शाहरुख खान ने अपनी जीवनी 'एसआरके: 25 इयर्स ऑफ ए लाइफ' लॉन्च की. (फाइल फोटो)
मुंबई:
सुपरस्टार शाहरूख खान का कहना है कि फिल्मकार उन्हें विविधतापूर्ण भूमिकाओं की पेशकश नहीं करते हैं, क्योंकि उनके स्टार होने के चलते उनके प्रति उनकी कुछ धारणा बन गई है. शाहरूख ने मुंबई में बीती रात अपनी जीवनी ‘‘एसआरके : 25 इयर्स ऑफ ए लाइफ’’ को रिलीज करते हुए कहा, ‘‘स्टारडम बंदिश नहीं लगाता लेकिन ऐसी स्थिति में यह कहना कि मेरे लिए विकल्प बहुत कम हैं, कभी-कभी बड़ा अजीबोगरीब हो जाता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अलग अलग निर्देशकों के साथ जब भी मैं बैठता हूं तो वे कहते हैं, ‘‘हमलोग बड़ी फिल्म बनाएंगे’’, इससे पहले कि मैं काम शुरू करूं, फिल्म बड़ी हो जाती है, ऐसे में मैं कहता, ‘आईए कोई फिल्म बनाते हैं’, लेकिन कभी-कभी तो फिल्म मेरे हाथ से निकल जाती है क्योंकि हर कोई यही चाहता है कि फिल्म बड़ी बने.’’ सुपरस्टार होते हुए क्या उन्हें बंदिशें झेलनी पड़ती हैं, यह पूछे जाने पर 51 वर्षीय अभिनेता ने स्वीकार किया कि कारोबार ऐसी चीज है कि इससे सितारे भी अछूते नहीं रह सकते लेकिन वह अपनी तरफ से हमेशा अपने काम को लेकर अपना दृष्टिकोण बदलने की कोशिश नहीं करते.
अभिनेता ने कहा, ‘‘लोग उनके साथ विशुद्ध रूप से व्यावसायिक फिल्म करना पसंद करते हैं. लिहाजा इसके लिए वह उन्हें दोष भी नहीं दे सकते लेकिन मेरा मानना है कि इस तरह के दृष्टिकोण ने उनके उपर सीमाएं लाद दी हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग मुझे यह कह कर फिल्म की पेशकश करते हैं कि ‘आपके साथ हम ऑफ बीट फिल्में क्यों करें, चलिए कोई व्यावसायिक फिल्म करते हैं.’ मैं उन्हें दोष नहीं दे रहा हूं. यह अच्छी सोच है क्योंकि अगर मैं बेचता हूं तो मुझे अपने आपको बेचना भी स्वाभाविक है.’’
शाहरूख की इस जीवनी को पूर्व पत्रकार समर खान ने लिखा है. इसमें आदित्य चोपड़ा से लेकर अब्बास मस्तान तक निर्देशकों के साक्षात्कार हैं, जिनके साथ शाहरूख ने अपने 25 साल के कॅरियर में काम किया है. पुस्तक के लोकार्पण के वक्त समर ने यह उल्लेख किया कि सभी फिल्मकारों ने इस बात का जिक्र किया कि शाहरूख ने कभी उनके दृष्टिकोण पर सवाल नहीं खड़ा किया और इस विधा में ज्ञान तथा फिल्म नगरी में अपनी हैसियत के बावजूद उन्होंने हमेशा उनमें विश्वास बनाए रखा.
