
अक्सर हम अपनी दादी मां और मां की बातों को अनसुना कर देते हैं या उन्हें नहीं मानते। ख़ासतौर से वह टाइम जब वे हमें भीगे हुए बादाम खाने को कहती थीं, हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए दूध से भरा ग्लास पीने की सलाह देती थीं या फिर तब जब वह हमें हेल्दी रहने के लिए घी खाने की जिद्द करती थीं। देसी नुस्खों द्वारा लगातार एलोपैथी के प्रभाव पर सवाल उठाए जाते रहे हैं और घरेलू नुस्खों पर जोर दिया गया है, जो कि कई पीढ़िय़ों से चले आ रहे हैं।
इन घरेलू नुस्खों का जादू देखने वाली मैं अकेली नहीं हूं। इनके प्रभावों को लोगों ने जाना और अजमाया है। मैं अक्सर इन नुस्खों को मज़ाक की तरह लिया करती थी। लेकिन, मेरी खांसी और कफ दादी के काड़े से ही ठीक हुआ। वहीं, मेरी थकान और कमजोरी मम्मी के शीर से। काड़ा अदरक, तुलसी के पत्ते, काली मिर्च के दाने (कुटी हुई) और उबला हुए गर्म पानी के मिश्रण से बनाया जाता है और शीरा एक सुनहरे रंग का सिरप है, जो कि बेसन और शुगर से बनता है।
इन बहुत से घरेलू नुस्खों के बीचे आयुर्वेद काम करता है। यही नहीं, कई तरह की सामग्री जैसे- अदरक, हल्दी और शहद आदि को प्राचीन ग्रंथों में प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में दिया गया है। आज भी हम देखेंगे कि पांरपरिक दवाओं को कई घरों में इस्तेमाल किया जाता है और इसलिए इन्हें ओल्ड इज़ गोल्ड भी कहा जाता है।
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हम यह किसी भी तरह से नहीं मानते कि पारंपरिक दवाएं सिर्फ उपचार का ही तरीका है। हम सिर्फ यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आयुर्वेद और पारंपरिक घरेलू नुस्खे कई सालों से हमारे ईर्द-गिर्द क्यों घूम रहे हैं। क्योंकि यह सुरक्षित, प्राकृतिक और कई केस में यह बहुत प्रभावशाली साबित हुए हैं और इनका कोई गलत प्रभाव हमारे शरीर पर नहीं पड़ता। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की एक मेडिसिन स्ट्रैटजी रिपोर्ट से यह पुष्टि होती है कि, “लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल का मुख्य स्रोत हर्बल मेडिसिन, पारंपरिक उपचार और पारपंरिक चिकित्सका है और कभी-कभी यह सिर्फ देखभाल का ही स्रोत होता है। यह देखभाल घरेलू, सुलभ और सस्ती होती है।”

हम ज़्यादा गहराई में जाए बिना, लगभग रोज़ होने वाली समस्याओं के बारे में बता रहे हैं। बीमारियां जैसे कफ एंड कोल्ड, छींकना, जलन कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो घर के किसी न किसी सदस्य को होती हैं।
1.एसिड अटैकः क्या आपको छाती और पेट में दर्द, सूजन महसूस होती है? अगर हां, तो आपको एसिडिटी हो सकती है। ऐसे में आप वह कर सकते हैं, जो मैं इतने सालों से करती आ रही हूं- थोड़ा अदरक और नींबू का रस मिलाकर उसे पी लें। नींबू का रस आपकी एसिडिटी को दूर करने में मदद करेगा और अदरक विटामिन सी और मैग्नीशियम से भरपूर एंटी- इंफ्लामेटरी और पेन-किलर का काम करती है।
2. कोल्ड एंड कफः अक्सर ऐसा कहा जाता है कि ठंड में गीले बालों के साथ बाहर जाने पर आपको कोल्ड होने का डर बना रहता है, लेकिन यह बस एक पुरानी कहावत है। जब आपका इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है, तो बदलते मौसम में छींक और कफ साधारण बात है। पेट में दर्द, कोल्ड और कफ कुछ दिनों के लिए ही रहता है और इनका एकदम से इलाज संभव नहीं है। लेकिन यहां कुछ उपचार हैं जिन्हें अगर सही तरीके से लिया जाए तो यह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।
