विज्ञापन
This Article is From Aug 07, 2018

भारत में हर 5वीं औरत को है यह बीमारी, जानें इससे बचने के उपाय

पीसीओएस महिलाओं को अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, चिंता और अवसाद, स्लीप एप्निया, दिल का दौरा, मधुमेह और एंडोमेट्रियल, डिम्बग्रंथि व स्तन कैंसर के लिए कमजोर बना सकता है.

भारत में हर 5वीं औरत को है यह बीमारी, जानें इससे बचने के उपाय
नई दिल्ली:

PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) वाली महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों में ऑटिज्म होने की अधिक संभावना हो सकती है. एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है. अध्ययन के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक महिला polycystic ovary syndrome (PCOS), पीसीओएस से प्रभावित होती है. हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "लड़कियों और महिलाओं के बीच पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक मूल्यांकन, समय पर हस्तक्षेप और उचित उपचार की आवश्यकता होती है. सही समय पर निदान न होने पर पीसीओएस महिलाओं को अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, चिंता और अवसाद, स्लीप एप्निया, दिल का दौरा, मधुमेह और एंडोमेट्रियल, डिम्बग्रंथि व स्तन कैंसर के लिए कमजोर बना सकता है."

उन खास पलों के बाद Climax हमेशा नहीं देता ‘सुख’!

जानें पूरा सच: क्या खाने से बढ़ती है पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता!

उन्होंने कहा, "आजकल, इस स्थिति के लिए एक अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न और बैठे रहने वाला जीवन प्रमुख जोखिम कारक बन गए हैं. पीसीओएस में इंसुलिन का स्तर भी सामान्य से अधिक स्तर तक बढ़ता है, जो वजन बढ़ने और अन्य मुद्दों का कारण बन सकता है."

क्या होते हैं लक्षण
डॉ. अग्रवाल ने पीसीओएस के विशिष्ट लक्षणों के बारे में बताया कि वजन बढ़ना, थकान, अवांछित बाल उगना, बाल पतले होना, बांझपन, मुंहासे, पैल्विक पेन, सिर दर्द, नींद की समस्याएं और मूड स्विंग आदि शामिल हैं. ज्यादातर लक्षण युवावस्था के तुरंत बाद शुरू होते हैं और वे देर से किशोरों और प्रारंभिक वयस्कता में भी विकसित हो सकते हैं.

प्रेगनेंसी के दौरान सेक्‍स करते वक्‍त न करें ये गलतियां

सेक्‍स के दौरान होने वाली इन कॉमन इन्‍जरी के बारे में जानते हैं आप...

बचाव के उपाय
- पीसीओएस ठीक नहीं हो सकता, लेकिन इसे शरीर का वजन पांच से 10 प्रतिशत तक कम कर और जीवनशैली में बदलाव लाकर प्रबंधित किया जा सकता है. 
- साथ ही सक्रिय दिनचर्या बनाए रखना और स्वस्थ भोजन करना भी महत्वपूर्ण है. 
- बदले में यह मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करेगा.

‘उन पलों’ के बाद कितना जरूरी है यूरिन पास करना...

डाइट का रखें ध्यान- 
- ब्रोकोली, फूलगोभी और पालक जैसे उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का उपभोग करें.
- बादाम, अखरोट, ओमेगा और फैटी एसिड में समृद्ध खाद्य पदार्थ खाएं. 
- तीन बार अधिक भोजन करने के बजाय पांच बार कम मात्रा में भोजन करें, क्योंकि यह मैटाबोलिज्म को ठीक रखेगा.
- वजन का सही स्तर बनाए रखें.
- सप्ताह में पांच दिन हर रोज लगभग 30 मिनट के लिए शारीरिक व्यायाम करें.
- योग और ध्यान जैसी तकनीकों के माध्यम से तनाव से बचें.
- धूम्रपान और शराब छोड़ें, क्योंकि यह पीसीओएस वाले लक्षणों में वृद्धि कर सकते हैं.

और खबरों के लिए क्लिक करें.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com