इस पर शाहरूख ने कहा, ‘‘दो बातें हैं - पहली बात तो ये कि फिल्म निर्देशक का माध्यम है इसलिए फिल्मकार में विश्वास रखना चाहिए. हमलोग फिल्म उनके नजरिए से देखते हैं और दूसरी बात कि खुद में यह विश्वास रखें कि निर्देशक मुझसे जो भी कहेगा उसे मैं अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ करूंगा.’’ शाहरूख ने कहा कि किसी भी कलाकार के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कला कलाकार से बड़ी होती है.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां बहुत सामाजिक थीं और जिनसे भी वह मिलतीं वह उनके जैसी बन जातीं. वह कामगार के साथ उन्हीं की तरह बात करतीं तो किसी सेना के अधिकारी से उन्हीं के जैसे बात करतीं. इसी तरह एक अभिनेता को भी होना चाहिए. जिनके साथ भी वह बैठे, उसे उनके जैसा ही बनना चाहिए.’’ अभिनेता ने कहा, ‘‘मनोज कुमार का एक गाना है, जिसे मैं एक अभिनेता के तौर पर बहुत करीब महसूस करता हूं ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमें मिलादो उस जैसा’. इसलिए एक अभिनेता को पानी की तरह होना चाहिए. मेरा मानना है कि कला महत्वपूर्ण है, कलाकार नहीं. आखिर में राहुल, राज (पर्दे पर उनके द्वारा निभाए किरदार) बने रहेंगे, मैं नहीं.’’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, ‘‘अलग अलग निर्देशकों के साथ जब भी मैं बैठता हूं तो वे कहते हैं, ‘‘हमलोग बड़ी फिल्म बनाएंगे’’, इससे पहले कि मैं काम शुरू करूं, फिल्म बड़ी हो जाती है, ऐसे में मैं कहता, ‘आईए कोई फिल्म बनाते हैं’, लेकिन कभी-कभी तो फिल्म मेरे हाथ से निकल जाती है क्योंकि हर कोई यही चाहता है कि फिल्म बड़ी बने.’’ सुपरस्टार होते हुए क्या उन्हें बंदिशें झेलनी पड़ती हैं, यह पूछे जाने पर 51 वर्षीय अभिनेता ने स्वीकार किया कि कारोबार ऐसी चीज है कि इससे सितारे भी अछूते नहीं रह सकते लेकिन वह अपनी तरफ से हमेशा अपने काम को लेकर अपना दृष्टिकोण बदलने की कोशिश नहीं करते.
अभिनेता ने कहा, ‘‘लोग उनके साथ विशुद्ध रूप से व्यावसायिक फिल्म करना पसंद करते हैं. लिहाजा इसके लिए वह उन्हें दोष भी नहीं दे सकते लेकिन मेरा मानना है कि इस तरह के दृष्टिकोण ने उनके उपर सीमाएं लाद दी हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग मुझे यह कह कर फिल्म की पेशकश करते हैं कि ‘आपके साथ हम ऑफ बीट फिल्में क्यों करें, चलिए कोई व्यावसायिक फिल्म करते हैं.’ मैं उन्हें दोष नहीं दे रहा हूं. यह अच्छी सोच है क्योंकि अगर मैं बेचता हूं तो मुझे अपने आपको बेचना भी स्वाभाविक है.’’
शाहरूख की इस जीवनी को पूर्व पत्रकार समर खान ने लिखा है. इसमें आदित्य चोपड़ा से लेकर अब्बास मस्तान तक निर्देशकों के साक्षात्कार हैं, जिनके साथ शाहरूख ने अपने 25 साल के कॅरियर में काम किया है. पुस्तक के लोकार्पण के वक्त समर ने यह उल्लेख किया कि सभी फिल्मकारों ने इस बात का जिक्र किया कि शाहरूख ने कभी उनके दृष्टिकोण पर सवाल नहीं खड़ा किया और इस विधा में ज्ञान तथा फिल्म नगरी में अपनी हैसियत के बावजूद उन्होंने हमेशा उनमें विश्वास बनाए रखा.
इस पर शाहरूख ने कहा, ‘‘दो बातें हैं - पहली बात तो ये कि फिल्म निर्देशक का माध्यम है इसलिए फिल्मकार में विश्वास रखना चाहिए. हमलोग फिल्म उनके नजरिए से देखते हैं और दूसरी बात कि खुद में यह विश्वास रखें कि निर्देशक मुझसे जो भी कहेगा उसे मैं अपनी क्षमता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ करूंगा.’’ शाहरूख ने कहा कि किसी भी कलाकार के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कला कलाकार से बड़ी होती है.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां बहुत सामाजिक थीं और जिनसे भी वह मिलतीं वह उनके जैसी बन जातीं. वह कामगार के साथ उन्हीं की तरह बात करतीं तो किसी सेना के अधिकारी से उन्हीं के जैसे बात करतीं. इसी तरह एक अभिनेता को भी होना चाहिए. जिनके साथ भी वह बैठे, उसे उनके जैसा ही बनना चाहिए.’’ अभिनेता ने कहा, ‘‘मनोज कुमार का एक गाना है, जिसे मैं एक अभिनेता के तौर पर बहुत करीब महसूस करता हूं ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमें मिलादो उस जैसा’. इसलिए एक अभिनेता को पानी की तरह होना चाहिए. मेरा मानना है कि कला महत्वपूर्ण है, कलाकार नहीं. आखिर में राहुल, राज (पर्दे पर उनके द्वारा निभाए किरदार) बने रहेंगे, मैं नहीं.’’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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