
Chef Sanjeev Kapoor: सेलिब्रिटी शेफ संजीव कपूर सिर्फ खाने में अपने स्वाद के उस्ताद नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे कहानीकार भी हैं जो हर डिश में यादें, इमोशंस और जीवन के सबक भी मिला देते हैं. हाल ही में द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी बातों से पाक कला के संसार की ऐसी तस्वीरें बना दीं जिनको भूल पाना मुश्किल था. उनकी बातो में उनके शब्दों की गर्माहट और पुरानी यादों का स्वाद महसूस किया जा सकता था. उनकी बातचीत भी उनकी कुकिंग की तरह थी. संजीव कपूर अपनी फूड और हेल्थ से जुड़ी गहरी समझ के लिए जाने जाते हैं, लेकिन लोगों को यह जानकर अक्सर हैरानी होती है कि उन्हें टेक्नोलॉजी, फिटनेस और इनोवेशन में भी गहरी दिलचस्पी है.
उनके लिए अच्छा जीवन जीने की कला भी उतनी ही सटीक और सजग है जितनी उनकी कुकिंग. उनकी सुबह एक अनुशासित और शांत दिनचर्या से शुरू होती है—कॉपर के लोटे में रातभर रखे नीम और बेल पत्तों वाले पानी का गिलास, फिर योग, चाय और कुछ मेवे. “सुबह की आदतों के पीछे ठोस साइंस है,” वे बताते हैं, “छोटी-छोटी और नियमित चीज़ें ही दिन को और फिर व्यक्ति को आकार देती हैं.”
उनकी गट हेल्थ पर सोच भी इसी नजरिए को दर्शाती है. उन्होंने बताया “जो चीज आपके लिए अच्छी है, वो आपके गट के लिए भी अच्छी है,” वो कहते हैं कि, “खाना ऐसा होना चाहिए जो शरीर के किसी एक हिस्से की कीमत पर दूसरे हिस्से को नुकसान न पहुंचाए.” वो याद दिलाते हैं कि भारत सदियों से फर्मेंटेड यानी खमीर वाले फूड आइटम्स को पसंद करता आया है फिर वो चाहे खमीरी रोटी हो या ओडिशा का पखाला भात.
जब उनसे त्योहार में बनने वाले खानों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता दिवाली के बचे हुए मिठाइयों को रबड़ी में बदल देते थे या फिर उसे कुल्फी बनाकर जमा देते थे. उसी याद ने आगे चलकर उनकी मशहूर डिश तवा मिठाई चाट को जन्म दिया—एक चुलबुला मेल जिसमें पैन पर गरम की हुई मिठाइयों के बीच रबड़ी होती है. ये डिश बनाने की प्रेरणा घर से ही मिली, वो हंसते हुए कहते हैं. “मैंने बस उसे एक नाम दे दिया.”
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जब बात डाइट और बैलेंस की आती है, तो उनका नजरिया बड़ा सहज और व्यावहारिक है. “बैलेंस सब दिमाग में होता है,” वो कहते हैं. अगर वो ज़्यादा खाते हैं तो बस ज़्यादा चलते हैं, यहां तक की वो एयरपोर्ट पर इंतज़ार करते हुए भी वे वॉक करना पसंद करते हैं. “आपको हमेशा एक्सट्रा टाइम की जरूरत नहीं होती,” वो समझाते हैं, “आपकी दिनचर्या ही काफी है.”
घर में वो आज भी खाना बनाते हैं, उन्होंने बताया कि “शेफ होना मतलब क्रिएटिविटी होना है,” वो कहते हैं. “सिंपल खाने को भी थोड़े से ट्विस्ट से खास बनाया जा सकता है.” और जब वो बाहर खाना खाने जाते हैं, तो वे आलोचक नहीं बनते. “मैं खाने में कमियां नहीं निकालता,” वे हंसते हुए कहते हैं. “मैं देखता हूं कि अच्छा क्या है, बुरा नहीं.”
खाने से परे, कपूर की जिज्ञासा तकनीक तक भी फैली हुई है. वे गर्व से बताते हैं कि उनकी वेबसाइट भारत की शुरुआती सात वेबसाइटों में से एक थी, और वे पहले भारतीय थे जिनका डिजिटल अवतार बना. “अगर आप एलेक्सा से कोई रेसिपी पूछेंगे,” वे मुस्कुराते हुए कहते हैं, “तो 90 प्रतिशत संभावना है कि वो मेरी होगी.” उनकी इनोवेशन के लिए लगन आज भी बरकरार है — वे Perplexity और Grok जैसे ऐप्स के बीटा वर्ज़न टेस्ट करते हैं, पब्लिक में आने से पहले ही. वो कहते हैं, “अगर कुछ नया नहीं है, तो मज़ा ही क्या है.”
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आने वाले टाइम में उनके जीवन पर एक बायोपिक भी बन रही है, जिसका डायरेक्शन हंसल मेहता कर रहे हैं और आमिर खान प्रोडक्शंस इसे प्रोड्यूस कर रहा है. “एक दिन आमिर खान का फोन आया,” वे हँसते हैं. “मैंने कहा, अब तो मेरा फोन पवित्र हो गया!” चाहे बात रेडी-टू-ईट फूड की हो या होम-कुक्ड मील्स की, कपूर हमेशा बैलेंस सोच रखते हैं. उनका मानना है कि दोनों की अपनी जगह है — सुविधा और ताजगी साथ-साथ चल सकती हैं. “पैकेट वाला खाना सुविधा के लिए होता है, स्वाद के लिए नहीं,” वे कहते हैं.
इतना फेमस होने के बाद भी वो जमीन से जुड़े इंसान हैं. वो इडली और समोसा से लेकर बर्गर और गन्ने का रस तक सब कुछ खाते हैं और सबको उतना ही पसंद करते हैं. उनके लिए कोई “फेवरेट डिश” नहीं, बस खाने की खुशी है. और जब उनसे युवा शेफ्स के लिए सलाह मांगी गई, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा — “किसी की एडवाइस न लें — अपने मन की करें.”
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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