नई दिल्ली:
साउथ में भगवान की तरह पूजे जाने वाले रजनीकांत के घर के आसपास सोमवार को सुरक्षा बढ़ा दी गई। रजनीकांत के राजनीति में आने के संकेत के बाद तमिल मुन्नेत्र पदई नाम के एक संगठन के सदस्यों ने पोएस गार्डन स्थित उनके आवास के आसपास प्रदर्शन किया, जिसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई। रजनीकांत से जुड़े एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, "यह पता लगने पर कि एक संगठन के कुछ लोग रजनीकांत के घर के सामने प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं, हमने पुलिस सुरक्षा की मांग की है। फिलहाल, सभी कुछ नियंत्रण में है।" रजनीकांत (67) ने कुछ तमिल लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर घृणा फैलाने पर निराशा जताई थी, जिसके बाद ये प्रदर्शन शुरू हो गए।
रजनीकांत ने अपने प्रशंसकों के साथ चर्चा के दौरान कहा था, "मुझे सोशल मीडिया पर कुछ तमिल लोगों द्वारा घृणा फैलाने पर दुख होता है। कभी नहीं सोचा था कि वे इतना गिर जाएंगे।" पिछले सप्ताह उनके इस बयान के बाद तमिल मुन्नेत्र पदई ने रजनीकांत से माफी की मांग की थी।
रजनीकांत पिछले कुछ समय से चर्चा में रहे हैं। उनके राजनीति में आने की चर्चाएं हो रही हैं। इस पर उनकी यह कहकर आलोचना हुई कि वह तमिल नहीं हैं, लेकिन खुद रजनीकांत ने कहा कि वह तमिल हैं।
रजनीकांत ने कहा, "मैं 23 वर्षो तक कर्नाटक में रहा और 43 वर्षो से तमिलनाडु में रह रहा हूं। मैं कर्नाटक से एक मराठी के तौर पर यहां आया था, आप लोगों ने बहुत प्यार दिया, मुझे एक सच्चा तमिल बना दिया।" उन्होंने कहा कि वह सही समय आने पर राजनीति में आने का फैसला करेंगे।
बता दें, राजनीति में रजनी की एंट्री को लेकर पहली बार अटकलें नहीं लग रहीं. इससे पहले साल 1996 में भी अटकलें लगी थीं, जब उन्होंने पब्लिकली कहा था कि जनता जयललिता के पक्ष में मतदान ना करें. रजनीकांत ने तब कहा था कि अगर AIADMK फिर से चुनी गई, तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकता. इसके बाद अम्मा वह विधानसभा चुनाव हार गई थीं और डीएमके-टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस) को भारी जीत मिली थी.
उल्लेखनीय है कि तमिल सिनेमा और राजनीति के हमेशा करीबी संबंध रहे हैं. दिवंगत एम जी रामचन्द्रन (एमजीआर) और जे जयललिता के अलावा पटकथा लेखक एम करणानिधि ने भी राज्य की सत्ता संभाली है.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
रजनीकांत ने अपने प्रशंसकों के साथ चर्चा के दौरान कहा था, "मुझे सोशल मीडिया पर कुछ तमिल लोगों द्वारा घृणा फैलाने पर दुख होता है। कभी नहीं सोचा था कि वे इतना गिर जाएंगे।" पिछले सप्ताह उनके इस बयान के बाद तमिल मुन्नेत्र पदई ने रजनीकांत से माफी की मांग की थी।
रजनीकांत पिछले कुछ समय से चर्चा में रहे हैं। उनके राजनीति में आने की चर्चाएं हो रही हैं। इस पर उनकी यह कहकर आलोचना हुई कि वह तमिल नहीं हैं, लेकिन खुद रजनीकांत ने कहा कि वह तमिल हैं।
रजनीकांत ने कहा, "मैं 23 वर्षो तक कर्नाटक में रहा और 43 वर्षो से तमिलनाडु में रह रहा हूं। मैं कर्नाटक से एक मराठी के तौर पर यहां आया था, आप लोगों ने बहुत प्यार दिया, मुझे एक सच्चा तमिल बना दिया।" उन्होंने कहा कि वह सही समय आने पर राजनीति में आने का फैसला करेंगे।
बता दें, राजनीति में रजनी की एंट्री को लेकर पहली बार अटकलें नहीं लग रहीं. इससे पहले साल 1996 में भी अटकलें लगी थीं, जब उन्होंने पब्लिकली कहा था कि जनता जयललिता के पक्ष में मतदान ना करें. रजनीकांत ने तब कहा था कि अगर AIADMK फिर से चुनी गई, तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकता. इसके बाद अम्मा वह विधानसभा चुनाव हार गई थीं और डीएमके-टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस) को भारी जीत मिली थी.
उल्लेखनीय है कि तमिल सिनेमा और राजनीति के हमेशा करीबी संबंध रहे हैं. दिवंगत एम जी रामचन्द्रन (एमजीआर) और जे जयललिता के अलावा पटकथा लेखक एम करणानिधि ने भी राज्य की सत्ता संभाली है.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
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