फिल्म 'यंगिस्तान' एक नौजवान लड़के की कहानी है, जो भारत के प्रधानमंत्री का बेटा है, और जापान में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ हंसी-खुशी रह रहा है, मगर पिता की अचानक मौत हो जाने के चलते उस 28-वर्षीय युवक को प्रधानमंत्री बना दिया जाता है... अब प्रधानमंत्री बन जाने के बाद पार्टी, पॉलिटिक्स, मीडिया और गर्लफ्रेंड के बीच उसकी ज़िन्दगी किस तरह चलती है, और क्या आने वाले चुनाव में जनता उसे चुनती है, इन सवालों का जवाब मिलेगा 'यंगिस्तान' में...
'यंगिस्तान' तस्वीर है मॉडर्न इंडिया की, जिसमें 28 साल का एक लड़का प्रधानमंत्री बन सकता है... वह देश में बदलाव की पहल करता है... देश के नौजवानों, यानि 'यंग इंडिया' को अच्छी शिक्षा दिलाने की कोशिश करता है... जो नौजवान वोट डालने नहीं जाते, उनसे वोटिंग करवाता है... राजनीति के खेल में भी मंझा हुआ है... और चूंकि यह प्रधानमंत्री 'आज का युवा' है, इसलिए अपनी गर्लफ्रेंड के साथ लिव-इन में रहता है...
किसी निर्देशक की पहली फिल्म के लिहाज़ से सैयद अहमद अफ़ज़ल ने कहानी को ठीक से पर्दे पर उतारा है... प्रोडक्शन वैल्यू उम्दा है... जैकी भगनानी की एक्टिंग में काफ़ी निखार आया है और 'यंगिस्तान' उनकी अब तक की बेस्ट परफॉरमेंस है... जैकी ने युवा प्रधानमंत्री और आशिक, दोनों ही भूमिकाओं के साथ इंसाफ किया है... उधर, नेहा शर्मा का अभिनय भी अच्छा है... प्रधानमंत्री के पीए के किरदार में फारुख शेख के एक्सप्रेशन्स देखने लायक हैं...
'यंगिस्तान' पॉलिटिक्स के बैकड्रॉप पर बनी एक हल्की-फुल्की लव स्टोरी है, जिसमें एंटरटेनमेंट वैल्यू भी है... कुल मिलाकर 'यंगिस्तान' पॉलिटिक्स और प्यार के बीच बुनी गई अच्छी कहानी है, इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 3.5 स्टार...
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