- हिमाचल के मनाली में एक के बाद एक लैंडस्लाइड में तिब्बत कॉलोनी के कई घर तबाह हो चुके हैं.
- स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर दो पेड़ काट दिए गए होते तो शायद इतनी तबाही न हुई होती.
- एक बड़ा सा पेड़ चार मंजिला मकान की दो मंजिल तोड़ते हुए पहली मंजिल तक आ गया था.
हिमाचल प्रदेश की दिलकश वादियों में बसी मनाली की तिब्बत कॉलोनी में आजकल मंजर बेहद दर्दनाक है. भारी बारिश के बीच लगातार हुए भूस्खलन ने यहां कई मकानों को जमींदोज कर दिया है. कई घरों में ऊपर तक मलबा भर गया है. कइयों में दरारें पड़ चुकी हैं. स्थानीय लोगों ने NDTV से कहा कि अगर दो पेड़ काट दिए गए होते तो शायद तिब्बत कॉलोनी में इतनी तबाही न हुई होती.
कई घर जमींदोज, कई मलबे में दबे
NDTV की टीम मलबे में दबे कई घरों की छत से होते हुए स्थानीय निवासी गणेश के मकान तक पहुंची. गणेश ने बताया कि 26 अगस्त से 4 सितंबर के बीच हुए कई लैंडस्लाइड ने कॉलोनी के कई घरों को तबाह कर दिया है. कई परिवार बेघर हो गए हैं. लोगों की जिंदगी भर की कमाई मलबे में तब्दील हो चुकी है.
कॉलोनी में तिब्बती शरणार्थियों के घर
तिब्बत कॉलोनी की पार्षद चुमी डोलमा ने NDTV को बताया कि यहां 45 मकान तिब्बती शरणार्थियों के हैं जबकि दर्जन भर से ज्यादा मकान स्थानीय लोगों के हैं. आसमानी आफत में चार घर पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं. मलबा और पत्थर आने से दर्जनों मकान दरक गए हैं.
तिब्बती कॉलोनी में हर तरफ अफरातफरी का माहौल है. मलबे के ढेर और टूटी-फूटी इमारतें हर तरफ बिखरी पड़ी हैं. दर्जनों मजदूर मलबा हटाने में लगे हैं. कई मकान इस तरह जमींदोज हुए हैं कि उनके मालिक भी अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कॉलोनी में जब पानी आया था तो लोग मकान छोड़कर चले गए थे, इसलिए बच गए.

दो बड़े पेड़ों ने मचाई तबाही
तिब्बती कॉलोनी में रहने वाले आकाश ने दावा किया कि अगर वन विभाग ने दो सूखे पेड़ काट दिए होते तो शायद इतना नुकसान नहीं हुआ होता. लोबसॉग चीफ़ोल का चार मंजिला मकान भी इनमें से एक बड़ा पेड़ गिरने से तबाह हो गया है. लैंडस्लाइड में यह पेड़ मकान की दो मंजिल की छत तोड़ते हुए पहली मंजिल पर आ गया था.
4 मंजिला मकान पर भी गिरा पेड़
तिब्बती कॉलोनी में एक घर की छत पर मिले लोबसॉग और उनकी पत्नी सीरिंग पॉलजोम की कहानी सुनकर रूह कांप जाती है. सीरिंग ने बताया कि 26 अगस्त को जब लैंडस्लाइड हुआ था, तब वह दिल्ली में थीं. उनकी बेटी घर में थी. उन्होंने दो साल पहले ही जीवनभर की जमापूंजी लगाकर चार मंजिला मकान बनवाया था. दिल्ली से लौटकर जब उन्होंने देखा तो बड़ा सा पेड़ दो मंजिल तोड़ते हुए पहली मंजिल तक आ गया था.

सीरिंग कहती हैं कि इस तबाही में हम सड़क पर आ गए हैं. मकान तक जाने का रास्ता भी बंद हो गया है. वह हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगा रही हैं. उन्होंने दावा किया कि अब तक केवल पांच हजार रुपए सरकार की तरफ से मिले हैं. उन्हें पिछले 10 दिनों से दूसरे के घर में रहना पड़ रहा है.
कई घर पूरी तरह बर्बाद
तिब्बती कॉलोनी के शैलेश राय की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उनका पूरा घर पत्थर और मलब में जमींदोज हो चुका है. वह दो मकान फांद कर अपने घर को देखने जा रहे हैं. इस तबाही में कॉलोनी के कई घर पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. दर्जनों मकानों में मलबा आने से वे रहने लायक नहीं बचे हैं.
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