इसके अलावा, हल्के गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पिएं। हल्दी एक शक्तिशाली मसाला है। यही नहीं, आयुर्वेद के घरेलू उपचार में भी आप इसे पाएंगे। यह एक शक्तिशाली एंटी- इंफ्लामेटरी, एंटी-फंगल और एंटी- बैक्टीरियल होती है। यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है। हल्दी कफ, कोल्ड और बंद छाती को खोलने में भी मददगार है।
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3.पेट की परेशानीः हम सभी को लगभग हर सुबह पेट की परेशानी होती है, कॉन्सटिपेशन की समस्या हमारा सुबह का बहुत समय ले लेती है, क्योंकि सही से फ्रेश न होने की वजह से हम खुद को काफी देर तक बाथरूम में बंद कर लेते हैं। आयुर्वेद में इनका उपाय बताया गया है। यहां कॉन्सटिपेशन होने के कुछ कारण हैः पूरा दिन ढेर सारा पानी न पीना, ज़्यादा मात्रा में डेयरी प्रॉडक्ट का सेवन करना और ऐसा ही बहुत कुछ। इसके पीछे कुछ भी कारण हो, लेकिन कुछ घरेलू नुस्खे आपको इससे बहुत जल्द निज़ात दिला सकते हैं। रात को सोते समय गर्म पानी के साथ दो से तीन चम्मच त्रिफला लें, जो कि एक घुट्टी की तरह काम करती है और इससे अगली सुबह आपको फ्रेश होने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होगी। इसके साथ ही, अपनी डाइट में जैतून का तेल, तिल का तेल और घी शामिल करें। यही नहीं, सोने से पहले एक चम्मच अलसी के बीज खाना, त्रिफला की तरह ही काम करता है।

कॉन्सटिपेशन के साथ ही एक अन्य समस्या है पेट में सूजन या फिर पेट का फूलना। यह कॉन्सटिपेशन से ज़्यादा दर्दभरा होता है। इससे निपटने के लिए क्या हमारे पास कोई घरेलू उपचार है? जी हां, बिल्कुल है। पानी में थोड़ा जीरा डालकर उबालें और उसे छानकर पी लें। यह आपके सिस्टम को साफ करके आराम पहुंचाएगा।
4.दाग-धब्बेः स्किन पर दाग-धब्बे की परेशानी अक्सर कम लोगों को ही होती है, लेकिन यह निर्भर करता है कि आपने क्या खाया है और आप क्या करते हैं। बहुत ज़्यादा तला हुआ खाना, अनियमित फूड, कॉन्सटिपेशन, गर्मी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ खाने वाले लोगों को अक्सर स्किन की परेशानी हो जाती है। थोड़े-से नीम के पत्ते लेकर उन्हें क्रश कर लें और दाग-धब्बों पर लगाएं। नीम के पत्ते एंटी-बैक्टीरियल और ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं। इसके अलावा अच्छे नतीजों के लिए आप संतरे के छिलकों को भी चेहरे पर स्क्रब कर सकते हैं। मेरी दादी ने बचपन में मेरे लिए ऐसा कई बार किया है- वह चंदन पाउडर और गुलाब जल को मिलाकर पैक की तरह दिन में दो बार लगाती थीं।
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5. उबकाईः यहां उबकाई आने के कई कारण हैं- खराब खाना, जरूरत से ज़्यादा खा लेना, खाने का हजम न होना, एलर्जी आदि। ‘आयुर्वेद और पंचकर्म, द साइंस ऑफ हीलिंग एंड रिजूवनैशन' बुक के लेखक सुनील वी. जोशी का कहना है कि, “ उबकाई एक जरिया है, हमारे शरीर के बारे में बताने का कि हमें खाना सही से हजम नहीं हुआ है और बॉडी उसे बाहर निकालना चाहती है। बहुत बार, लोग उबकाई और जी मिचलाने जैसी समस्याओं से निपटने के लिए कॉफी और एसिडिटी से निपटने वाली चीजों का सेवन कर लेते हैं। ऐसे में उबकाई को सिर्फ कुछ देर के लिए रोका जा सकता है, लेकिन उससे छुटकारा नहीं पाया जा सकता। इससे रात तक आपकी बॉडी में और ज़्यादा एसिडिटी बन जाती है, और यह समय के साथ स्थिति को और बिगाड़ देती है। ”
हम इससे निपटने के लिए क्या कर सकते हैं? थोड़ी अदरक, शहद, और नींबू के रस को मिलाकर लेने से आपको एकदम से आराम मिलेगा। इसके अलावा, जब सुबह मेरा जी मिचलाता था, तो मैंने भी इसे खुद कई बार ट्राई किया है। पतली छाछ में थोड़ा-सा कुटा हुआ काली मिर्च का पाउडर डालकर पीने से नर्व्स शांत हो जाती हैं और हल्का महसूस होता है।
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