दिल्ली के दंपति ने कोविड के कारण नौकरी और घर गंवाने के बाद राजमा चावल बेचना शुरू किया

हालांकि वीडियो को 2021 में शेयर किया गया था, लेकिन यह फिर से सुर्खियां बटोर रहा है. दिल्ली के जोड़े की प्रेरणादायक कहानी ने ऑनलाइन दिल को छू लिया है.

दिल्ली के दंपति ने कोविड के कारण नौकरी और घर गंवाने के बाद राजमा चावल बेचना शुरू किया

खास बातें

  • नौकरी खोलने के बाद की नई शुरूआत.
  • घर का बना खाना बेचने के काम किया शुरू.
  • कार में बेचते हैं खाना.

महामारी के कारण नौकरी उद्योग में बड़ा बदलाव देखा है. हमने बहुत से लोगो के लेख और समाचार पढ़े हैं जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी और कोविड-19 के चलते नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ी. हालांकि, इनमें से कुछ लोग वास्तव में कई लोगों के लिए एक प्रेरणा के रूप में सेवा कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी परिस्थितियों का सबसे ज्यादा फायदा उठाया है. दिल्ली में रहने वाले एक जोड़े अमृता और करण को महामारी के बाद इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था. सरकार के साथ करण की नौकरी खत्म होने के बाद उसके पास अपना क्वार्टर खाली करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. दंपति दो महीने तक अपनी फैमिली कार में रहे और इसके बाद राजमा चावल सहित घर का बना खाना बेचने वाला एक नया व्यवसाय खोलने का फैसला किया.

rajma chawal

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'अमृता जी के राजमा चावल' के नाम से मशहूर उनका फूड स्टॉल पूरी तरह से उनकी कार से चलता है. कार का बूट स्टेनलेस स्टील के बर्तनों से भरा हुआ है. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अमृता और करण रविवार को छोड़कर हर दिन 12:30 से शाम 4 बजे तक ग्राहकों को गर्म, घर का बना खाना परोसते हैं. उनके भोजनालय में छोले चावल, राजमा चावल, कढ़ी चावल जैसे कई विकल्प उपलब्ध हैं. बूंदी रायता, सलाद और हरी चटनी साइड डिश के रूप में सर्व किए जाते हैं. जबकि एक हाफ प्लेट की कीमत रु. 30, एक फुल प्लेट की कीमत सिर्फ 50 रु में मिलती है.

लोकप्रिय फूड ब्लॉगर करण दुआ, जिन्हें दिल से फूडी के नाम से भी जाना जाता है, ने राजमा चावल स्टॉल चलाने वाले दिल्ली दंपति का एक वीडियो शेयर किया था. वीडियो को 312k से ज्यादा बार देखा गया और जोड़े के लिए हजारों लाइक और कमेंट और समर्थन मिला. जरा देखो तो:

हालांकि वीडियो को 2021 में शेयर किया गया था, लेकिन यह फिर से सुर्खियां बटोर रहा है. दिल्ली के जोड़े की प्रेरणादायक कहानी ने ऑनलाइन दिल को छू लिया है. दिल्ली में ओमिक्रॉन वैरिएंट सर्ज के दौरान इस जोड़े को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. मालिक करण ने बेटर इंडिया को बताया, "जब ओमिक्रॉन वैरिएंट सामने आया तो राजमा की बिक्री कम हो गई. हमारा रेवेन्यू 60,000 रुपये प्रति माह है, जिसमें न्यूनतम लाभ होता है. लेकिन हमने एक नया व्यंजन पेश किया है - शाही पनीर और जल्द ही एक थाली पेश करने की योजना है. " . उन्होंने कहा, "हम अपने कारोबार का विस्तार करने, ज्यादा उपकरण खरीदने और एक दुकान खोलने की उम्मीद करते हैं, जहां ग्राहक आराम से बैठकर खा सकें."

राजमा चावल बेचने वाले दिल्ली के जोड़े की दिल को छू लेने वाली कहानी के बारे में आपने क्या सोचा? हमें नीचे कमेंट में बताएं.

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