
नई दिल्ली:
दिल्ली में कई ऐसे स्टूडेंट्स हैं, जो अपने घर से दूर रहते हैं। वे छुट्टियों में जब भी अपने घर जाते हैं, तो मां से अपने पसंदीदा लड्डू या कोई भी ऐसी मिठाई ज़रूर पैक कराके लेकर आते हैं, जो बिना फ्रिज की ज़रूरत पड़े ज़्यादा दिन तक चल सके।
कुछ दिन बाद तो ये लड्डू भी ख़त्म हो जाते हैं और फिर उन्हें बाज़ार की मिठाई से ही काम चलाना पड़ता है। लेकिन अगर उन्हें यह पता चले कि प्रगति मैदान में चल रहे 35वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में ऐसा हलवा मिल रहा है, जिसे वे फ्रिज में रखे बिना 30 से 40 दिन तक इस्तेमाल कर सकते हैं, तो कैसा रहेगा?
कर्नाटक के मंडप में मैसूर के नसीरूद्दीन शाह की स्टॉल पर मिलने वाला यह हलवा काफी हेल्दी है। देखने में यह एक केक की तरह है, लेकिन हकीकत में इसे सूखे मेवे, आटा, घी और कई अन्य स्वास्थ्यवर्धक चीजों से तैयार किया गया है।
नसीरूद्दीन ने बताया कि 'यह हलवा कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर की पसंदीदा मिठाई में से एक है। यह मूल रूप से गेहूं, चावल या मक्के के आटे से बनाया जाता है। इसमें ढेर सारा घी, सूखे मेवे और स्वाद के लिए फलों का रस डाला जाता है।' उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि इस हलवे को बनाने में काफी समय लगता है, जिसकी वज़ह से यह जल्दी खराब नहीं होता। करीब 30 से 40 दिन तक बिना फ्रिज में रखे, इसे प्रयोग में लाया जा सकता है।
इस हलवे को बनाने के लिए एक दिन पहले आटे को भिगोया जाता है। अगले दिन इसे, बॉयलर में चीनी, फलों के रस और सूखे मेवों के साथ लगभग 24 घंटे पकाया जाता है। इसी दौरान इसमें घी या नारियल का तेल मिलाया जाता है। उन्होंने कहा कि यहां, दिल्ली में लोग नारियल के स्वाद को कम पसंद करते हैं, इसलिए उन्होंने इसमें घी का प्रयोग किया है। 24 घंटे तक पकाने के बाद, यह हलवा अपना हल्का पारदर्शी रूप ले लेता है, जिसे बाद में ठंडा करके केक के आकार में जमाया जाता है।
वहीं, दूसरी ओर कर्नाटक मंडप में हलवे की एक अन्य दुकान चला रहे स्वामी ने बताया कि “दिल्ली में लोगों को यह हलवा इतना पसंद आ रहा है कि वे पांच-पांच किलो तक उनसे पैक कराकर लेकर जा रहे हैं। यहां, आधा किलो हलवे की कीमत 150 रुपये है। वैरायटी की अगर बात की जाए, तो यह हल्वा आपको बादाम-अंजीर, अनन्नास, आम, संतरा और पिस्ता-बादाम के स्वाद में मिलेगा।
कुछ दिन बाद तो ये लड्डू भी ख़त्म हो जाते हैं और फिर उन्हें बाज़ार की मिठाई से ही काम चलाना पड़ता है। लेकिन अगर उन्हें यह पता चले कि प्रगति मैदान में चल रहे 35वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में ऐसा हलवा मिल रहा है, जिसे वे फ्रिज में रखे बिना 30 से 40 दिन तक इस्तेमाल कर सकते हैं, तो कैसा रहेगा?
कर्नाटक के मंडप में मैसूर के नसीरूद्दीन शाह की स्टॉल पर मिलने वाला यह हलवा काफी हेल्दी है। देखने में यह एक केक की तरह है, लेकिन हकीकत में इसे सूखे मेवे, आटा, घी और कई अन्य स्वास्थ्यवर्धक चीजों से तैयार किया गया है।
नसीरूद्दीन ने बताया कि 'यह हलवा कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर की पसंदीदा मिठाई में से एक है। यह मूल रूप से गेहूं, चावल या मक्के के आटे से बनाया जाता है। इसमें ढेर सारा घी, सूखे मेवे और स्वाद के लिए फलों का रस डाला जाता है।' उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि इस हलवे को बनाने में काफी समय लगता है, जिसकी वज़ह से यह जल्दी खराब नहीं होता। करीब 30 से 40 दिन तक बिना फ्रिज में रखे, इसे प्रयोग में लाया जा सकता है।
इस हलवे को बनाने के लिए एक दिन पहले आटे को भिगोया जाता है। अगले दिन इसे, बॉयलर में चीनी, फलों के रस और सूखे मेवों के साथ लगभग 24 घंटे पकाया जाता है। इसी दौरान इसमें घी या नारियल का तेल मिलाया जाता है। उन्होंने कहा कि यहां, दिल्ली में लोग नारियल के स्वाद को कम पसंद करते हैं, इसलिए उन्होंने इसमें घी का प्रयोग किया है। 24 घंटे तक पकाने के बाद, यह हलवा अपना हल्का पारदर्शी रूप ले लेता है, जिसे बाद में ठंडा करके केक के आकार में जमाया जाता है।
वहीं, दूसरी ओर कर्नाटक मंडप में हलवे की एक अन्य दुकान चला रहे स्वामी ने बताया कि “दिल्ली में लोगों को यह हलवा इतना पसंद आ रहा है कि वे पांच-पांच किलो तक उनसे पैक कराकर लेकर जा रहे हैं। यहां, आधा किलो हलवे की कीमत 150 रुपये है। वैरायटी की अगर बात की जाए, तो यह हल्वा आपको बादाम-अंजीर, अनन्नास, आम, संतरा और पिस्ता-बादाम के स्वाद में मिलेगा।
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