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This Article is From Oct 17, 2020

Navratri Shailputri Puja 2020: नवरात्रि के पहले दिन मां शौलपुत्री की कैसे करें पूजा? यहां जानें

Navratri Shailputri Puja 2020: मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है. वे नंदी बैल की सवारी करती हैं.

Navratri Shailputri Puja 2020: नवरात्रि के पहले दिन मां शौलपुत्री की कैसे करें पूजा? यहां जानें
पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है.

Navratri Shailputri Puja 2020: नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है. मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है. मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है. वे नंदी बैल की सवारी करती हैं. और भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां स्वत: ही प्राप्त हो जाती हैं. मां का वाहन वृषभ है. मां शैलपुत्री को गाय का घी अथवा उससे बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है.

देवी शैलपुत्री का भोगः

देवी शैलपुत्री को यानी मां दुर्गा के पहले रूप जिनकी नवरात्र‍ि के पर्व में पहले दिन पूजा क‍ी जाती है, को सफेद रंग का भोग लगाए जाने की मान्यता है. आप आज के दिन सफेद रंग के भोग में मक्खन-मिश्री, मखानों की खीर, समा के चावलों की खीर और साबुत दाने की खीर वगैरह बना सकते हैं. यहां देखें तीन तरह की खीर रेसिपी -

नवरात्र पूजा सामग्रीः

लाल रंग मां दुर्गा को अधिक पसंद माना जाता है. मां के लिए लाल चुनरी, कुमकुम, मिट्टी का पात्र, जौ, साफ की हुई मिट्टी, जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, पानी वाला नारियल, फूल माला और नवरात्रि कलश मंगा लें. पूजा के लिए लाल रंग के आसन का इंतजाम कर लें. आसन ना होने पर आप लाल रंग के कपड़े का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा माती की चौकी इस तरह से लगाएं कि जिससे पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे. इस दिशा की और पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

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मां शैलपुत्री की पूजा विधिः

सुबह ब्रहम मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
घर के किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिटटी से वेदी बनाएं.
वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं.
वेदी के पास धरती मां का पूजन कर वहां कलश स्थापित करें.
इसके बाद सबसे पहले प्रथमपूज्य श्रीगणेश की पूजा करें.
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच लाल आसन पर देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें.
माता को कुंकुम, चावल, पुष्प, इत्र इत्यादि से विधिपूर्वक पूजा करें.

इस मंत्र का करें जाप:

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.   

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