एक कप गर्म ग्रीन टी के अलावा आपकी दिमाग, आत्मा और शरीर को कोई शांत नहीं कर सकता। दुनिया में इसकी खपत और उत्पादन शुरू होने से काफी पहले ग्रीन चाय एशिया से संबंध रखती थी। ऐसा माना जाता है कि ग्रीन टी की एक सिप हमारी बॉडी को साफ़, स्वस्थ और फिर से फ्रेश कर देती है।
स्वास्थ्य लाभ
ग्रीन टी के स्वास्थ्य लाभ से कोई भी अंजान नहीं है- इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट, पॉलीफेनोल्स और फ्लेवोनॉइड्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कि न सिर्फ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं, बल्कि हमें कोल्ड और कफ से भी बचाते हैं। इसके अलावा कई और स्वास्थ्य लाभ जैसे हेल्दी हार्ट, कोलेस्ट्राल लेवल, पतला रहना, पाचन प्रक्रिया को सही रखना, कैंसर और डायबीटिज जैसे रोगों से मुकाबला करने में मदद करती है।
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हार्डवर्ड हेल्थ पब्लिकेशन के अनुसार, “अध्ययन में पाया गया है कि ग्रीन टी के इस्तेमाल से स्किन, ब्रेस्ट, फेफड़े, खाने की नली और ब्लैडर समेत कई तरह के कैंसर के खतरे को कम करता है। नियमित रूप से ग्रीन और ब्लैक चाय पीने वाले लोगों के लिए एक फायदा यह है कि इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। ग्रीन, ब्लैक और ऊलोंग (चाइनिज़ चाय की पत्ती) में एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो कि एलडीएल (बुरा) कोलेस्ट्राल के ऑक्सीकरण को बंद कर, एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्राल बढ़ाता है और आर्ट्ररीज़ को बेहतर बनाता है। आर्काइव्ज ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक चाइनीज़ अध्ययन के मुताबिक, चाय न पीने वालों की तुलना में ऊलोंग ग्रीन चाय नियमित रूप से पीने वाले लोगों में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के खतरे को 46-65 प्रतिशत तक कम कर देती है। ” ग्रीन टी का सेवन बालों को स्वस्थ रखने और स्किन को साफ रखने में भी मददगार है।
मैरीलैंड की यूनीवर्सिटी, मेडिकल सेंटर द्वारा, “ब्रांड के आधार पर, दिन में दो से तीन कप चाय (कुल मिलाकर 240-320 मिलीग्राम पॉलीफेनोल्स) पीने की सलाह दी जाती है। कैफीन फ्री उत्पाद बाजार में मौजूद हैं और उन्हें ही इस्तेमाल करने की ही सलाह दी जाती है।”
कहां से हुई शुरुआत और प्रकार
ग्रीन टी का उत्पादन और खपत कई शताब्दी पहले से होती आ रही है और ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत चीन से हुई थी। चीन ग्रीन टी का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद जापान, वियतनाम और इंडोनेशिया आते हैं। चीन और जापान दोनों सबसे प्रचलित और बेहतरीन क्वालिटी की ग्रीन टी की खेती करते हैं, इसमें चाइनीज़ गनपाउडर, ड्रेगनवेल, स्नोवी माउनटेंन जियान और जापान की विश्व प्रसिद्ध मचा, सेंचा, कुकीचा और कई तरह की और भी ग्रीन टी फेमस हैं।
चाय का परफेक्ट कप यूं बनाएं
बहुत से लोग एक परफेक्ट चाय बनाने के लिए किसी भी तरह के झंझट में नहीं पड़ना चाहते, लेकिन कुछ लोग ही इनमें अंतर कर पाते हैं। जब ग्रीन टी पर आते हैं, तो कई लोग एक कप गर्म पानी में टी बैग डालकर काढ़े जैसे स्वाद के लिए कुछ मिनट के लिए छोड़ देते हैं। पारंपरिक रुप से ग्रीन टी की कटाई, बनाई और खपत अपने आप में किसी रिवाज़ से कम नहीं है। यहां कई प्रकार की किस्म हैं, जो कि सूर्य की रोशनी में ही बढ़ती हैं। वहीं, कुछ का विकास बड़ी देखभाल के साथ छाया में होता है।
