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This Article is From Jun 03, 2011

समीक्षा : पूरी ढीली फिल्म है 'रेडी'

'रेडी' में एक गाना है…कैरेक्टर ढीला। लेकिन यहां तो पूरी फिल्म ही ढीली नजर आती है। फिल्म के लिए रेटिंग है-2 स्टार...
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Mumbai: फिल्म 'रेडी' प्रेम यानी सलमान खान पर आधारित है, जिनकी मुलाकात अपने बदमाश मामाओं से बचकर भाग रही संजना उर्फ आसिन से होती है। दोनों मामा एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं और जायदाद के लिए संजना की शादी अपने-अपने सालों से कराना चाहते हैं। शुरुआती नोंकझोंक के बाद प्रेम और संजना में प्यार हो जाता है और तिकड़मबाज प्रेम की मदद से संजना अपनी मां की आखिरी इच्छा भी पूरी कर लेती है। ये है राजश्री बैनर की किसी फिल्म की तरह दोनों मामाओं को एक करना। सुनने में कहानी बड़ी आसान लगती है, लेकिन फिल्म में ये उतनी ही घूमी हुई है। डायरेक्टर अनीस बज्मी की फिल्म है, इसीलिए लॉजिक की उम्मीद तो थी ही नहीं, तभी दुबली पतली हीरोइन को पकड़ने गुंडों की फौज आती है, जो कौरव-पांडवों की तरह ब्लैक एंड व्हाइट कपड़ों में आमने-सामने होती है। डायलॉग्स का हाल और बुरा है। जैसे कि...'दोनों का एक ही सीए है, जिसकी क्वालिफिकेशन बीए है'। रेडी का 'आय मी एंड माईसेल्फ' डायलॉग, वॉन्टेड के 'कमिटमेंट' वाले डायलॉग के आगे फेल है। न 'दबंग' जैसी कॉमेडी, न 'वॉन्डेट' जैसा एक्शन...फिल्म लंबी खींची गई सो अलग। हर कॉमेडी फिल्म में कुछ सीन्स हंसाते हैं। 'रेडी' में भी ऐसे थोड़े से सीन्स हैं। बिगड़ैल बेटे के बहाने एक बहू ससुर को खुलेआम गाली देती है और जब सलमान कहते हैं कि उनकी फैमिली 'हम साथ साथ हैं' टाइप की है, तो गुंडा मामा सवाल करता है कि क्या उसकी फैमिली 'कभी खुशी कभी गम' जैसी है। 'रेडी' में एक गाना है…कैरेक्टर ढीला। लेकिन यहां तो पूरी फिल्म ही ढीली नजर आती है। फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है-2 स्टार।

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