राजेश खन्ना (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भारत का पहला सुपर स्टार राजेश खन्ना अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन एक कलाकार के रूप में राजेश खन्ना ने जो अपनी छाप छोड़ी, लोग उसे आज भी याद करते हैं. एक कलाकार के रूप में राजेश खन्ना ने कई इंटरव्यू दिए, जिसमें से कई दिलचस्प बात सामने आईं. 1990 में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने एक साथ मैगज़ीन को इंटरव्यू देते हुए कई बातों का खुलासा किया था.
इस इंटरव्यू में राजेश खन्ना ने कई ऐसे दिलचस्प बातों का जिक्र किया था. राजेश खन्ना ने बताया था जब उन्हें सफलता मिली थी, तह उन्होंने कैसा महसूस किया था. जब उनके फिल्म फ्लॉप होने लगीं, तब उनकी प्रतिक्रिया कैसी थी? कैसे दीवार फिल्म उन्हें नहीं अमिताभ बच्चन को मिली. कैसे राजेश खन्ना नहीं चाह रहे थे कि डिंपल कपाड़िया फिल्मों में काम करें? वह राजनीति में कैसे आए? उनको “काका” के नाम से क्यों बुलाया जाता है?
आइए एक नज़र 'काका' के साक्षात्कारों के दिलचस्प अंश पर भी डाल लेते हैं:
सवाल : पूरी दुनिया आपको काका के नाम से जानती है? इसके पीछे क्या वजह है? (फिल्मीबीट)
राजेश खन्ना: पंजाबी में "काका" का मतलब होता है छोटा बच्चा. जब मैं फिल्म में आया तब बहुत छोटा था इसीलिए मुझे 'काका' के नाम से बुलाया गया. फिर सम्मान के लिए लोगों ने 'जी' लगा दिया.
सवाल : आपके लिए सफलता का मतलब क्या है ? (मूवी मैगज़ीन)
राजेश खन्ना: फिल्म 'आनंद' में मिली सफलता के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे भगवान के बगल में हूं. पहली बार मैंने महसूस किया कि सफलता क्या होती है. मुझे याद है कि बंगलुरु में फिल्म का प्रीमियर था. करीब दस मील तक सड़क पर लोगों के सिर के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. यह सफलता देखते हुए मैं एक बच्चा की तरह रो रहा था. फिर बाद में जब मेरी फिल्म फ्लॉप होने लगीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं एक बोतल में जाकर टकराया हूं. एक के बाद एक मेरी सात फिल्म फ्लॉप हुईं.
एक बार रात को तीन बजे के करीब मैं अपना घर के टेरस में अकेला खड़ा था. अपने आप को संभल नहीं पाया. फिर मैं चिल्लाने लगा, "परवरदिगार, हम ग़रीबों का इतना इम्तिहान न ले कि हम तेरे वजूद को इनकार कर दें." फिर डिंपल और घर के अन्य सदस्य भाग के आए और उन्हें लगा कि मैं पागल हो गया हूं. निस्संदेह सफलता ने मुझे इतना प्रभावित किया था कि अससफलता को सहन करना मेरे लिए मुश्किल था. अगले दिन फिल्म निर्देशक बालाजी ने मुझे 'अमरदीप' फिल्म का ऑफर दिया जो मेरा करियर का एक दूसरा मोड़ साबित हुई.
सवाल : क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ है कि आपकी साइन की हुई फिल्म दूसरे एक्टर को दे दी गई?
राजेश खन्ना: जी हां, 'दीवार' फिल्म के मामले में मेरे साथ ऐसा हुआ. सलीम-जावेद और मेरे बीच मतभेद थे. उन्होंने यश चोपड़ा को स्क्रिप्ट देने के लिए मना कर दिया था. यश 'दीवार' के लिए मुझे साइन करना चाहते थे. उनके पास कोई विकल्प नहीं था. शायद बाद में उन्हें लगा होगा कि अमिताभ बच्चन इस फिल्म के लिए ज्यादा सही हैं. फिर मैंने 'दीवार' देखी और ईमानदारी से मैंने बोला, "क्या बात है". भगवान के नाम पर अगर सच कहूं तो अमिताभ बच्चन के अंदर हमेशा टैलेंट था. चाहे 'नमक हलाल' की बात किया जाए या 'आनंद'. मेरा मतलब हांडी में से अगर चावल का एक दाना निकालो तो पता चल जाता है कि क्या है.
सवाल : आप डिंपल को शादी के बाद फिल्मों में काम क्यों नहीं करने देना चाहते थे?
