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Ahoi Ashtami 2024: 24 या 25 अक्तूबर कब है अहोई अष्टमी का पर्व? जानें सही डेट पूजन विधि और भोग रेसिपी

Ahoi Ashtami 2024 Date: इस साल अहोई अष्टमी व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा. अहोई अष्टमी को अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है.

Ahoi Ashtami 2024: 24 या 25 अक्तूबर कब है अहोई अष्टमी का पर्व? जानें सही डेट पूजन विधि और भोग रेसिपी
Ahoi Ashtami Date: कब है अहोई अष्टमी का व्रत.

Ahoi Ashtami 2024: संतान की सलामती और उज्ज्वल भविष्य के लिए हर साल कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है. इस साल अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2024) व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा. अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) को अहोई आठें के नाम से भी जाना जाता है. ये व्रत संतान की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र और उनके जीवन के अच्छे के लिए सुबह से लेकर शाम तक यानि गोधूलि बेला तक उपवास करती हैं. शाम को आकाश के तारों को देखने के बाद व्रत खोला जाता है. कुछ महिलाएं (Ahoi Ashtami Vrat) चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत खोलती हैं. करवा चौथ (Karwa Chauth) की तरह अहोई अष्टमी व्रत में भी कई जगह पर दिनभर पानी का सेवन नहीं किया जाता है. इसे भी निर्जला रखा जाता है. तो चलिए जानते हैं व्रत  विधि और रेसिपी.

अहोई अष्टमी प्रसाद- (Ahoi Ashtami Prasad Recipe)

अहोई अष्टमी के दिन प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. साफ सुथरे तरीके से माता का प्रसाद बनाया जाता है. इस दिन घर के सदस्यों की संख्या के अनुसार पूरी बनाई जाती हैं. मीठे के लिए पूजा की थाली में सूजी का हलवा या सिंघाड़े के आटे का हलवा, मीठे पुए बनाएं जाते हैं. काले चने को सरसों के तेल में कम मसालों के साथ फ्राई किया जाता है. सिंघाड़े और फलों का भोग लगाया जाता है. कई जगह पर इस पूजा में गन्ने को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है. पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद को पूरे घर के लोगों में बांट कर खाया जाता है. 

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अहोई अष्टमी व्रत की विधिः (Ahoi Ashtami Vrat Vidhi)

अहोई अष्टमी के दिन माताएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें. अहोई माता की पूजा के लिए दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं. साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं. अहोई माता की पूजा से पहले गणेश जी का पूजन करें. शाम के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखें. उस पर जल से भरा कलश रखें. रोली-चावल से माता की पूजा करें. मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं. कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें. इसके उपरान्त तारों को, या चांद को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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