नई दिल्ली:
देश को कॉमनवेल्थ खेलों में कुश्ती का पहला गोल्ड दिलाने वाली महिला पहलवान गीता फोगाट और उनके पिता महावीर फोगाट पर बनी फिल्म 'दंगल' ने चारों तरफ वाहवाही लूटी है. चाहे एक्टिंग हो या फिल्म की कहानी, हर कोई इस फिल्म की जमकर तारीफ कर रहा है. लेकिन इस सब के बीच एक व्यक्ति है जो इस फिल्म के कई हिस्सों से खुश नहीं है. वह हैं गीता और बबीता के रीयल लाइफ कोच प्यारा राम. कोच प्यारा राम फिल्म में दिखाए उनके किरदार की नकारात्मकता से काफी आहत हैं और उनके हिसाब से फिल्म में कई चीजें गलत दिखाई गई हैं.
नितेश तिवारी द्वारा निर्देशित फिल्म 'दंगल' में दिखाया गया है कि गीता और बबीता के पिता महावीर फोगाट की राष्ट्रीय कोच से कुश्ती के दांव-पेच को लेकर तकरार चलती है. साथ ही महावीर अपनी बेटियों को कोचिंग देने वाले उनके कोच से खुश नहीं हैं और वह खुद अपनी बेटियों को ट्रेनिंग देते हैं. इस फिल्म में कोच की भूमिका को काफी नकारात्मक दिखाया गया है जो आखिर में महावीर को एक साजिश कर कमरे में बंद भी कर देते हैं और अपनी बेटी का वह मैच ही नहीं देखने देते जिसमें जीत कर वह गोल्ड मेडल जीती.
फगवाड़ा में रह रहे कोच प्यारा राम सोंधी के मुताबिक ' महावीर फोगाट बेहद सज्जन व्यक्ति हैं और उन्हें कमरे में बंद करने वाली बात पूरी तरह गलत है. साथ ही उन्होंने नेशनल कैंप के दौरान गीता-बबीता की ट्रेनिंग में कभी भी दखल नहीं दिया था.' उन्होंने बताया कि गीता और कोच के बीच दिखाए गए मतभेद भी बिलकुल गलत हैं. उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान गीता-बबीता ने कभी कोई फिल्म थिएटर में जाकर नहीं देखी. उन्होंने बताया कि जब गीता और बबीता के मैच चल रहे थे, तब उन्हें यह तक नहीं पता था कि उनके पिता महावीर फोगाट कहा बैठे हैं.
नितेश तिवारी द्वारा निर्देशित फिल्म 'दंगल' में दिखाया गया है कि गीता और बबीता के पिता महावीर फोगाट की राष्ट्रीय कोच से कुश्ती के दांव-पेच को लेकर तकरार चलती है. साथ ही महावीर अपनी बेटियों को कोचिंग देने वाले उनके कोच से खुश नहीं हैं और वह खुद अपनी बेटियों को ट्रेनिंग देते हैं. इस फिल्म में कोच की भूमिका को काफी नकारात्मक दिखाया गया है जो आखिर में महावीर को एक साजिश कर कमरे में बंद भी कर देते हैं और अपनी बेटी का वह मैच ही नहीं देखने देते जिसमें जीत कर वह गोल्ड मेडल जीती.
फगवाड़ा में रह रहे कोच प्यारा राम सोंधी के मुताबिक ' महावीर फोगाट बेहद सज्जन व्यक्ति हैं और उन्हें कमरे में बंद करने वाली बात पूरी तरह गलत है. साथ ही उन्होंने नेशनल कैंप के दौरान गीता-बबीता की ट्रेनिंग में कभी भी दखल नहीं दिया था.' उन्होंने बताया कि गीता और कोच के बीच दिखाए गए मतभेद भी बिलकुल गलत हैं. उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान गीता-बबीता ने कभी कोई फिल्म थिएटर में जाकर नहीं देखी. उन्होंने बताया कि जब गीता और बबीता के मैच चल रहे थे, तब उन्हें यह तक नहीं पता था कि उनके पिता महावीर फोगाट कहा बैठे हैं.
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