Vinayak Chaturthi 2021 Date: विनायक चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित होती है. हर महीने में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं. पूर्णिमा और अमावस्या के बाद पड़ने वाले कृष्ण और शुक्ल पक्ष में चतुर्थी व्रत रखकर पूजा-अर्चना की जाती है. शुक्ल पक्ष में जो चतुर्थी आती है उसे श्रीगणेश या विनायक चतुर्थी कहते है और कृष्ण पक्ष के पश्चात् आने वाली चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 11 अगस्त 2021 बुधवार को पड़ रही है. इस दिन चतुर्थी बुधवार को 04:53 PM से शुरू होगी और अगले दिन गुरुवार 12 अगस्त 2021 को 03:24 PM तक रहेगी. इसके अलावा वर्ष में एक बार होने वाला गणपति उत्सव का आरंभ इस साल 10 सितंबर को भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होगा.
धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी दिन व्रत, पूजा पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसलिए इस दिन श्रद्धा विश्वास से नियमों के अनुसार व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
विनायक चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित होती है.
विनायक चतुर्थी स्पेशल मोदक भोगः
मोदक गणेश जी का सबसे ज्यादा प्रिय भोग है. वैसे तो कई प्रकार से मोदक बनाए जाते हैं. लेकिन आप सबसे आसानी से मावा मोदक बनाकर गणेश जी का भोग लगा सकते हैं. ये मोदक बनाने के सबसे पहले धीमी आंच पर पैन में मावा और चीनी डालकर चलाएं. चीनी पिघलते ही केसर मिला लें और गाढ़ा होने तक चलाएं. गाढ़ा होने पर गैस बंद करें और मिश्रण में इलायची डालें. मिश्रण ठंडा होने के बाद इसे आटे या मैदे की लोई में भरकर फ्राई कर सकते हैं.
पूजा विधिः
इस दिन शाम के समय गणेश जी की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा-पाठ करने से अति लाभदायक फल की प्राप्ति होती है. माना जाता है इस दिन गणेश जी की आराधना करने से घर में सुख, धन-समृद्धि के अलावा ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है.
विनायकी चतुर्थी के दिन सबसे पहले जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान करें. इसके बाद लाल रंग के कपड़े पहने. वहीं, अगर आपने व्रत करने का मन बनाया है तो व्रत का संकल्प भी लें. इसके बाद शाम को शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा करें. पूजन के समय सामर्थ्य के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें
गणेश मंत्रः
इसके बाद श्री गणेश जी को सिंदूर लगाएं. ॐ गं गणपतयै नम:' मंत्र बोलते हुए दूर्वा अर्पित करें. पूजन के दौरान श्री गणेश स्तोत्र का पाठ करें. भोग में लड्डू की ताली गणेश जी के सामने रखें. फिर पहले लड्डुओं का भोग वितरित कर दें. इसके बाद आप अपना उपवास खोले सकते हैं.
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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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