राजेश खन्ना : मैंने जब डिंपल से शादी की तो मैं अपने बच्चों के लिए एक मां चाहता था. मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चों का लालन-पालन नौकरों के द्वारा हो. डिंपल के टैलेंट के बारे में मुझे पता नहीं था क्योंकि तब 'बॉबी' रिलीज़ नहीं हुई थी. अगर मुझे पता होता कि वह इतनी टैलेंटेड है तो मैं उसे नहीं रोकता. जब मैंने 'बॉबी' देखी तब तक हमारा पहली बेटी जन्म ले चुकी थी. लेकिन बाद मैं टीना मुनीम के साथ सात साल तक रहा. मैंने टीना के लिए फिल्म बनाई. हम दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया. टीना की फिल्मों के प्रति ज्यादा रूचि नहीं था, लेकिन मैंने कहा था, "काम करो और अपने सिस्टम से बाहर आओ". मैं दोबारा वह गलती नहीं करना चाहता था (जो डिंपल के साथ की थी).
सवाल : आप राजनीति में क्यों आए? (मूवीटॉकीज.कॉम)
राजेश खन्ना: सोनिया गांधी की एक कॉल मुझे राजनीति में ले आई. मैं हमेशा से कांग्रेसी था फिर मुझे कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने के लिए आमंत्रण आया और यह आमंत्रण मैडम सोनिया गांधी जी की ओर से आया था. मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. फिर मैंने हां बोल दिया और पार्टी ने जो चाहा मैंने वह किया. मुझे एक ऐसी पार्टी में काम करने के लिए मौका दिया गया, जिसकी नीतियों में मैं हमेशा विश्वास रखता था.
राजेश खन्ना के कुछ प्रसिद्ध डायलॉग :
"मैंने तेरा नमक खाया है, इसीलिए तेरी नज़रों में नमक हराम ज़रूर हूं, लेकिन जिसने यह नमक बनाया है, उसके नज़रों में नमक हराम नहीं हूं (फिल्म 'नमक हलाल').
बाबू मोशाय! ज़िंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है. उसे न आप बदल सकते हैं न मैं (फिल्म आनंद).
मैंने तुम्हें कितनी बार कहा कि पुष्पा मुझसे यह आंसू देखे नहीं जाते. आई हेट टियर्स (फिल्म अमर प्रेम).
अब गुलाब का फूल ख़ूबसूरत है तो है. अब वो ख़ूबसूरत क्यों है, अबे छोड़ो ना यार. (फिल्म अंगूर)
2012 में अपने निधन से कुछ ही दिन पहले राजेश खन्ना ने अपने फैन्स के लिए एक ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड किया था. यह ऑडियो मैसेज को राजेश खन्ना के परिवार लोगों ने उनके मौत के बाद जारी किया था. आखिरी संदेश के कुछ अंश :
"मेरे प्यारे दोस्तों, भाइयों और बहनों, नॉस्टैल्जिया में रहने की आदत नहीं है मुझे. हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है. जो दिन गुजर गए हैं, बीत गए हैं, उसका क्या सोचना. लेकिन जब जाने-पहचाने चेहरे अनजान सी एक महफिल में मिलते हैं तो यादें बाविस्ता हो जाती हैं. यादें फिर दोबारा लौट आती हैं."
मैंने जब थिएटर शुरू किया तो मेरे थिएटरवालों ने मुझे जूनियर आर्टिस्ट का रोल दिया था. एक इंस्पेक्टर का, जिसका सिर्फ एक ही डायलॉग था कि खबरदार, नंबरदार भागने की कोशिश की, पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा है तुम्हें. ये डायलॉग था. तो उसमें मैं जैसे सेकेंड एक्ट में गया तो मैंने जाकर कहा, नंबरदार खबरदार, तुमने भागने की..... उसके बाद डायलॉग भूल गया. तो वीके शर्मा जो थे, हीरो थे, उन्होंने कहा, हां-हां, इंस्पेक्टर साहब का यह कहना है कि भागने की कोशिश न करना, पुलिस ने चारों तरफ से तुम्हें घेर रखा है."
"जो डायलॉग मुझे बोलना था, उन्होंने पूरा किया, क्योंकि मैं डायलॉग भूल गया. उसके बाद मुझे बहुत डांट पड़ी, मैं बहुत रोया भी. मैंने कहा कि भई राजेश खन्ना तुम एक्टर बनना चाहते हो और एक लाइन तो तुमसे बोली नहीं जाती है. मैंने बहुत कोसा अपने आपको और मैंने कहा कि कभी एक्टर नहीं बन सकता."
मेरी फिल्म में कोई रिश्तेदार या कोई सिर पर हाथ रखने वाला नहीं था. मैं आया थ्रू द यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट. कॉन्टेस्ट छपा फिल्मफेयर में, टाइम्स ऑफ इंडिया में, हमने कैंची लेकर उसे काटा, उसे भरा और वहां लिखा था प्लीज सेंड थ्री फोटोग्राफ्स. हमने तीन फोटो भेजीं.
