
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल विशेष रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. यह नौ रातों और दस दिनों का पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. इस दौरान, हर दिन एक विशेष रंग और देवी के साथ जुड़ा होता है, जो व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और आत्मिक ऊर्जा को संतुलित करता है. नवरात्रि के रंग और उनके साथ जुड़ी देवी की पूजा में गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व होते हैं. साल 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से 07 अप्रैल तक मनाई जाएगी और इस आर्टिकल में हम हर एक दिन के रंग, दिन के अनुसार देवी मां और उनके महत्व को विस्तार से समझेंगे.
देवी के रूप, पूजा विधि और भोग (Forms of the Goddess, Method of Worship and Bhog)
1. पीला रंग - देवी शैलपुत्री (30 मार्च)
पहले दिन का रंग पीला होता है, जो खुशी, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है. देवी शैलपुत्री को पर्वतों की पुत्री और शक्ति की मूर्ति माना जाता है. यह दिन विशेष रूप से नए आरंभ और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए उपयुक्त होता है. माना जाता है कि पीला रंग व्यक्ति में जागरूकता और ऊर्जा का संचार करता है. इस दिन हलवा (आटे का हलवा) या केले का भोग अर्पित किया जाता है. यह दिन उबले हुए आलू और शुद्ध घी के साथ भोग अर्पित करने के लिए उपयुक्त है.
2. हरा रंग - देवी ब्रह्मचारिणी (31 मार्च)
दूसरे दिन हरा रंग होता है, जो विकास, शांति और समृद्धि का प्रतीक है. देवी ब्रह्मचारिणी तपस्या की देवी मानी जाती हैं. इस दिन का रंग हरा जीवन में नए अवसरों और बेहतर रिश्तों का संकेत है. माना जाता है कि हरा रंग मानसिक शांति को बढ़ाता है और आत्मा को शुद्ध करता है. इस दिन शहद और दही का भोग अर्पित किया जाता है. इसके साथ पंचामृत का भोग भी अर्पित किया जा सकता है.
3. ग्रे रंग - देवी चंद्रघंटा (1 अप्रैल)
तीसरे दिन का रंग ग्रे होता है, जो स्थिरता, शांति और बल का प्रतीक है. देवी चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यधिक उग्र और शक्तिशाली है, जो शांति की स्थापना करती हैं. इस दिन का रंग ग्रे व्यक्ति को मानसिक संतुलन और स्थिरता प्रदान करता है, साथ ही नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है. मां चंद्रघंटा को इस दिन दूध से निर्मित मिठाइयां या दूध की खीर का भोग अर्पित करना चाहिए.
4. नारंगी रंग - देवी कुष्मांडा (2 अप्रैल)
चौथे दिन नारंगी रंग होता है, जो उत्साह, गर्मजोशी और सकारात्मकता का प्रतीक है. देवी कुष्मांडा का रूप शक्ति और संतान प्राप्ति की देवी के रूप में पूजा जाता है. नारंगी रंग जीवन में ऊर्जा और साहस का संचार करता है, जो व्यक्ति को नई शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है. इस दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग अर्पित किया जाता है. मालपुआ माता का प्रिय भोग है.
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5. सफेद रंग - देवी स्कंदमाता (3 अप्रैल)
पांचवें दिन का रंग सफेद होता है, जो शांति, पवित्रता और स्पष्टता का प्रतीक है. देवी स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं और यह दिन मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त करने के लिए आदर्श है. माना जाता है कि सफेद रंग आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से जागरूक करता है. इस दिन मां स्कंदमाता को केले के भोग लगाने का विधान है. केले के भोग से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं.
6. लाल रंग - देवी कात्यायनी (4 अप्रैल)
छठे दिन लाल रंग होता है, जो शक्ति, साहस और उत्साह का प्रतीक है. देवी कात्यायनी का रूप शक्ति और युद्ध की देवी के रूप में पूजा जाता है. लाल रंग व्यक्ति में जुनून और साहस को जागृत करता है, जिससे वह अपनी समस्याओं का सामना मजबूत आत्मविश्वास के साथ कर सकता है. माता कात्यायनी को इस दिन मीठा पान, लौकी और शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है.
7. रॉयल ब्लू रंग - देवी कालरात्रि (5 अप्रैल)
सातवें दिन रॉयल ब्लू रंग होता है, जो ऐश्वर्य, समृद्धि और सम्मान का प्रतीक है. देवी कालरात्रि का रूप भय और अंधकार को समाप्त करने वाला है. माना जाता है कि रॉयल ब्लू रंग व्यक्ति को आंतरिक शक्ति और सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है, जो उसे जीवन में उच्च लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है. सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाना शुभ माना जाता है.
8. गुलाबी रंग - देवी महागौरी (6 अप्रैल)
आठवें दिन गुलाबी रंग होता है, जो प्रेम, करुणा और सौम्यता का प्रतीक है. देवी महागौरी का रूप शांति और पवित्रता का अवतार माना जाता है. माना जाता है कि गुलाबी रंग व्यक्ति को प्रेम और रिश्तों में सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है, और इसके द्वारा व्यक्ति के भीतर सौम्यता और करुणा की भावना उत्पन्न होती है. मां महागौरी को नारियल की मिठाई, लड्डू या नारियल का गोला अर्पित करना चाहिए.
9. बैंगनी रंग - देवी सिद्धिदात्री (7 अप्रैल)
नौवें और अंतिम दिन का रंग बैंगनी होता है, जो आध्यात्मिकता, समृद्धि और लक्ष्य की ओर बढ़ने का प्रतीक है. देवी सिद्धिदात्री को सिद्धियों की देवी माना जाता है, जो जीवन में पूर्णता और सफलता का मार्ग प्रशस्त करती हैं. माना जाता है कि बैंगनी रंग मानसिक स्थिति को ऊंचा करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है. नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का होता है इस दिन माता रानी को खीर, हलवा, पूड़ी और चने का भोग लगाना चाहिए.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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