सर्दी या ठंड का मौसम आते ही कई लोगों की एड़ियां फटने लगती है. कई परेशानियों के बीच किसी को पहली बार तो किसी को बार-बार इस दिक्कत का सामना करना पड़ता है. आम तौर पर इसे एड़ी में दरार, बिवाई, हील क्रैक या हील फीशर भी बोलते हैं. हालांकि, कुछ लोगों की एड़ियां फटने की शिकायत दूसरे मौसमों में भी होती है, लेकिन ठंड के मौसम में इसके ज्यादातर मामले सामने आते हैं. इस परेशानी में पैरों के तलवे और एड़ियां सूखी, सख्त, परतदार और पपड़ीदार हो जाती हैं. एड़ियों में हल्की दरारें बनने लगती हैं. कई बार ये दरारों या बिवाई में दर्द, खुजली और ब्लीडिंग भी होने लगती है.
ठंड के मौसम में एड़ियों के फटने के क्या-क्या कारण हैं? ( What are the reasons for cracking of heels in winter season?)
एड़ियों के फटने से चलने-फिरने में दिक्कत बढ़ जाती है. वहीं, इसके चलते नंगे पाव होने में भी शर्म आने लगती है. ठंड के मौसम में स्किन का ड्राई होना एड़ियों के फटने की सबसे बड़ी वजह है. इसके अलावा, सर्द मौसम के चलते शरीर में हार्मोंस के बदलाव और अलग-अलग विटामिन्स की कमी को भी एड़ियां फटने का बड़ा कारण माना जाता है. ठंड में लोग अपने चेहरे और शरीर के दूसरे ऊपरी हिस्से की तरह एड़ियों का पर्याप्त ख्याल नहीं रखते. इसके चलते भी एड़ियां फटने लग जाती हैं.
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किन मेडिकल परिस्थितियों के चलते फटती हैं एड़ियां? (What medical conditions cause heels to crack? )
फंगल संक्रमण, लाइफ स्टाइल, स्किन से जुड़ी कोई बीमारी, डायबिटीज और थॉयराइड बढ़ने की वजह से भी एड़ियां फटती हैं. कई बार जूते और मोजे की गड़बड़ियों के चलते भी एड़ियां फट जाती है. ठंड के मौसम में मॉइश्चराइजर की कमी से भी एड़ियों में दरारें पड़ती है. पुरुषों की तुलना में एड़ी फटने की समस्या महिलाओं में अधिक होने की आशंका होती है. एड़ियों के फटने का दर्द और उसकी तकलीफ सिर्फ वही समझ सकता है जिसने ये सहा है. 'जाके पांव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीड़ पराई' कहावत यहां सच साबित होती है. आइए, जानते हैं कि ठंड के मौसम में होने वाले एड़ियों का घरेलू इलाज कैसे करें?
फटी एड़ियों के लिए घरेलू उपचार क्या हैं? ( What are home remedies for cracked heels?)
फटी एड़ियों का घरेलू उपायों से इलाज किया जा सकता है. मुख्य रूप से ड्राई स्किन या शुष्क त्वचा के कारण एड़ी में दरारें होती हैं. इसलिए इलाज को सुविधाजनक बनाने के लिए एड़ी की दरारें और आसपास हाइड्रेशन के लिए हील बाम या मॉइस्चराइज़र लगाना बहुत जरूरी होता है. ये ह्यूमेक्टेंट्स, ऑक्लूसिव्स, एमोलिएंट्स और रिजुवेनेटर के रूप में मिल सकते हैं.
एड़ी को साफ रखें, मॉइस्चराइज करें और सूती मोज़े पहनें
खासकर, रोजाना नहाने के बाद एड़ी में नमी को बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज करने के बाद सूती मोज़े पहनना चाहिए. देसी घी, वनस्पति तेल, ग्लिसरीन, गुलाब जल, अरंडी का तेल, नारियल का तेल, लिक्विड बैंडेज, शहद, मोम और कपूर वगैरह दरारें भरने के काम आते हैं. दूसरे उपाय के तौर पर एड़ी में दरारों, कठोर, सूखी और मोटी स्किन को ठीक करने के लिए पैरों को लगभग 20 मिनट तक गुनगुने पानी में भिगोने के बाद एक्सफोलिएटिंग टूल यानी प्यूमिस स्टोन या फुट फाइल से धीरे-धीरे रगड़ना यानी स्क्रब चाहिए. उसके बाद तौलिए से पैरों को सूखाकर और मॉश्चराइजर लगाकर सूती मोजे पहनने चाहिए.
फटी एड़ियों के लिए कब लेना चाहिए डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह? (When should one consult a dermatologist for cracked heels? )
कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि सूती कपड़े पहनना एटोपिक डर्मेटाइटिस जैसी कई तरह की ड्राई स्किन के लिए फायदेमंद है. फटी एड़ियों के घरेलू इलाज के कारगर होने के लिए सही नाप के जूते, अच्छे सूती मोजे, साफ चप्पल, सर्द-गर्म मौसम से परहेज, नियमित मॉश्चराइजर और शरीर को हाइड्रेट रखने की जरूरत होती है. वहीं, डायबिटीज, फंगस इंफेक्शन या किसी तरह की एलर्जी की सूरत में डर्मेटोलॉजिस्ट से दिखवाकर सलाह लेनी चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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