इस इंटरव्यू में राजेश खन्ना ने कई ऐसे दिलचस्प बातों का जिक्र किया था. राजेश खन्ना ने बताया था जब उन्हें सफलता मिली थी, तह उन्होंने कैसा महसूस किया था. जब उनके फिल्म फ्लॉप होने लगीं, तब उनकी प्रतिक्रिया कैसी थी? कैसे दीवार फिल्म उन्हें नहीं अमिताभ बच्चन को मिली. कैसे राजेश खन्ना नहीं चाह रहे थे कि डिंपल कपाड़िया फिल्मों में काम करें? वह राजनीति में कैसे आए? उनको “काका” के नाम से क्यों बुलाया जाता है?
आइए एक नज़र 'काका' के साक्षात्कारों के दिलचस्प अंश पर भी डाल लेते हैं:
सवाल : पूरी दुनिया आपको काका के नाम से जानती है? इसके पीछे क्या वजह है? (फिल्मीबीट)
राजेश खन्ना: पंजाबी में "काका" का मतलब होता है छोटा बच्चा. जब मैं फिल्म में आया तब बहुत छोटा था इसीलिए मुझे 'काका' के नाम से बुलाया गया. फिर सम्मान के लिए लोगों ने 'जी' लगा दिया.
सवाल : आपके लिए सफलता का मतलब क्या है ? (मूवी मैगज़ीन)
राजेश खन्ना: फिल्म 'आनंद' में मिली सफलता के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे भगवान के बगल में हूं. पहली बार मैंने महसूस किया कि सफलता क्या होती है. मुझे याद है कि बंगलुरु में फिल्म का प्रीमियर था. करीब दस मील तक सड़क पर लोगों के सिर के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. यह सफलता देखते हुए मैं एक बच्चा की तरह रो रहा था. फिर बाद में जब मेरी फिल्म फ्लॉप होने लगीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे मैं एक बोतल में जाकर टकराया हूं. एक के बाद एक मेरी सात फिल्म फ्लॉप हुईं.
एक बार रात को तीन बजे के करीब मैं अपना घर के टेरस में अकेला खड़ा था. अपने आप को संभल नहीं पाया. फिर मैं चिल्लाने लगा, "परवरदिगार, हम ग़रीबों का इतना इम्तिहान न ले कि हम तेरे वजूद को इनकार कर दें." फिर डिंपल और घर के अन्य सदस्य भाग के आए और उन्हें लगा कि मैं पागल हो गया हूं. निस्संदेह सफलता ने मुझे इतना प्रभावित किया था कि अससफलता को सहन करना मेरे लिए मुश्किल था. अगले दिन फिल्म निर्देशक बालाजी ने मुझे 'अमरदीप' फिल्म का ऑफर दिया जो मेरा करियर का एक दूसरा मोड़ साबित हुई.
सवाल : क्या आपके साथ ऐसा कभी हुआ है कि आपकी साइन की हुई फिल्म दूसरे एक्टर को दे दी गई?
राजेश खन्ना: जी हां, 'दीवार' फिल्म के मामले में मेरे साथ ऐसा हुआ. सलीम-जावेद और मेरे बीच मतभेद थे. उन्होंने यश चोपड़ा को स्क्रिप्ट देने के लिए मना कर दिया था. यश 'दीवार' के लिए मुझे साइन करना चाहते थे. उनके पास कोई विकल्प नहीं था. शायद बाद में उन्हें लगा होगा कि अमिताभ बच्चन इस फिल्म के लिए ज्यादा सही हैं. फिर मैंने 'दीवार' देखी और ईमानदारी से मैंने बोला, "क्या बात है". भगवान के नाम पर अगर सच कहूं तो अमिताभ बच्चन के अंदर हमेशा टैलेंट था. चाहे 'नमक हलाल' की बात किया जाए या 'आनंद'. मेरा मतलब हांडी में से अगर चावल का एक दाना निकालो तो पता चल जाता है कि क्या है.
सवाल : आप डिंपल को शादी के बाद फिल्मों में काम क्यों नहीं करने देना चाहते थे?
