर पर 30 और 40 की उम्र में?
आम जनता में इस बात के प्रति अधिक जागरूकता पैदा करना होगी कि दिल की बीमारी महिलाओं को भी हो सकती है और इसके लक्षण असामान्य हो सकते हैं. मेनोपॉज की उम्र के बाद,और उससे पहले भी, महिलाओं को स्वास्थ्यपूर्ण जीवन शैली अपनानी चाहिए और नियमित हेल्थ चेक उप करवाने चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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