फाइल फोटो
नई दिल्ली:
गुजरात विधानसभा चुनाव में 89 विधानसभा सीटों के लिए पहले चरण की वोटिंग शनिवार को खत्म हो गई. धुआंधार चुनावी रैलियों के बाद इस चरण में लोगों ने अपना मत दे दिया है और उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद हो गया है. अब बीजेपी, कांग्रेस, बसपा सरीखीं पार्टियां दूसरे और आखिरी चरण के मतदान से पहले वोटर्स को लुभाने में जुट गई हैं. दूसरे चरण में भी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस-भाजपा और अन्य पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. 14 दिसंबर को होने वाले वोटिंग के लिए इस चुनावी मैदान में कुल 851 कैंडिडेट 93 सीटों के लिए अपना भाग्य आजमा रहे हैं. पहले चरण में जिस तरह से पार्टियों ने दागी उम्मीदवारों को टिकट बांटने में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा की थी, ठीक वैसा ही नजारा इस चरण में भी देखने को मिल रहे हैं. इस चरण में भी पार्टियों ने दागी उम्मीदवारों पर अपना भरोसा जताया है. आंकड़ों पर गौर करें तो कांग्रेस ने दागी उम्मीदवारों को टिकट देने में भाजपा को भी पीछे छोड़ दिया है.
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में गुजरात चुनाव के दूसरे चरण में खड़े हुए प्रत्याशियों का रिकॉर्ड जारी किया है. एडीआर ने 851 कैंडिडेट के घोषणापत्र में से 822 कैंडिडेट का विश्लेषण किया है. यानी कि 822 कैंडिडेट की सारी जानकारी इस रिपोर्ट में शामिल हैं. इस रिपोर्ट के ऊपर नजर दौड़ाने पर पाएंगे कि किसी भी पार्टी ने आदर्श लोकतांत्रिक व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया है, यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा ने दागी उम्मीदवारों को धड़ल्ले से टिकट दिया है.
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान में कुल 851 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. मगर 822 कैंडिडेट (जिनके घोषणापत्र का विश्लेषण किया गया है) में से 101 कैंडिडेट के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी कि कुल उम्मीदवारों के 12 फीसदी उम्मीदवार क्रिमिनल बैकग्राउंड के हैं. इससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात है कि इनमें से 68 कैंडिडेट यानी कि 8 फीसदी कैंडिडेट ऐसे हैं जिनके ऊपर संगीन अपराध के मामले दर्ज हैं. इन कैंडिडेट के मर्डर, मर्डर के प्रयास, किडनैपिगं और महिलाओं के प्रति अपराध जैसे क्रिमिनल्स रिकॉर्ड हैं.
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अगर पार्टी वाइज इन क्रिमिनल रिकॉर्ड की बात करें तो कांग्रेस के 88 कैंडेडिट (जिनका विश्लेषण किया गया) में से 25 कैंडिडेट के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानि की कुल संख्या का 28 फीसदी. वहीं कांग्रेस के 18 कैंडिडेट (21 फीसदी) के ऊपर संगीन अपराध के मामले दर्ज हैं. अगर भाजपा की बात करें तो बीजेपी के 86 कैंडिडेट (विश्लेषित) में से 22 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल संख्या का 26 फीसदी है. वहीं, 13 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी कुल संख्या का 15 फीसदी.
हालांकि, दागियों को टिकट देने में अन्य पार्टियां भी कम पीछे नहीं हैं. बसपा के 74 कैंडिडेट में से 6 के खिलाफ आपराधिक और दो के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, एनसीपी के 24 उम्मीदवारों में से 4 के खिलाफ आपराधिक और 3 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. जदयू के 14 उम्मीदवारों में से 2 के खिलाफ आपराधिक और 1 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. आप के 7 में से दो के खिलाफ आपराधिक और एक के खिलाफ संगीन मामले दर्ज हैं. ठीक इसी तरह अन्य पार्टियों का भी हाल है. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो 344 उम्मीदवारों (विश्लेषित) 23 के खिलाफ आपराधिक और 14 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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अब अगर इन उम्मीदवारों के एजुकेशनल बैकग्राउंड पर नजर डालें तो 518 उम्मीदवारों ने अपने घोषणापत्र में इस बात का जिक्र किया कि वे पांचवी सें 12वीं तक पढ़ें हैं. 227 कैंडिडेट (28 फीसदी) स्नातक और उससे ऊपर के हैं. 47 कैंडिडेट (5 फीसदी) साक्षर हैं और 6 उम्मीदवार अनपढ़ हैं और 8 लोगों ने अपनी पढ़ाई की जानकारी नहीं दी है.