राजेश खन्ना : मैंने जब डिंपल से शादी की तो मैं अपने बच्चों के लिए एक मां चाहता था. मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चों का लालन-पालन नौकरों के द्वारा हो. डिंपल के टैलेंट के बारे में मुझे पता नहीं था क्योंकि तब 'बॉबी' रिलीज़ नहीं हुई थी. अगर मुझे पता होता कि वह इतनी टैलेंटेड है तो मैं उसे नहीं रोकता. जब मैंने 'बॉबी' देखी तब तक हमारा पहली बेटी जन्म ले चुकी थी. लेकिन बाद मैं टीना मुनीम के साथ सात साल तक रहा. मैंने टीना के लिए फिल्म बनाई. हम दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया. टीना की फिल्मों के प्रति ज्यादा रूचि नहीं था, लेकिन मैंने कहा था, "काम करो और अपने सिस्टम से बाहर आओ". मैं दोबारा वह गलती नहीं करना चाहता था (जो डिंपल के साथ की थी).
सवाल : आप राजनीति में क्यों आए? (मूवीटॉकीज.कॉम)
राजेश खन्ना: सोनिया गांधी की एक कॉल मुझे राजनीति में ले आई. मैं हमेशा से कांग्रेसी था फिर मुझे कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने के लिए आमंत्रण आया और यह आमंत्रण मैडम सोनिया गांधी जी की ओर से आया था. मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. फिर मैंने हां बोल दिया और पार्टी ने जो चाहा मैंने वह किया. मुझे एक ऐसी पार्टी में काम करने के लिए मौका दिया गया, जिसकी नीतियों में मैं हमेशा विश्वास रखता था.
राजेश खन्ना के कुछ प्रसिद्ध डायलॉग :
"मैंने तेरा नमक खाया है, इसीलिए तेरी नज़रों में नमक हराम ज़रूर हूं, लेकिन जिसने यह नमक बनाया है, उसके नज़रों में नमक हराम नहीं हूं (फिल्म 'नमक हलाल').
बाबू मोशाय! ज़िंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ में है. उसे न आप बदल सकते हैं न मैं (फिल्म आनंद).
मैंने तुम्हें कितनी बार कहा कि पुष्पा मुझसे यह आंसू देखे नहीं जाते. आई हेट टियर्स (फिल्म अमर प्रेम).
अब गुलाब का फूल ख़ूबसूरत है तो है. अब वो ख़ूबसूरत क्यों है, अबे छोड़ो ना यार. (फिल्म अंगूर)
2012 में अपने निधन से कुछ ही दिन पहले राजेश खन्ना ने अपने फैन्स के लिए एक ऑडियो मैसेज रिकॉर्ड किया था. यह ऑडियो मैसेज को राजेश खन्ना के परिवार लोगों ने उनके मौत के बाद जारी किया था. आखिरी संदेश के कुछ अंश :
"मेरे प्यारे दोस्तों, भाइयों और बहनों, नॉस्टैल्जिया में रहने की आदत नहीं है मुझे. हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है. जो दिन गुजर गए हैं, बीत गए हैं, उसका क्या सोचना. लेकिन जब जाने-पहचाने चेहरे अनजान सी एक महफिल में मिलते हैं तो यादें बाविस्ता हो जाती हैं. यादें फिर दोबारा लौट आती हैं."
मैंने जब थिएटर शुरू किया तो मेरे थिएटरवालों ने मुझे जूनियर आर्टिस्ट का रोल दिया था. एक इंस्पेक्टर का, जिसका सिर्फ एक ही डायलॉग था कि खबरदार, नंबरदार भागने की कोशिश की, पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा है तुम्हें. ये डायलॉग था. तो उसमें मैं जैसे सेकेंड एक्ट में गया तो मैंने जाकर कहा, नंबरदार खबरदार, तुमने भागने की..... उसके बाद डायलॉग भूल गया. तो वीके शर्मा जो थे, हीरो थे, उन्होंने कहा, हां-हां, इंस्पेक्टर साहब का यह कहना है कि भागने की कोशिश न करना, पुलिस ने चारों तरफ से तुम्हें घेर रखा है."
"जो डायलॉग मुझे बोलना था, उन्होंने पूरा किया, क्योंकि मैं डायलॉग भूल गया. उसके बाद मुझे बहुत डांट पड़ी, मैं बहुत रोया भी. मैंने कहा कि भई राजेश खन्ना तुम एक्टर बनना चाहते हो और एक लाइन तो तुमसे बोली नहीं जाती है. मैंने बहुत कोसा अपने आपको और मैंने कहा कि कभी एक्टर नहीं बन सकता."
मेरी फिल्म में कोई रिश्तेदार या कोई सिर पर हाथ रखने वाला नहीं था. मैं आया थ्रू द यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट. कॉन्टेस्ट छपा फिल्मफेयर में, टाइम्स ऑफ इंडिया में, हमने कैंची लेकर उसे काटा, उसे भरा और वहां लिखा था प्लीज सेंड थ्री फोटोग्राफ्स. हमने तीन फोटो भेजीं.
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