विज्ञापन
This Article is From Jan 30, 2019

चाय लवर्स के लिए चैलेंज हैं 'चाय वाली चाची'! 33 साल से सिर्फ चाय पीकर हैं जिंदा...

आप इसे कुदरत का करिश्मा कहें या कुछ और, लेकिन इस महिला ने 11 वर्ष की उम्र में अचानक अन्न त्याग दिया. परिवार के लोगों की मानें तो पिछले 33 सालों से लगातार उसने अन्न-जल को मुंह तक नहीं लगाया और केवल चाय के सहारे जिंदा है.

चाय लवर्स के लिए चैलेंज हैं 'चाय वाली चाची'! 33 साल से सिर्फ चाय पीकर हैं जिंदा...
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
44 साल की पल्ली देवी सिर्फ चाय पीती हैं.
इस महिला की अनूठी शारीरिक विशेषता को देखकर डॉक्टर भी हैरान हैं.
पिछले 33 सालों से लगातार उसने अन्न-जल को मुंह तक नहीं लगाया
बैकुंठपुर:

हो सकता है कि आप बहुत बड़े चाय प्रेमी हों. दिन में कई बार चाय पीते हों. लेकिन आपके इस दावे को यह खबर चैलेंज दे सकती है. आपको यह जानकर अंचभा जरूर होगा, लेकिन यह सच्चाई है. यहां एक महिला बिना खाना खाए 33 वर्षो से जिंदा है और पूरी तरह स्वस्थ है. इस महिला की अनूठी शारीरिक विशेषता को देखकर डॉक्टर भी हैरान हैं. कोरिया जिले के बैकुंठपुर विकासखंड के बरदिया गांव में रहने वाली 44 साल की पल्ली देवी सिर्फ चाय पीती हैं. आप इसे कुदरत का करिश्मा कहें या कुछ और, लेकिन इस महिला ने 11 वर्ष की उम्र में अचानक अन्न त्याग दिया. परिवार के लोगों की मानें तो पिछले 33 सालों से लगातार उसने अन्न-जल को मुंह तक नहीं लगाया और केवल चाय के सहारे जिंदा है.

 


जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर बरदिया गांव में पल्ली अपने पिता के घर पर रहती है. आस-पास के इलाके में लोग इसे 'चाय वाली चाची' (Chai Wali Chachi) के नाम से पहचानते हैं.

उसके पिता रतिराम बताते हैं कि पल्ली जब छठी कक्षा में थी, तभी से उसने भोजन को कभी हाथ नहीं लगाया. उन्होंने कहा, "यह घटना अचानक घटी. हमारी बेटी कोरिया जिले के जनकपुर में पटना स्कूल की ओर से जिलास्तरीय टूर्नामेंट खेलने गई थी. वहां से लौटने के बाद उसने अचानक खाना-पीना त्याग दिया. पहले तो एक-दो माह तक उसने बिस्किट, चाय और ब्रेड लिया. उसके बाद उसने धीरे-धीरे बिस्किट और ब्रेड भी खाना छोड़ दिया."

पल्ली के छोटे भाई ने बताया, "जब से मैंने होश संभाला है, अपनी बहन को 33 साल से इसी तरह देखते आ रहे हैं. चाय भी वह दिन ढलने के बाद पीती है."

गांव के पूर्व सरपंच बिहारी लाल राजवाड़े ने कहा, "सन् 1994 में जब मैं सरपंच बना था, उसी समय से पल्ली को जानता हूं. पल्ली सिर्फ चाय पर पलती है. गांव वाले उसे आस्था की नजर से देखते हैं. मुझे पता चला कि पहले तो वह दूध वाली चाय पीती थी, लेकिन गरीबी के कारण घर में रोजाना दूध आना बंद हो गया तो उसने प्रण कर लिया कि अब काली चाय ही पीएगी."

कोरिया जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. एस.के. गुप्ता भी हैरत में हैं. उन्होंने कहा, "मेडिकल साइंस के मुताबिक ऐसा संभव नहीं है. मैं भी हैरान हूं. पल्ली को समूचे शरीर की जांच करवानी चाहिए."  (इनपुट-आईएएनएस)

 

और खबरों के लिए क्लिक करें.

 

ताजा लेख
क्या? छात्रों को खाना नहीं स्मार्टफोन चाहिए...

Constipation: कब्ज को दूर करेंगे ये 8 उपाय और घरेलू नुस्खे

Food Poisoning: सेहत का राज है किचन के इन 4 छोटे-छोटे सीक्रेट्स में

सर्दी-जुकाम और गले के दर्द से राहत दिलाएगा बेसन का शीरा, पढ़ें रेसिपी...

Weight Loss: सौंफ के फायदे, वजन होगा कम और घटेगा बैली फैट

Diabetes: जानिए ब्‍लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में कैसे फायदेमंद है अदरक

कैसे वजन और पेट की चर्बी कम करने के लिए करें सेब के सिरके का इस्तेमाल...

Diabetes Management: डायबिटीज है? तो आपके किचन में हर वक्त होनी चाहिए ये 5 चीजें...

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: