
भारत की पहचान उसकी विविधता है. यहां का हर राज्य अपने अलग-अलग त्यौहार और मेलों से जाना जाता है. इसी तरह बिहार भी अपनी सांस्कृतिक विरासत और उत्सवों के लिए मशहूर है. इस राज्य में दुर्गा पूजा, भाई दूज, होली और सरस्वती पूजा जैसे त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं. लेकिन छठ पूजा बिहार की सबसे पहचान वाली परंपरा है. आइए जानते हैं बिहार के 9 रंग-बिरंगे मेले और त्यौहारों के बारे में और साथ ही उनसे जुड़े खास पकवानों के बारे में भी.
बिहार के 9 रंग-बिरंगे मेले, त्यौहार और पकवान- (Bihar Special Colourful Fairs and Festivals)
1. छठ पूजा-
बिहार का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्यौहार है छठ पूजा. इसे सूर्य देव को समर्पित किया जाता है और यह दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. व्रती 36 घंटे का कठोर व्रत रखते हैं और उगते-सूरज को अर्घ्य देते हैं. गंगा या किसी भी नदी के किनारे हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. इस पूजा में बनाया जाने वाला पारंपरिक फूड है ठेकुआ और कसार, जो खासतौर पर प्रसाद में शामिल होते हैं.
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2. समा-चकेवा-
यह त्यौहार मिथिला क्षेत्र में खास तौर पर मनाया जाता है. सर्दियों में जब हिमालय से पक्षी मैदानों की ओर आते हैं, तब समा-चकेवा का त्योहार शुरू होता है. इसमें लड़कियां पक्षियों के प्रतीक/मूर्तियां बनाकर सजाती हैं. इन्हें भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि इस त्योहार को भाई-बहन के रिश्ते से जोड़ा गया है. इस मौके पर पारंपरिक मिठाइयों में गुजिया और खाजा का स्वाद लिया जाता है.
3. श्रावणी मेला-
सावन के महीने में देवघर और सुल्तानगंज को जोड़ने वाले 108 किलोमीटर लंबे मार्ग पर श्रद्धालु कांवड़ यात्रा करते हैं. कांवड़िये गंगाजल लाकर बाबा बैद्यनाथ को अर्पित करते हैं. इस यात्रा के दौरान खिचड़ी और पूड़ी-तरकारी का स्वाद अहम होता है, जो कांवड़ियों को ऊर्जा देता है.
4. सोनपुर मेला-
यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है. यहां हाथी, ऊंट, भेड़ और पक्षियों की खरीद-बिक्री होती है. साथ ही हस्तशिल्प और लोकनृत्य भी आकर्षण का केंद्र होते हैं. मेले में आने वाले लोग लिट्टी-चोखा और मच्छी-भात का भरपूर आनंद उठाते हैं.
5. मकर संक्रांति मेला-
राजगीर और मंदार पर्वत पर जनवरी महीने में मकर संक्रांति का मेला लगता है. श्रद्धालु मंदिरों में पूजा करते हैं और पवित्र जल में स्नान करते हैं. इस अवसर पर तिलकुट और दही-चूड़ा का विशेष महत्व है.
6. पितृपक्ष मेला-
गया में हर साल सितंबर में पितृपक्ष मेले का आयोजन होता है. यहां लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. श्रद्धालु यहां खीर-पूड़ी और चने की दाल जैसे व्यंजन बनाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.
7. राजगीर महोत्सव-
बिहार पर्यटन विभाग की ओर से हर साल अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में राजगीर महोत्सव आयोजित किया जाता है. इसमें नृत्य, संगीत और लोककला की झलक देखने को मिलती है. इस दौरान यहां आने वाले लोग खाजा और तिलकुट का स्वाद लेना नहीं भूलते.
8. बिहुला-
भागलपुर जिले का यह प्रसिद्ध त्यौहार अगस्त महीने में मनाया जाता है. इसमें देवी मनसा की पूजा होती है और मंजूषा आर्ट की झलक मिलती है. इस मौके पर मालपुआ और सिलाव का खाजा परंपरागत फूड के तौर पर प्रमुख रहते हैं.
9. बुद्ध जयंती-
वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण हुआ था. यह पर्व खासकर बोधगया और राजगीर में मनाया जाता है. इस मौके पर लोगों के बीच खिचड़ी और खीर का विशेष महत्व रहता है.
बिहार के ये त्यौहार और मेले न सिर्फ संस्कृति और आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि पारंपरिक भोजन के स्वाद से भी जुड़ते हैं. यहां आकर आप त्योहारों की रौनक के साथ-साथ बिहार के जायकेदार पकवानों का भी मज़ा ले सकते हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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