'मैं थी बायपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित, मैंने आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी' : शमा सिकंदर

'मैं थी बायपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित, मैंने आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी' : शमा सिकंदर

खास बातें

  • एक्‍टर शमा सिंकदर ने किया खुलासा, बायपोलर डिसऑर्डर का रही शिकार
  • कुछ साल पहले नींद की गोलियां खा कर की थी आत्‍महत्‍या की कोशिश
  • मेरे एक्‍स बॉयफ्रेंड एलेक्‍स ने सबसे पहले पहचाना मेरी बीमारी के बारे में
नई दिल्‍ली:

टीवी सीरियल 'बालवीर' में 'भयंकर परी' के किरदार में नजर आ चुकी शमा सिकंदर ने एक इंटरव्‍यू में बताया है कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्‍होंने आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी. शमा ने इंटरव्‍यू में बताया कि उन्‍होंने 2 साल तक जानबूझकर ब्रेक लिया क्‍योंकि वह बायपोलर डिसऑर्डर नामक मानसिक बीमारी से जूझ रही थीं और इसके चलते वह आत्‍महत्‍या की कोशिश भी कर चुकी थीं. लेकिन इस मानसिक बीमारी का न केवल शमा ने पूरा इलाज लिया बल्कि इसके बारे में बात करने से भी नहीं झिझकीं.

इसी साल रिलीज हुई विक्रम भट्ट की शॉर्ट फिल्‍म 'सेक्‍सोहॉलिक' से चर्चा में आई शमा ने बताया कि उनके पहले बॉयफ्रेंड एलेक्‍स ओनिल ने सबसे पहले यह महसूस किया कि उन्‍हें कोई मानसिक समस्‍या है और उन्‍हें डॉक्‍टरी सलाह लेनी चाहिए.
 

 

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टाइम्‍स ऑफ इंडिया को दिए अपने इस इंटरव्‍यू में शमा ने बताया कि मुझे अचानक लोगों से बात करने में बोरियत महसूस होने लगी. मुझे नए लोगों से मिलना अच्‍छा नहीं लगता और मुझे खुद अपने आप से नफरत होने लगी. ऐसे में मेरे करियर और प्रेम संबंधों में चल रही समस्‍या ने इस तनाव को और बढ़ा दिया था. एलेक्‍स, जिनके पास सायकलॉजी की डिग्री थी, उन्‍होंने मुझे सलाह दी कि मुझे डॉक्‍टर से मिलना चाहिए.'
 

शमा बताती हैं, ' लेकिन उस समय मैं ठीक नहीं होना चाहिती थी बल्कि मैं हार गई थी. शमा कहती हैं, 'हालांकि मेरी जिंदगी में सब कुछ अच्‍छा था लेकिन मुझे लगता था कि सब बेकार है और मैं खुद अपनी जिंदगी से बोर हो गई थी. यहां तक की मैंने एक रात आत्‍महत्‍या करने की भी कोशिश की थी. मैंने अपनी मां से गुड नाइट कहा और उन्‍हें खुद को जगाने से मना कर के सोने चली गई. उस रात मैंने कई सारी नींद की गोलियां खा लीं. सोने से थोड़ा पहले मैंने अपने भाई को अपने बैंक अकाउंट डिटेल भेज दिये जिससे वह काफी डर गया. उसने तुरंत मेरी मां को फोन किया और मुझे देखने को कहा. जिसके बाद मेरा परिवार मुझे अस्‍पताल ले गया.

मैं इस बात से परेशान थी कि मेरे परिवार ने मुझे जिंदा क्‍यों बचा लिया. वह बातती हैं कि मैं मौत को किसी अंत की तरह नहीं देख रही थी, बल्कि मेरे लिए यह एक नए जीवन की शुरुआत जैसा था. लेकिन धीरे-धीरे मैंने अपनी इन कमजोरियों पर काबू पाया. मैंने दो साल तक दवाईयां ली और इस समस्‍या पर नियंत्रण पाने की कोशिश की.

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