चुनाव के दूसरे चरण में महिला भागीदारी की बात करे तो इस सेकेंड फेज में महज 61 महिला उम्मीदवार इस चुनावी अखाड़े में हैं. जो कि कुल संख्या का महज 7 फीसदी है. बता दें कि ये सारी जानकारी उम्मीदवारों द्वारा उपलब्ध कराई गई घोषणा पत्र के आधार पर है.
VIDEO: गुजरात चुनाव : कुछ जगहों पर EVM में खराबी
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी रिपोर्ट में गुजरात चुनाव के दूसरे चरण में खड़े हुए प्रत्याशियों का रिकॉर्ड जारी किया है. एडीआर ने 851 कैंडिडेट के घोषणापत्र में से 822 कैंडिडेट का विश्लेषण किया है. यानी कि 822 कैंडिडेट की सारी जानकारी इस रिपोर्ट में शामिल हैं. इस रिपोर्ट के ऊपर नजर दौड़ाने पर पाएंगे कि किसी भी पार्टी ने आदर्श लोकतांत्रिक व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया है, यही वजह है कि कांग्रेस और भाजपा ने दागी उम्मीदवारों को धड़ल्ले से टिकट दिया है.
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान में कुल 851 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं. मगर 822 कैंडिडेट (जिनके घोषणापत्र का विश्लेषण किया गया है) में से 101 कैंडिडेट के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी कि कुल उम्मीदवारों के 12 फीसदी उम्मीदवार क्रिमिनल बैकग्राउंड के हैं. इससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात है कि इनमें से 68 कैंडिडेट यानी कि 8 फीसदी कैंडिडेट ऐसे हैं जिनके ऊपर संगीन अपराध के मामले दर्ज हैं. इन कैंडिडेट के मर्डर, मर्डर के प्रयास, किडनैपिगं और महिलाओं के प्रति अपराध जैसे क्रिमिनल्स रिकॉर्ड हैं.
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अगर पार्टी वाइज इन क्रिमिनल रिकॉर्ड की बात करें तो कांग्रेस के 88 कैंडेडिट (जिनका विश्लेषण किया गया) में से 25 कैंडिडेट के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानि की कुल संख्या का 28 फीसदी. वहीं कांग्रेस के 18 कैंडिडेट (21 फीसदी) के ऊपर संगीन अपराध के मामले दर्ज हैं. अगर भाजपा की बात करें तो बीजेपी के 86 कैंडिडेट (विश्लेषित) में से 22 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल संख्या का 26 फीसदी है. वहीं, 13 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. यानी कुल संख्या का 15 फीसदी.
हालांकि, दागियों को टिकट देने में अन्य पार्टियां भी कम पीछे नहीं हैं. बसपा के 74 कैंडिडेट में से 6 के खिलाफ आपराधिक और दो के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, एनसीपी के 24 उम्मीदवारों में से 4 के खिलाफ आपराधिक और 3 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. जदयू के 14 उम्मीदवारों में से 2 के खिलाफ आपराधिक और 1 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं. आप के 7 में से दो के खिलाफ आपराधिक और एक के खिलाफ संगीन मामले दर्ज हैं. ठीक इसी तरह अन्य पार्टियों का भी हाल है. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो 344 उम्मीदवारों (विश्लेषित) 23 के खिलाफ आपराधिक और 14 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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चुनाव के दूसरे चरण में महिला भागीदारी की बात करे तो इस सेकेंड फेज में महज 61 महिला उम्मीदवार इस चुनावी अखाड़े में हैं. जो कि कुल संख्या का महज 7 फीसदी है. बता दें कि ये सारी जानकारी उम्मीदवारों द्वारा उपलब्ध कराई गई घोषणा पत्र के आधार पर है.
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