मुंबई:
मुंबई की एक सत्र अदालत सोमवार को अभिनेता सलमान खान की मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ अपील पर फैसला सुनाना था लेकिन बारिश की वजह से कोर्ट का स्टाफ नहीं पहुंच सका और फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। यह फैसला अब 24 जून को सुनाया जाएगा।
गौरतलब है कि मजिस्ट्रेट अदालत ने साल 2002 के हिट एंड रन मामले में उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
सत्र अदालत के न्यायाधीश यूबी हेजिब ने एक महीने पहले दलील पूरी होने के बाद अपील पर फैसला सुनाने के लिए 10 जून की तारीख निर्धारित की थी।
गैर इरादतन हत्या (आईपीसी की धारा 304 भाग 2) के गंभीर आरोप लगाने के खिलाफ दलील देते हुए खान के वकील अशोक मुंदार्गी ने दलील दी थी कि मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश ‘त्रुटिपूर्ण, कानूनन गलत और रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य के विपरीत’ है। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट इस बात को समझने में विफल रहे कि अभिनेता की न तो (लोगों की हत्या करने की) मंशा थी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी थी कि लापरवाही से उनके वाहन चलाने से एक व्यक्ति की मौत हो जाएगी और चार अन्य घायल हो जाएंगे।
इस धारा के तहत अपराध के लिए 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है और इसपर सत्र अदालत मुकदमा चला सकती है।
खान के खिलाफ इससे पहले लापरवाही से मौत (आईपीसी की धारा 304 ए) के हल्के आरोप के तहत मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाया था, जिसके लिए अधिकतम दो साल के कारावास का प्रावधान है।
गौरतलब है कि मजिस्ट्रेट अदालत ने साल 2002 के हिट एंड रन मामले में उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
सत्र अदालत के न्यायाधीश यूबी हेजिब ने एक महीने पहले दलील पूरी होने के बाद अपील पर फैसला सुनाने के लिए 10 जून की तारीख निर्धारित की थी।
गैर इरादतन हत्या (आईपीसी की धारा 304 भाग 2) के गंभीर आरोप लगाने के खिलाफ दलील देते हुए खान के वकील अशोक मुंदार्गी ने दलील दी थी कि मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश ‘त्रुटिपूर्ण, कानूनन गलत और रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य के विपरीत’ है। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट इस बात को समझने में विफल रहे कि अभिनेता की न तो (लोगों की हत्या करने की) मंशा थी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी थी कि लापरवाही से उनके वाहन चलाने से एक व्यक्ति की मौत हो जाएगी और चार अन्य घायल हो जाएंगे।
इस धारा के तहत अपराध के लिए 10 साल के कारावास की सजा का प्रावधान है और इसपर सत्र अदालत मुकदमा चला सकती है।
खान के खिलाफ इससे पहले लापरवाही से मौत (आईपीसी की धारा 304 ए) के हल्के आरोप के तहत मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाया था, जिसके लिए अधिकतम दो साल के कारावास का प्रावधान है।
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