
दिल्ली के बदलते गैस्ट्रोनॉमी मौसम में लोगों का स्वाद हमेशा बदलता रहता है. हर किसी की फेवरेट डिशेज में कई सारी चीजें आती हैं चली जाती हैं. लोगों का स्वाद समय और मौसम के हिसाब से बदलता रहता है. ठीक इसी तरह से दिल्ली में कई रेसिपीज आई और चली गई. कुछ एक समय के बाद लोगों के दिमाग से उतर गई तो नहीं कुछ ऐसी भी थीं जो शहर की सामाजिक संस्कृति में गहराई से रच-बस गई. इन्हीं में से एक पारंपरिक और समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला स्नैक है – समोसा.
शाम की चाय हो या ऑफिस की बोरियत, समोसा हर मौके को खास बना देता है. ये कोई मामूली स्नैक नहीं, बल्कि बचपन की यादों, कॉलेज की कैंटीन और मोहल्ले की गरम चटनी का बादशाह है. जिस तरह हर कहानी में ट्विस्ट होता है, वैसे ही समोसे में मसालों की परतें होती हैं – और हर परत एक नई खुशी. कुरकुरी बाहरी परत और अंदर का चटपटा आलू का दिल – समोसा जैसे कहता है, "मैं स्वाद नहीं, एहसास हूँ!" शायद इसी वजह से समोसा दुनिया भर में घूम आए लोग भी घर की समोसी खुशबू नहीं भूल पाते. चाहें वो दिल्ली की गलियों का समोसा हो या घर पर मां के हाथ का बना, इस बात में कोई शक नहीं है कि ये हर दिल की धड़कन है.
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अब आप ही बताइए, ऐसे स्नैक को कोई कैसे नहीं पसंद कर सकता है. इसके स्वाद को और भी मजेदार बनाती है इसके साथ मिलने वाली हरी और लाल चटनी और हाथों पर पकड़ा गर्मा-गर्म चाय के कप के साथ चटनी में सराबोर हुए समोसे का पहला निवाला ही जब मुंह में जाता है तो एक अलग ही आनंद आता है. यह चटपटा भारतीय स्नैक न सिर्फ नीरस शामों और सुबहों में जान डालता है, बल्कि दिल्ली के फूड सीन पर आज भी राज करता है. अगर आप भी दिल्ली में रहते हैं और समोसा लवर हैं या फिर आप दिल्ली आए हैं तो आपको दिल्ली में इन जगहों के समोसे एक बार जरूर ट्राई करना चाहिए.
अगर आप समोसा लवर हैं तो हम अगर आपसे ये कहें कि," दिल्ली आया और यहां का समोसा नहीं खाया तो क्या खाया...." कहना गलत नहीं होगा. तो चलिए जानते हैं दिल्ली की वो जगह जहां पर बेहतरीन समोसे मिलते हैं.
मंडी हाउस
दिल्ली की एक ऐसी जगह जहां पर कला और संस्कृति की दुनिया का केंद्र कही जाती है. अगर आप भी कला से जुड़े हैं तो आपको मंडी हाउस के बारे में तो जरूर पता होगा. बता दें कि अक्सर ये जगह शहर के अपने 'ब्रॉडवे' के रूप में वर्णित की जाती है. इस नाम के पीछे की कहानी उस समय से जुड़ी है जब यह इलाका मंडी के राजा की संपत्ति हुआ करता था. इस क्षेत्र की लंबी विरासत ने थिएटर, नृत्य, संगीत और विरासत को एक साथ पनपते देखा है.
अब जहां बात कला और कलाकारों की हो रही है तो वहां पर खाने का स्वाद भी जरूर होगा! मंडी हाउस में श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के ठीक बाहर एक साधारण चाय की स्टॉल पर मिलने वाला समोसा लोगों के बीच काफी फेमस है. दिल्ली की सांस्कृतिक गलियों में छिपे ऐसे छोटे-छोटे ठिकाने ही तो असली स्वाद और यादें बनाते हैं.
राम-जी समोसे वाला
अगर आपको फ्यूजन फूड पसंद है और आप कुछ अलग ट्राई करना चाहते हैं तो नोएडा के सेक्टर 15 और 16 के बीच में एक दुकान जहां पर आपको सिर्फ आलू नहीं बल्कि अलग-अलग वैरायटी के समोसे मिलेंगे. नूडल्स से लेकर पनीर और चाप तक अलग-अलग स्टफिंग के साथ समोसे तैयार किए जाते हैं.
मनोहर जापानी
अगर आप दिल्ली का जान कहे जाने वाले चांदनी चौक जा रहे हैं तो वहां पर मनोहर जापानी का समोसा आपको एक बार जरूर ट्राई करना चाहिए.
मुन्नी लाल हलवाई
मुन्नी लाल 1940 के दशक से शहर के कुछ बेहतरीन आलू समोसे परोसते आ रहे हैं, जो सादे, बिना किसी तामझाम के, स्वाद से भरपूर होते हैं. यहाँ मिलने वाले बड़े समोसे छोले, प्याज और पुदीने की चटनी के साथ परोसे जाते हैं.
श्री बांके बिहारी समोसे
दिल्ली के पहाड़गंज में स्थित श्री बांके बिहारी समोसे की दुकान पर लगने वाली भीड़ ही वहां के समोसे के स्वाद की दास्तां बयां करती है. जो लोग जानते हैं वो लोग स्टेशन से निकलते ही सबसे पहले इसी दुकान की ओर खिंचे चले आते हैं. यह दुकान न सिर्फ समोसे के लिए मशहूर है, बल्कि गुलाब जामुन, कचौड़ी और छोले जैसे क्लासिक स्ट्रीट फूड के लिए भी लोकल लोगों के बीच काफी फेमस हैं. अगर आप खाने के शौकीन हैं तो आपको एक बार यहां के समोसे जरूर ट्राई करने चाहिए.
History of Samosa- Swaad Ka Safar | समोसे का इतिहास | जानें ईरान से भारत कैसे पहुंचा समोसा
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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