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केरल अपनी सदियों पुरानी पाक कलाओं और परंपराओं को रखता है जीवित, जानिए वहां के पारंपरिक व्यंजन के बारे में सब कुछ

Onam Festival: भारत की सांस्कृतिक बुनावट त्योहारों, अनुष्ठानों और परंपराओं से बनी है, और इन त्योहारों का एक मूल मतलब है लोगों का एक साथ आना है. इन त्योहारों के एक केंद्र होता है भोजन.

केरल अपनी सदियों पुरानी पाक कलाओं और परंपराओं को रखता है जीवित, जानिए वहां के पारंपरिक व्यंजन के बारे में सब कुछ
Kerala Food: केरल अपनी पाक कला के लिए जाना जाता है.

Onam Festival: भारत की सांस्कृतिक बुनावट त्योहारों, अनुष्ठानों और परंपराओं से बनी है, और इन त्योहारों का एक मूल मतलब है लोगों का एक साथ आना है. इन त्योहारों के एक केंद्र होता है भोजन. भारत में खाने को एक-दूसरे के साथ बांट कर खाना पेट भरने से कहीं ज्यादा है. ये अपनापन जताने का तरीका है, रिश्तों को मजबूत करने का माध्यम है और ईश्वर के लिए समर्पण दिखाने का एक तरीका भी है. फसल काटने के समारोहों से लेकर मंदिरों के भंडारों तक, भोजन पीढ़ियों और पृष्ठभूमियों के बीच की दूरी मिटाता है. आइए भारत में होने वाली सामूगिक दावत के महत्व को समझते हैं, खास तौर पर केरल के जाने माने फसल उत्सव ओणम के बारे में.

सामुदायिक खाने का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

मेजबानी: भारत में भोजन प्रेम की ही एक भाषा है. फैमिली, दोस्तों या अजनबियों को भोजन कराना आदर और अपनापन दिखाने का सबसे सुंदर तरीका माना जाता है.

धार्मिक संस्कार: अधिकांश दावत फसल के मौसम, व्रत-त्योहारों या शुभ दिनों से जुड़े होते हैं. खाना बनाना और खिलाना कई बार ईश्वर को अर्पण करना माना जाता है.

पाक कला: सामुदायिक खाना रसोई की परंपराओं, पाक-कला और उस क्षेत्र के स्वादों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का मीडियम बनता है.

सामाजिक समानता: सामुदायिक खाना सामाजिक भेदभाव को कम करने में मदद करता है, जिसमें हर किसी को एक साथ बैठकर खाना होता है.

सेवा भाव: पकाना, परोसना या सफाई करना, इन सबको नि:स्वार्थ सेवा माना जाता है, जो मन में विनम्रता और समर्पण लाता है.

ओणम: केरल में सामुदायिक भोज का प्रतीक

ओणम, केरल का सबसे प्रमुख त्योहार, राजा महाबली की पौराणिक वापसी का उत्सव है, जो समृद्धि, सौहार्द और एकता का संदेश देता है. इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है ओणसाद्य, जो केवल शाकाहारी व्यंजनों से सजा भव्य भोज होता है जिसे केले के पत्तों पर परोसा जाता है.

ओणसाद्य की प्रमुख विशेषताएँ:

शाकाहारी समृद्धि: इसमें 12 से 21व्यंजन शामिल होते हैं—चावल, सांभर, अवियल, ओलन, कालन, थोरन, रसम, पचड़ी, अचार और प्रिय पायसम जैसे पकवानों को इसमें शामिल किया जाता है. जो पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं. 

क्षेत्रीय विविधता: व्यंजन भले ही केरल के मूल से जुड़े हों, लेकिन हर क्षेत्र में स्वाद और मसालों का कॉम्बिनेशन थोड़ा अलग होता है. जो इसके स्वाद को एक-दूसरे से अलग करता है.

सामूहिक आयोजन: भोजन केले के पत्तों पर परोसा जाता है और सभी एक साथ लाइन में बैठकर खाते हैं, यह एकता का प्रतीक है.

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मीठा: पायसम—चावल और दूध से बना मीठा व्यंजन है जो खाने के आखिर में जीवन की मिठास और मेज़बान की उदारता को दर्शाता है.

जीवंत परंपरा: ओणसाद्य आज भी पीढ़ियों को जोड़ता है. बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इसके स्वाद को जानते हैं और समझते हैं. 

सोचिए आपके सामने ताज़ा केले का पत्ता सजाया गया है और एक बुज़ुर्ग प्यार से पायसम परोसते हुए कहता है—“यह केवल भोजन नहीं—यह साथ होने का एहसास है.”

आज के भारत में ओणम भोज क्यों महत्वपूर्ण है?

  • एक पूरी तरह से प्लांट बेस्ड मील जो शाकाहारी खाने की रिचनेस और पोषण को दर्शाता है.
  • सांस्कृतिक कूटनीति: ओणम सभी का त्योहार है—धर्म, जाति और भाषा की सीमाओं से परे.
  • पीढ़ियों को जोड़ने वाला: भोजन तैयार करने और परोसने के दौरान गीत, कहानियाँ और परंपराएँ आगे बढ़ती हैं.
  • पहचान: ओणम केरल की सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक है, साथ ही पूरे भारत में एकता और साझा विरासत का संदेश देता है.

ओणम का भोजन सिर्फ खाने की प्रक्रिया नहीं है, ये उदारता, एकता और सांस्कृतिक स्मृति का उत्सव है. ओणसाद्य यह सिखाता है कि भोजन केवल शरीर का पोषण नहीं देता, बल्कि रिश्तों, परंपराओं और पहचान को भी जीवंत रखता है. इस भावना को अपनाकर भारत के किसी भी कोने में सामुदायिक भोज को एक उत्सव में बदला जा सकता है—जहाँ हर थाली कहती है “हम साथ हैं.”

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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