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This Article is From Nov 04, 2023

Chhath Puja 2023: 17 या 18 नवंबर कब से शुरू है छठ पूजा? जानें तिथि, कथा और भोग रेसिपी

Chhath Puja 2023 Tithi: पंचांग के अनुसार कार्तिक छठ पूजा की शुरूआत 17 नंवबर 2023, शुक्रवार से होगी, ये पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है.

Chhath Puja 2023: 17 या 18 नवंबर कब से शुरू है छठ पूजा? जानें तिथि, कथा और भोग रेसिपी
Chhath Puja 2023: छठ का पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है.

Chhath Puja 2023 Date:  छठ के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. छठ का पर्व बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश की कई जगहों पर घूमधाम से मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार कार्तिक छठ पूजा (Chhath Puja 2023) की शुरूआत 17 नंवबर 2023, शुक्रवार से होगी, सोमवार को कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी छठी तिथि से आरंभ होगा. ये पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. छठ का पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. छठ की शुरूआत नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ होती है. छठ के दूसरे दिन को खरना (Kharna) कहते हैं. इस दिन व्रती को पूरे दिन व्रत रखना होगा. शाम को व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर (Gud Wali Kheer) का प्रसाद बनाती हैं. छठ व्रत के तीसरे दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है. चौथे दिन सूर्य देव को जल देकर छठ का समापन किया जाता है.

छठ पूजा की पारंपरिक ठेकुआ रेसिपीः (Chhath Puja 2023 Traditional Thekua Recipe)

छठ पूजा में ठेकुआ का बहुत महत्व होता है. ठेकुआ ज्‍यादातर बिहार और झारखंड के लोग बनाते और खाते हैं. ठेकुआ को छठ पूजा के मौके पर विशेष रूप से तैयार किया जाता हैं. ठेकुआ को खजुरिया या थिकारी के नाम से भी जाना जाता है. इसे विशेष रूप से छठ पूजा के समय बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में ज्यादा बनाया जाता है. ठेकुआ की पूरी रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.  

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छठ से जुड़ी कथाः (Chhath Puja 2023 Katha)

मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे आराधना करते हैं. इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. वहीं, पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है. छठ मईया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि ये व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए रखा जाता है. 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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