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This Article is From Jul 28, 2017

Movie Review: इमरजेंसी के दौर में सरकार से लोहा लेने की कहानी है 'इंदु सरकार'

निर्देशक मधुर भंडारकर की यह फिल्‍म इमरजेंसी के दौरान देश में पैदा हुए हालात, उससे लड़ते संगठनों और उन सबके बीच इंदु नाम की लड़की की लड़ाई काफी अच्‍छे से बुनी गई है.

Movie Review: इमरजेंसी के दौर में सरकार से लोहा लेने की कहानी है 'इंदु सरकार'
फिल्‍म 'इंदू सरकार' में एक्‍टर नील नितिन मुकेश, संजय गांधी की भूमिका निभा रहे हैं.
नई दिल्‍ली: काफी विवादों और कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार इस शुक्रवार निर्देशक मधुर भंडारकर की फिल्‍म 'इंदु सरकार' रिलीज हो गई है. शुरू से ही इस फिल्‍म को कांग्रेस और कई अन्‍य लोगों का विरोध झेलना पड़ रहा था. जब से इस फिल्‍म का नाम सामने आया, यह कयास लगाए गए कि इमरजेंसी की पृष्‍ठभूमि पर बनी इस फिल्‍म का नाम तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम से लिया गया है. ऐसे में इस फिल्‍म के बारे में कुछ भी कहने से पहले बता दूं कि यह फिल्‍म 1975 से 1977 के दौरान देश मे लगी इमरजेंसी के दौरान एक साहसी लड़की कि लड़ाई है.
 
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इस लड़की का ही नाम फिल्‍म में है इंदू है और उसके पति का नाम नवीन सरकार है, इसलिए इस लड़की का नाम इंदू सरकार है. इंदु एक अनाथ लड़की है जिसका सपना केवल अच्छी पत्‍नी बनकर अपने घर को सुंदर बनाना है लेकिन इमरजेंसी के दौरान उसे 2 मासूम बच्चे मिलते हैं जिसकी वजह से इंदु के कदम सरकार और इमरजेंसी के खिलाफ चल पड़ते हैं.
 
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निर्देशक मधुर भंडारकर की यह फिल्‍म इमरजेंसी के दौरान देश में पैदा हुए हालात, उससे लड़ते संगठनों और उन सबके बीच इंदु नाम की लड़की की लड़ाई काफी अच्‍छे से बुनी गई है. कहानी में कितनी सच्चाई है, हम इस पर टिप्‍पणी नहीं करना चाहते. हम इसे सिर्फ एक फिल्‍म की तरह देख रहे हैं जो इमरजेंसी के दौरान की कहानी कह रही है. फिल्‍म की पटकथा कसी हुई है और संवाद अच्छे हैं. इंदु के किरदार में कीर्ति कुल्‍हारी ने जबरदस्त अभिनय किया है. संजय गांधी से प्रेरित चीफ नाम के किरदार के सीन थोड़े कम हैं मगर नील नितिन मुकेश ने इस किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है.
 
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फिल्‍म की कमजोर कड़ी की अगर बात करें तो सबसे ज्‍यादा मुझे कमी खली इंदु की कविता की क्योंकि फिल्‍म में बार-बार ये कहा जा रहा था कि इंदु एक अच्छी कवयित्री है लेकिन उसकी कविता पूरी फिल्म में सुनाई नहीं देती है. फिल्‍म के पहले भाग में इंदु के किरदार को एस्टेब्लिश करने के लिए काफी सीन्स दिखाए गए जिसकी शायद इतनी जरूरत नहीं थी और इन सीन्‍स के बिना भी काम चल सकता था.

मधुर भंडारकर की इस फिल्‍म को देखते समय मुझे ऐसा लगा जैसे कि हम उस दौर को देख रहे हैं. यह फिल्‍म मुझे इंगेजिंग लगी. इस फिल्‍म को मेरी तरफ से मिलते हैं 3 स्टार.

VIDEO: 'इंदु सरकार' किसी शख्सियत पर आधारित फिल्म नहीं : मधुर भंडारकर



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