
Significance Of Mahashivratri And The Holy Fasting: महाशिवरात्रि का त्योहार नजदीक है हर साल की तरह इस बार भी भगवान शिव के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. महाशिवरात्रि को हिन्दुओं का सबसे शुभ त्योहार माना जाता है. महाशिवरात्रि (Shivratri 2019) के अवसर पर भक्त भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा कर फल और फूल अर्पित करते हैं. भक्त इस दिन हर हर महादेव (Har Har Mahdev) के नारों के साथ शिव की पूजा करते हैं. महाशिवरात्रि 2019 को 'शिव की महान रात' के रूप में मनाया जाता है. हिन्दू कैलेंडर (Hindu Calendar) के अनुसार, यह पर्व फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है. इस साल शिवरात्रि का पर्व 4 मार्च, सोमवार (Monday, 4 March, Maha Shivaratri 2019) को है. महाशिवरात्रि कब मनाया (When is Maha Shivratri) जाता है अगर आप इस बात को लेकर दुविधा में हैं तो बता दें कि महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2019) का पर्व हर साल फाल्गुन महीने में मनाया जाता है. गुजरात का सोमनाथ और उज्जैन का महाकलेश्वर मंदिर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर हैं, जहां हर साल शिवरात्रि के शुभ मौके पर लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा कई भक्त गंगा स्नान के लिए वाराणसी जाते हैं.
Shivratri 2019: जानिए कब है महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त, क्या है व्रत करने का महत्व
महाशिवरात्रि 2019: महाशिवरात्रि का महत्व (Significance Of Mahashivratri in Hindi)
Maha Shivaratri 2019: महाशिवरात्रि के पर्व का उत्सव एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है. महाशिवरात्रि के दिन पूरी रात पूजा और कीर्तन किया जाता है. इतना ही नहीं कई पुराण के अंदर शिवरात्रि का उल्लेख मिलेगा, विशेषकर स्कंद पुराण, लिंग पुराण और पद्म पुराणों में महाशिवरात्रि का उल्लेख किया गया है. शैव धर्म परंपरा की एक पौराणिक कथा अनुसार, यह वह रात है जब भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश के स्वर्गीय नृत्य का सृजन किया था. हालांकि कुछ ग्रंथों में यह दावा किया गया है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था.

हालांकि कुछ ग्रंथों में यह दावा किया गया है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था.
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महाशिवरात्रि के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद अपने प्रिय देवता के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं. शिव भक्त इस दिन भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन अभिषेक को काफी अहम माना जाता है. इस दिन शिव भक्त ओम नम: शिवाय मंत्र के उच्चारण के साथ शिवलिंग का दूध, शहद, दही और चंदन से अभिषेक करते हैं. इसके अलावा बेर, बेलपत्र और फूल आदि भी भगवान को अर्पित किए जाते हैं.
कुछ उत्साही भक्त पूरे विधि-विधान के साथ महाशिवरात्रि का उपवास करते हैं. इसके अवाला कुछ शिव भक्त उपवास के दौरान एक बूंद पानी भी नहीं पीते. ज्यादातर भक्त व्रत के दौरान फल के साथ दूध और पानी का सेवन करते हैं.
शिव भक्त सदियों से अनुशासन और समर्पण के साथ महाशिवरात्रि का उपवास करते आ रहे हैं. शास्त्रों का कहना है अगर को कोई भक्त पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ इस व्रत को करता है तो भगवान शिव उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्त कर समृद्धि और आशीर्वाद देते हैं. शिवरात्रि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं खाया जाता. अमावस्या की सुबह अगले दिन पूजा के बाद भोजन किया जाता है. दूसरी तरफ जो लोग किसी कारणवश या बीमारी के चलते इस व्रत को नहीं रख पाते वह इस परंपरा को बनाएं रखने के लिए फल, दूध से बनें पदार्थो का सेवन कर सकते हैं.
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