कई संस्कृति में ग्रीन टी पीतल में बनाई जाती है, तो कहीं धातु के बर्तन में। वहीं, दुनिया के कुछ भाग में चाइना के बर्तन इस्तेमाल किए जाते हैं। जापानी लोग चाय को स्टीम दे कर पकाते हैं, जो कि हल्का, फ्रेश, ताज़गी और उसकी खुशबू को प्रभावित करता है।
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क्या करें और क्या नहीं
- अच्छी क्वालिटी की चाय को ज़्यादा देर और उच्च तापमान पर नहीं पकाना चाहिए। उसे 30 सेंकेड के छोटे अंतराल और कम आंच पर पकाएं।
- वैरायटी, जो बेस्ट किस्म के अंदर आती हैं, उन्हें दो से तीन मिनट तक उच्च तापमान पर पकाया जाना चाहिए।
- ज़्यादा पकाने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि इससे चाय में कड़वाहट आ जाती है।
- अच्छे नतीजों के लिए पॉट में चाय डालने से पहले उसे हल्का गर्म कर लें।
- 100 से 150 ग्राम पानी में दो ग्राम या फिर एक भरी हुए छोटी चम्मच ग्रीन टी डालनी चाहिए।
जानें अपनी चाय के बारे में
ग्रीन टी ऊलोंग (चाइनिज़ चाय की पत्ती), एक सफेद चाय, रेड बल्श चाय और दूसरी हर्बल चाय से कैसे अलग है? आसान शब्दों में, सभी तरह की चाय पौधो से ही आती हैं, जिसे कैमेलिया सिनेसिस कहा जाता है- इसकी खुद अपनी कई वैरायटी हैं। जितनी ज़्यादा पत्तियों का ऑक्सीकरण होगा, उतना ही गहरा उनका रंग होता जाएगा और स्वाद में उतनी ही स्ट्रान्ग हो जाएंगी।
सफेद चाय का ऑक्सीकरण कम होता है। इसके साथ ही, ग्रीन और ब्लैक चाय लंबे समय तक के लिए ऑक्सीकृत होती हैं। ऑक्सीकरण का मतलब है- चाय की पत्तियों को सूखने के लिए छोड़ देना। चाय की पत्ती पहले हाथों या फिर मशीन की प्रक्रिया से गुजरती हैं। जरूरी एंजाइम्स को निकालने के लिए घुमाया जाता है, जिसके बाद उन्हें सूखने और ऑक्सीकरण के लिए रखा जाता है।
दूसरी ओर हर्बल चाय कई तरह की जड़ीबूटी, मसाले और ड्राई फ्रूट्स से बनाई जाती है। आपकी जैसमिन चाय, कैमोमाइल चाय, दालचीनी चाय आदि इसके अन्तर्गत आती हैं। इनमें किसी और चाय की जरूरत नहीं है और यह सब कैफीन फ्री होती हैं।
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भारतीय ग्रीन गाढ़ा- कहवा
कहवा ग्रीन टी की तरह ही होता है। सेंटर एशिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इंडिया में यह काफी प्रचलित है। भारत में यह ख़ासतौर से कश्मीर की वादियों में मिलती है। हालांकि, देश के उत्तरी मालाबार क्षेत्र में भी यह बनाई जाती है।
यह ख़ास कहवा पत्तियों से बनाया जाता है, इसके साथ खुशबू के लिए दालचीनी, केसर, शहद, हरी इलायची और बादाम मिलाए जाते हैं। पारंपरिक रूप से इसे पीतल के बर्तनों में बनाया जाता है, जिसे समोवर के नाम से भी जानते हैं। जलते कोयलों के बीच में बर्तन रख कर पकाया जाता है। पानी डालकर उसे उबलने के लिए छोड़ दिया जाता है, जिसमें कहवा पत्तियों के साथ दूसरी सामग्री भी डाल दी जाती है। कहवा खाने के बाद पीया जाने वाला पेय पदार्थ है, जिसे स्वास्थ्य लाभ के लिए भी पीया जाता है।