हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह.
नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने साफ़ कर दिया है कि मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष उन्हें मंज़ूर नहीं. चुनाव से पहले अगर न बदला गया तो वो आगामी विधानसभा चुनाव से अलग रहेंगे. हिमाचल में कांग्रेस के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह नाराज़ हैं. उनका अंदाज़ लगभग बाग़ी है. रविवार को उन्होंने कहा, पार्टी अपनी नीतियों से भटक रही है. ये भटकाव पार्टी को ख़त्म कर देगा. पार्टी नेतृत्व को विचार और कामकाज के तरीक़ों में बदलाव लाने की ज़रूरत है.
एनडीटीवी ने जब कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "आप वीरभद्र सिंह से पूछिये कि उनके बयान का क्या अभिप्राय है. वो एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं. अगर उनके सुझाव से हम कोई सकरात्मक बदलाव ला सकते हैं तो हम खुले दिमाग से उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं."
यह भी पढ़ें : सोनिया से मिलकर दूर हुई वीरभद्र की नाराजगी, कहा- हिमाचल में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करेंगे
लेकिन वीरभद्र की असली नाराजगी की वजह कुछ और है. सूत्रों के मुताबिक वो तय कर चुके हैं कि अगर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को नहीं हटाया गया तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, न उसका नेतृत्व करेंगे. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "इस मसले पर शिंदे कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पारटी के वाइस प्रेसिडेन्ट के स्तर पर चर्चा हो चुकी है. अधिकतर मसलों को बातचीत के बाद सुलझा लिया गया है.
सुखविंदर सिंह सुख्खू दो बार विधायक रह चुके हैं. उन्हें जनवरी, 2013 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया. सोमवार को कांग्रेस के हिमाचल प्रभारी सुशील शिंदे ने भी वीरभद्र की मांग खारिज कर दी. हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी में अंदरूनी कलह और खींचतान सामने आ गयी है. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पारटी हाईकमान इस मुश्किल चुनौती से कैसे निपटती है.
एनडीटीवी ने जब कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "आप वीरभद्र सिंह से पूछिये कि उनके बयान का क्या अभिप्राय है. वो एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं. अगर उनके सुझाव से हम कोई सकरात्मक बदलाव ला सकते हैं तो हम खुले दिमाग से उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं."
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लेकिन वीरभद्र की असली नाराजगी की वजह कुछ और है. सूत्रों के मुताबिक वो तय कर चुके हैं कि अगर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को नहीं हटाया गया तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, न उसका नेतृत्व करेंगे. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "इस मसले पर शिंदे कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पारटी के वाइस प्रेसिडेन्ट के स्तर पर चर्चा हो चुकी है. अधिकतर मसलों को बातचीत के बाद सुलझा लिया गया है.
सुखविंदर सिंह सुख्खू दो बार विधायक रह चुके हैं. उन्हें जनवरी, 2013 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया. सोमवार को कांग्रेस के हिमाचल प्रभारी सुशील शिंदे ने भी वीरभद्र की मांग खारिज कर दी. हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी में अंदरूनी कलह और खींचतान सामने आ गयी है. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि पारटी हाईकमान इस मुश्किल चुनौती से कैसे निपटती है.
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