
भारत में बढ़ते मोटापे को देखते हुए कुछ दिन पहले स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने एम्स नागपुर सहित देश के सभी केंद्रीय संस्थानों को यह निर्देश दिया है कि वे "तेल और चीनी की जानकारी देने वाले बोर्ड" लगाएं. इनका मकसद जंक फूड खाने से होने वाले हेल्थ रिस्क के बारे में लोगों को जागरूक करना है. लोगों को यह समझाना है कि ज्यादा तला हुआ और मीठा खाना सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है.
फ्राइड फूड क्यों हैं नुकसानदायक?
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ्राइड फूड्स ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो अगर बार-बार खाए जाएं, तो सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं. दरअसल इनमें ट्रांस फैट और रिफाइंड शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. ये ऐसे कोम्पोनेंट हैं जिन्हें दुनिया भर के कार्डियोलॉजिस्ट हार्ट डिजीज से जोड़कर देखते हैं.
फ्राइड फूड और ट्रांस-फैट-
आपको पता है कि डीप-फ्राई स्नैक्स जिन्हें अक्सर हाइड्रोजेनेटेड ऑयल (वनस्पति घी) या ऐसे तेल में तला जाता है जिसे कई बार इस्तेमाल किया जा चुका हो. इससे हानिकारक ट्रांस-फैट की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. ट्रांस-फैट हमारे शरीर में लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL), जिसे आमतौर पर 'बैड कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है, को बढ़ाता है, और साथ ही साथ हाई-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (HDL) कोलेस्ट्रॉल, जिसे 'अच्छा कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है जो धमनियों में जमी गंदगी को साफ करने में मदद करता है, उसे कम कर देता है.
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यह असंतुलन एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) के प्रोसेस को तेज कर देता है, जिसमें धमनियां (arteries) संकरी और सख्त हो जाती हैं, क्योंकि उनकी दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल और दूसरे तत्व जमा हो जाते हैं. इससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है.
इतना ही नहीं ट्रांस फैट शरीर में सिस्टमैटिक इन्फ्लेशन (systemic inflammation) और एंडोथेलियल डिसफंक्शन (endothelial dysfunction) की वजह बनते हैं. यह ब्लड वैसल्स (blood vessels) की अंदरूनी परत को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे वे ठीक से फैल नहीं पातीं, और इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है.
क्या डीप-फ्राइड मिठाई भी शरीर के लिए है हानिकारक?
डीप-फ्राइड मिठाई चीनी के सिरप वाली चीजें वो खाद्य पदार्थ है जिसमें बहुत ज्यादा मात्रा में शुगर होती है और जिसका ग्लाइसेमिक लोड भी बेहद ज्यादा होता है. इतनी ज्यादा मात्रा में चीनी का सेवन करने से ब्लड ग्लूकोज (blood glucose) और इंसुलिन में तेजी से उछाल आता है, जिससे धीरे-धीरे इंसुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) बढ़ता है, जो कि टाइप 2 डायबिटीज की एक मुख्य वजह है. चीनी का ज्यादा सेवन ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को बढ़ाता है, जो न सिर्फ फैटी लिवर डिजीज का खतरा बढ़ाता है, बल्कि डिस्लिपिडेमिया (dyslipidemia) को भी और खराब करता है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में लिपिड का स्तर असामान्य हो जाता है, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा, चीनी का सेवन शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (oxidative stress) और क्रोनिक लो ग्रेड इन्फ्लेशन (chronic low-grade inflammation) को बढ़ाता है, ये दोनों ही वैस्कुलर सिस्टम (vascular system) को नुकसान पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हाइपरटेंशन व धमनियों की कठोरता (arterial stiffness) को बढ़ावा देते हैं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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